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    दिल्ली में अक्टूबर से जनवरी के बीच हर साल बढ़ जाते हैं TB के रोगी! 30% मरीजों में इस बीमारी की वजह प्रदूषण

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 08:51 PM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण टीबी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़े क ...और पढ़ें

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    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की जहरीली हवा टीबी (क्षय रोग) जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी को बढ़ावा दे रही है। चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़े कमजोर होते हैं, जिससे टीबी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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    यही कारण है कि इधर के दिनों में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले कई मरीजों में टीबी के संक्रमण पाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में सामने आ रहे नए टीबी मामलों में लगभग 25 से 30 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिन्हें पहले कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, लेकिन प्रदूषण के लंबे संपर्क के कारण उनमें टीबी की पुष्टि हुई।

    आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में वर्ष 2023 में लगभग 58 हजार टीबी मरीज दर्ज किए गए थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर करीब 65 हजार तक पहुंच गई। 2025 में यह 70 हजार के अधिक का आंकड़ा छू रही है। यानी टीबी मरीजों की संख्या में 10 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी।

    सरकारी अस्पतालों के अनुसार, प्रदूषण के चरम महीनों—अक्टूबर से जनवरी के दौरान टीबी के नए मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। एम्स और दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों का कहना है कि पीएम2.5 और पीएम10 जैसे सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में जाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देते हैं।

    इससे पहले से कुपोषण, मधुमेह या कमजोर इम्युनिटी से जूझ रहे लोगों में टीबी संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदूषण पर सख्ती से नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में दिल्ली में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य और कठिन हो सकता है। यह समस्या अब केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि सार्वजनिक संकट बन चुकी है।

    प्रदूषण से टीबी बढ़ने के प्रमुख कारण

    • जहरीली हवा से फेफड़ों की प्राकृतिक सुरक्षा पर असर।
    • लगातार खांसी और सांस की सूजन।
    • कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र।
    • भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहन-सहन।
    • निर्माण कार्य और ट्रैफिक से निकलने वाली धूल।

    बचाव के उपाय क्या करें

    • प्रदूषण अधिक होने पर बाहर निकलने से बचें।
    • एन95-एन99 मास्क का उपयोग करें।
    • धूम्रपान से पूरी तरह दूरी बनाएं।
    • घर में वेंटिलेशन और साफ-सफाई रखें।
    • लगातार खांसी, वजन कम होना या बुखार हो तो तुरंत जांच कराएं।
    • सरकारी टीबी जांच और मुफ्त इलाज योजनाओं की सेवा लें।

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    ‘प्रदूषण बढ़ने के साथ टीबी के मामले और इससे होने वाली मौत की संख्या भी बढ़ रही है, पीएम2.5 और नाइट्रोजन आक्साइड जो कि फेफड़ों में इंफ्लेमेशन बढ़ाते हैं। ऐसे पार्टिकल्स टीबी बढ़ाने में सहायक होते हैं। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि प्रदूषण से ही टीबी हो रही है। पर, जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ रहा है, टीबी का संक्रगमण बढ़ रहा है।’


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    - डाॅ. नीतू जैन, वरिष्ठ परामर्शदाता (पल्मोनोलाजी), क्रिटिकल केयर एवं स्लीप मेडिसिन, पीएसआरआई

    ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस बात को मानता है कि वायु प्रदूषण के कारण टीबी बढ़ता है। कई शोध भी यह बताते हैं कि वायु प्रदूषण से टीबी बढ़ता है। विशेष कर पीएम2.5, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस फेफड़ों की रो प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देते हैं, जिससे टीबी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि टीबी कंट्रोल करना है तो वायु प्रदूषण कंट्रोल करना होगा।’


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    डाॅ. विवेक नांगिया, वाइस चेयरमैन एवं प्रमुख, पल्मोनोलाजी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, साकेत