दिल्ली हाईकोर्ट की दो टूक-ईडी के समन की अनदेखी पर सीधे गैर-जमानती वारंट नहीं जारी हो सकता
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन की अनदेखी करने पर सीधे गैर-जमानती वारंट जारी नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि सम ...और पढ़ें

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। मनी लांड्रिंग मामले में एक उद्यमी के विरुद्ध एक ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) को रद करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कोई अदालत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन का पालन न करने पर किसी व्यक्ति के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाया कि एनबीडब्ल्यू सिर्फ किसी जांच एजेंसी के अनुरोध पर ही आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-73 के तहत कोर्ट द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
अदालत ने कहा कि एनबीडब्ल्यू सिर्फ ऐसे व्यक्ति के खिलाफ जारी किए जा सकते हैं जो दोषी हो या घोषित अपराधी हो या ऐसा व्यक्ति हो जिस पर गैर-जमानती अपराध का आरोप हो और जो गिरफ्तारी से बच रहा हो। अदालत ने कहा कि ईडी ने तर्क दिया कि प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत, किसी व्यक्ति को जांच के लिए बुलाया जा सकता है, भले ही उसके खिलाफ कोई औपचारिक आरोप न हो, लेकिन यह सीआरपीएफ की धारा-73 की जरूरी शर्तों को ओवरराइड नहीं कर सकता।
अदालत ने उक्त टिप्पणियां वीडियोकान ग्रुप और बैंक धोखाधड़ी मामले से जुड़ी ईडी की मनी लांड्रिंग जांच में यूनाइटेट किंग्डम स्थित उद्यमी सचिन देव दुग्गल के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को रद करते हुए कीं।
याचिका के अनुसार, ईडी ने जनवरी 2022 से पीएमएलए की धारा-50 के तहत सचिन दुग्गल को कई समन जारी किए। एनबीडब्ल्यू के लिए एक आवेदन मुंबई में पीएमएलए विशेष अदालत में दायर किया गया था। साथ ही, फरवरी 2023 में इसे ईडी के इस बयान को रिकाॅर्ड करने के बाद खारिज कर दिया गया था कि दुग्गल सिर्फ एक गवाह थे और आईपीसी की धारा-174 (समन पर गैर-हाजिरी) के तहत कार्रवाई का सुझाव दिया गया था।
इसके बाद ईडी ने दिल्ली में पीएमएलए विशेष अदालत में जांच में मदद के लिए ओपन एनबीडब्ल्यू की मांग करते हुए आवेदन किया। इसमें सचिन दुग्गल को स्पष्ट रूप से एक संदिग्ध बताते हुए कहा कि गया कि उनके असहयोग के कारण जांच रुक गई थी। कोर्ट ने 10 फरवरी 2023 को सचिन के विरुद्ध एनबीडब्ल्यू जारी किए और बाद में उन्हें रद करने से इन्कार कर दिया। मामले पर विचार करने के बाद हाई कोर्ट ने एनबीडब्ल्यू यह देखते हुए रद कर दिया कि ट्रायल कोर्ट ने सीआरपीसी के प्रविधानों के अनुसार शक्तियों का प्रयोग नहीं किया था।

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