Air Pollution: प्रदूषण से दिल्ली-NCR में घुट रहा दम, उत्तर भारत में कैसे इतनी जहरीली हुई हवा?
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है, जिसके चलते कई कदम उठाए गए हैं। स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाने और कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई है। ...और पढ़ें
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। इसके चलते कई जरूरी कदम उठाए गए हैं। राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाने का आदेश दिया गया है। साथ ही ग्रेप-4 की पाबंदिया लागू कर कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई है।
पिछले हफ्ते उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई। सोमवार (15 दिसंबक) को लगातार तीसरे दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 से ऊपर यानी गंभीर कैटेगरी में था। इससे पहले रविवार को यह 461 था, जिसे गंभीर प्लस कैटेगरी में रखा गया है।
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कर्तव्य पथ पर घने स्मॉग में ओझल राष्ट्रपति भवन, साउथ ब्लाक, नार्थ ब्लाक। फोटो- ध्रुव कुमार
प्रदूषण को लेकर देशभर के विश्लेषण से पता चलता है कि हवा की क्वालिटी खराब होने का अनुभव सिर्फ दिल्लीवासी ही नहीं कर रहे हैं। बीते 12 दिसंबर से जब पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी भारत की ओर बढ़ना शुरू हुआ, तब से उत्तर भारत के कई शहरों में हवा की क्वालिटी खराब हुई है। आइए जानते हैं कि यह सब किस तरह हुआ...
उत्तर भारत में 12 दिसंबर से खराब हुई हवा
देश के बड़े हिस्सों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर जोन में बनी हुई, जिसमें एनसीआर सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका है। सोमवार यानी 15 दिसंबर को शाम 4 बजे सीपीसीबी से मिले डेटा के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 447, गाजियाबाद में एक्यूआई 444, नोएडा में एक्यूआई 437 और दिल्ली में एक्यूआई 427 दर्ज किया गया, जो सबसे ज्यादा एक्यूआई वाले शहरों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहे। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि एनसीआर में सांस लेने के लिए कितने खतरनाक हालात हैं।
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ग्राफिक्स सोर्स- पीटीआई
हालांकि पिछले एक हफ्ते में बढ़ते एयर पॉल्यूशन का सामना सिर्फ दिल्ली ही नहीं कर रहा है, यह बात 3 दिनों (10 दिसंबर, 12 दिसंबर और 14 दिसंबर) के एक्यूआई के 24 घंटे के औसत की तुलना करके देखा जा सकता है। तीन दिनों के डेटा से पता चलता है कि 10 दिसंबर को दिल्ली में भी हवा की गुणवत्ता सिर्फ खराब श्रेणी (AQI 201 से 300) में थी, लेकिन 12 दिसंबर को इसमें बदलाव आया, जब दिल्ली और वेस्ट यूपी और हरियाणा के कुछ शहरों में हवा बेहद खराब (AQI 301-400) हो गई।
दिल्ली में 30 से ज्यादा हैं एयर मॉनिटरिंग स्टेशन
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के पूर्वी शहरों और बिहार के पश्चिमी हिस्सों में भी हवा की गुणवत्ता बिगड़ गई। इसके बाद 14 दिसंबर को दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया। हालांकि उत्तरी हरियाणा और बिहार के कुछ हिस्सों में इसमें कुछ सुधार हुआ, लेकिन यहां इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि दिल्ली में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग जितनी मजबूत है उतनी देश के इन शहर में नहीं है। राजधानी में एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों की संख्या 30 से ज्यादा है जबकि ज्याददातर शहरों में यह संख्या सिंगल डिजिट में है।
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14 दिसंबर की शाम के समय विकास मार्ग पर छाया स्मॉग। फोटो- हरीश कुमार
इन वजहों से बढ़ा प्रदूषण?
वायु प्रदूषण का स्तर एकाएक इतना बढ़ने से लोगों को दिमाग में सवाल उठता है कि आखिरकार यह कैसे हो गया? तो इसका जवाब है बादल छाए रहने और पश्चिमी विक्षोभ से चलने वाली धीमी हवाओं ने उत्तर भारत के शहरों में हवा की गुणवत्ता को सांस लेने लायक नहीं छोड़ा।
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यही बदली मौसमी स्थिति बढ़े हुए प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है क्योंकि दिसंबर में खेतों में पराली नहीं जलाई जाती जिससे मौजूदा प्रदूषण के सोर्स में और बढ़ोतरी हो।
सौजन्य- मौसम विभाग
इसके अलावा बीते तीन दिनों से दिन की शुरुआत में कोहरे के साथ हो रही है जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ा है। 12 दिसंबर से उत्तर भारत में कोहरा वायु प्रदूषण का तीसरा कारण था। 12 दिसंबर यानी शुक्रवार से उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में कोहरा पड़ना शुरू हुआ, जिससे हवा की क्वालिटी में कुछ ऐसे बदलाव हुए हैं जिन्हें सीधे हवा की गति या बादल वाले मौसम से नहीं समझाया जा सकता।
सौजन्य- मौसम विभाग
इसे सैटेलाइट से ली गई कोहरे की तस्वीरों से साफ तौर पर देखा जा सकता है। जैसे कि 12 दिसंबर की सुबह उत्तरी हरियाणा, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कई क्षेत्रों में सुबह कोहरा था, लेकिन 14 दिसंबर को ऐसा नहीं था। इससे यह पता चलता है कि वहां के शहरों में 14 दिसंबर के बजाय 12 दिसंबर को हवा की क्वालिटी क्यों खराब हुई।

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