पश्चिमी दिल्ली में सरकारी जमीन पर कब्जे का खेल, पिता-पुत्र पर लाखों की धोखाधड़ी का केस दर्ज
दिल्ली के पश्चिमी इलाके में सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला सामने आया है। इस मामले में पिता-पुत्र पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा है और उनके खिला ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। डाबड़ी इलाके में पिता और पुत्र ने दिल्ली सरकार की बेशकीमती जमीन को अपना बताकर बेच दिया। दोनों ने जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उसे एक खरीदार को बेचकर लाखों रुपये डकार लिए। इस पूरे जालसाजी का भंडाफोड़ तब हुआ जब पीड़ित उस जमीन पर निर्माण कार्य कराने पहुंचा।
जानकारी के अनुसार, पालम पीड़ित विनेश कुमार 50 गज का प्लाट खरीदना चाहता था। इसी तलाश के दौरान उसकी मुलाकात कैलाश शर्मा और उसके बेटे नीरज शर्मा से हुई। खुद को प्रापर्टी डीलर बताने वाले इन पिता-पुत्र ने विनेश को नसीरपुर गांव में एक खाली पड़ा प्लाट दिखाया। सौदा 8.25 लाख रुपये में तय हुआ। आरोपितों ने विनेश का भरोसा जीतने के लिए प्लाट की फर्जी जनरल पावर आफ अटार्नी तैयार कर पूरी रकम चेक के माध्यम से ले ली।
धोखाधड़ी की परतें तब खुलीं जब विनेश प्लाट पर चारदीवारी का काम शुरू कराने पहुंचा। स्थानीय जांच और मौके पर मिली जानकारी से उसे पता चला कि जिस जमीन को उसने अपनी गाढ़ी कमाई से खरीदा है, वह असल में दिल्ली सरकार की है और एक विशेष सरकारी योजना के लिए आरक्षित रखी गई है। जब पीड़ित ने हिम्मत जुटाकर कैलाश और नीरज से अपने पैसे वापस मांगे तो उन्होंने पैसे लौटाने के बजाय उसे जान से मारने और झूठे केस में फंसाने की धमकी दी।
विनेश ने खुद से जब छानबीन की तो उसे इनके पीछे एक बड़े गिरोह होने की जानकारी मिली। पता चला है कि मनोज कुमार नाम का एक व्यक्ति इस गैंग का मास्टरमाइंड है, जो खाली पड़ी सरकारी जमीनों के फर्जी कागजात तैयार करता है और कैलाश व नीरज जैसे लोग उन जमीनों को बाजार में बेच देते हैं।
पीड़ित ने इसकी शिकायत डाबड़ी थाने में दी। पुलिस ने 15 दिसंबर को संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से ही दोनों फरार हैं। फिलहाल, आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। साथ ही, पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इस गिरोह ने अब तक और कितने लोगों को अपना शिकार बनाया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि किसी भी संपत्ति का सौदा करने से पहले राजस्व विभाग के रिकाॅर्ड की गहनता से जांच जरूर करें।

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