प्रदूषण बढ़ते ही टोल वसूली पर लग सकता है ब्रेक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार
दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए टोल वसूली पर रोक लग सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है। प्रदूषण के गंभीर स्तर पर पहुंचने के बाद ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रवेश के नौ नाकों पर जाम लगने से वायु प्रदूषण बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इसे ग्रेप से जोड़ा जा सकता है। अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) इस पर निर्णय ले सकता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी से जो हलफनामा मांगा था वह एमसीडी ने दे दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है।
...तो बंद हो जाएगी टोल पर वसूली
सूत्रों के मुताबिक, निगम ने टोल राशि संग्रहण की 900 करोड़ की राशि को उसके राजस्व का बड़ा हिस्सा बताया है। उसने कोर्ट को जानकारी दी है कि 900 करोड़ की राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा एमसीडी को किया जाता है तो व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली को बंद कर दिया जाएगा।
निगम से लेकर सीएक्यूएम में होगी चर्चा
सूत्रों ने बताया कि जिस प्रकार दिल्ली -एनसीआर में वायु गुणवत्ता स्तर 401 से अधिक होने पर ग्रेप तीन की पाबंदिया लागू होने के बाद बीएस-तीन और बीएस चार के पेट्रोल डीजल के वाहनों पर प्रतिबंध लागू हो जाता है। या फिर वायु गुणवत्ता स्तर 450 से अधिक होने पर ग्रेप चार में निर्माण और विध्वंस के सभी कार्य बंद करने का नियम लागू होता है। वैसा ही टोल के नौ जाम वाले स्थानों को टोल मुक्त कर दिया जाए। हालांकि, यह अंतिम निर्णय नहीं। इस पर निगम से लेकर सीएक्यूएम में चर्चा होनी है।
पेंशन में निगम ही माह खर्च कर रहा 800 करोड़
सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी से एक सप्ताह में हलफनामा देने को भी कहा था जिसमें एमसीडी ने अपना हलफनामा जो दिया है उसमें निगम की आर्थिक स्थिति भी बताई है। निगम के अनुसार, टोल एमसीडी की आय का प्रमुख स्रोत है। निगम पर 16 हजार करोड़ की देनदारी है। ऐसे में निगम टोल का कलेक्शन हमेशा के लिए बंद करता है तो उसके सामने आर्थिक संकट और बढ़ा हो सकता है क्योंकि वेतन और पेंशन में ही निगम हर माह 800 करोड़ रुपये खर्च करता है।
टेंडर की प्रक्रिया में जा रहा
सूत्रों के अनुसार, एमसीडी ने अपने हलफनामे में बताया कि कैसे व टोल को जाम मुक्त करने के लिए काम कर रही है। इसमें उसने टोल नाकों पर आरएफआईडी के साथ ही ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान सिस्टम लागू करने के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया में जा रहा है। इससे वाहनों को रोकने की जरुरत नहीं होगी, जिससे जाम की स्थिति खत्म हो सकती है। वहीं, निगम ने टोल से अपने राजस्व की पूर्ति के लिए दिल्ली सरकार को भी पत्र लिखा था जिसमें 900 करोड़ रुपये अगर दिल्ली सरकार से मिले तो वह टोल वसूली बंद कर देगा।
कोर्ट ने एमसीडी से जवाब मांगा
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 156 टोल नाके हैं, जिसमें दिल्ली में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों से टोल वसूली की जाती है। सुप्रीम कोर्ट में टोल से जाम का मुद्दा पहुंचा था। जिसमें बताया गया था गाजीपुर से लेकर कालिंदी कुंज पर टोल वसूली के कारण जाम लगता है। इसे अस्थायी रूप से बंद करने के लिए कोर्ट ने एमसीडी से जवाब मांगा था।

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