दिल्ली में नशे में धुत पति ने 20 रुपये न मिलने पर पत्नी की हत्या की, फिर रेलवे ट्रैक पर की खुदकुशी
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में एक व्यक्ति ने 20 रुपये न देने पर अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी। कुछ घंटों बाद उसने ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। विवेक विहार इलाके में एक व्यक्ति ने 20 रुपये न देने पर अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी। कुछ घंटे के बाद ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली। मृतकों की पहचान महेंद्र कौर और इसके पति कुलवंत सिंह उर्फ संजय के रूप में हुई है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर जीटीबी अस्पताल के शवगृह में सुरक्षित रखवाए हुए हैं। विवेक विहार थाना ने हत्या समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया है। महेंद्र कौर अपने परिवार के साथ कस्तूरबा नगर में रहती थीं। परिवार में पति कुलवंत सिंह, दो बेटे व एक बेटी है।
शव के गले पर मिले निशान
कुलवंत सिंह पेशे से ऑटो चालक थे। उनके बेटे टेंट हाउस में नौकरी करते हैं। जिला पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि बुधवार दोपहर को पुलिस को सूचना मिली कि एक महिला की अपने घर की छत पर संदिग्ध हालत में मौत हो गई है। गले पर निशान है।
पुलिस मौके पर पहुंची तो शव भू-तल पर चारपाई पर रखा हुआ था। वहां महिला का बेटा शिवचरन मिला। उसने बताया कि वह दुकान पर कुछ सामान लेने लिए गया था। वहां से घर आया तो देखा मां छत पर मृत पड़ी हुई है। उसने आशंका जताई कि मां ने खुदकुशी की है।
रुपये को लेकर पति-पत्नी में हुआ विवाद
पुलिस को उसके बयान पर शक हुआ। सख्ती से पूछा तो उसने बताया कि उसके पिता अपनी पत्नी 20 रुपये मांग रहे थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। उस वक्त पिता नशे में थे। पिता ने गला दबाकर मां की हत्या कर दी और भाग गए। पुलिस को जांच में पता चला कि कुलवंत नशे का आदी है।
पुलिस ने महिला के शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इसके सज्ञथ ही कुलवंत की तलाश शुरू की। बुधवार रात को सूचना मिली कि विवेक विहार रेलवे लाइन पर एक शख्स ने ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली है। पुलिस पहुंची तो पता चला कि खुदकुशी करने वाला कुलवंत है। घर के नजदीक ही उसके रेलवे लाइन है।
चार दिसंबर की थी बेटी की शादी
परिवार ने बताया कि चार दिसंबर को कुलवंत ने अपनी बेटी की शादी की थी। सब कुछ ठीक-ठाक हुआ था। शादी के बाद पहली बार उनकी बेटी एक रस्म के लिए अपने मायके आ रही थी। घर में खुशी का माहौल था। खुशियां मातम में तब्दील हो गईं।

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