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    क्या जब दो-तीन और बम विस्फोट होंगे, तब आप फैसला लेंगे? HC ने क्यों लगाई दिल्ली सरकार को फटकार

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 06:59 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सेकेंड हैंड वाहनों की बिक्री और हस्तांतरण को विनियमित करने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने लाल किले पर हुए हा ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सेकेंड हैंड वाहनों की बिक्री और हस्तांतरण को विनियमित करने में विफल रहने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

    मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि जब दो-तीन और बम विस्फोट होंगे, तब आप इस पर फैसला लेंगे।

    अदालत ने कहा कि लाल किले पर हुआ हालिया बम विस्फोट भी एक पुरानी कार का उपयोग करके किया गया था, जिससे यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। अदालत ने सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

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    जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान लगाई फटकार

    अदालत ने उक्त टिप्पणियां टुवर्ड्स हैप्पी अर्थ फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में रजिस्टर्ड वाहनों के अधिकृत डीलरों को रेगुलेट करने के लिए दिसंबर 2022 में पेश किए गए सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के नियम- 55ए से 55एच के लागू होने में आने वाली चुनौतियों का बिंदु उठाया।

    इन नियमों का मकसद सेकंड-हैंड वाहनों के बाजार में जवाबदेही लाना था। याचिका में तर्क दिया गया कि रेगुलेटरी कमियों और प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण ये नियम व्यवहार में असफल हो गए हैं।

    याचिका में कहा गया कि संशोधित फ्रेमवर्क में एक बड़ी कमी डीलर-टू-डीलर ट्रांसफर की रिपोर्टिंग के लिए किसी भी कानूनी तंत्र की कमी है।

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    नियम के उलट होता है पुराने वाहनों का ट्रांसफर

    अधिकांश इस्तेमाल किए गए वाहन अंतिम खरीदार तक पहुंचने से पहले कई डीलरों से होकर गुजरते हैं, लेकिन नियम केवल पहले अधिकृत डीलर को पहले ट्रांसफर को ही मान्यता देते हैं।

    इन कमियों के कारण, पूरे भारत में बहुत कम प्रतिशत डीलर ही अधिकृत डीलर रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर पाए हैं। दिल्ली में कोई भी रजिस्टर्ड नहीं है। नतीजतन, लाखों वाहन बिना किसी रिकार्ड के घूम रहे हैं कि असल में वे किसके कब्जे में हैं।

    याचिका में कहा गया कि भारत के अनुमानित 30,000-40,000 इस्तेमाल किए गए वाहन डीलरों में से केवल एक छोटा सा हिस्सा ही अधिकृत डीलर फ्रेमवर्क के तहत पंजीकृत हुआ है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दिल्ली में एक भी डीलर ने रजिस्ट्रेशन हासिल नहीं किया है।

    याचिका में कहा गया कि लाल किले के बाहर 10 नवंबर को हुए आतंकी हमले में एक 11 साल पुराना वाहन का उपयोग हुआ, जिसे कई बार बेचा गया था, अभी भी उसके मूल मालिक के नाम पर रजिस्टर्ड था।

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