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    दिल्ली में साइबर ठगी सिंडिकेट का भंडाफोड़, अमेरिकी अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट करने वाले दो गिरफ्तार

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 03:56 PM (IST)

    दिल्ली क्राइम ब्रांच ने साइबर ठगी सिंडिकेट के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इन पर डिजिटल अरेस्ट और फर्जी निवेश योजनाओं के नाम पर करीब एक करोड़ रुपये ...और पढ़ें

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    सैन फ्रांसिस्को दूतावास का अधिकारी बनकर पीड़ित को किया था डिजिटल अरेस्ट। सांकेतिक फोटो

    जागरण संवाददाताा, नई दिल्ली। डिजिटल अरेस्ट और निवेश के नाम पर साइबर ठगी के दो मामलों से साइबर क्राइम सिंडिकेट के दो सदस्यों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। करीब एक करोड़ रुपये की ठगी करने के आरोप में दोनों शामिल थे। इन्हें बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, जबरन वसूली और कई राज्यों में धोखे से जुटाए गए पैसों को ठिकाने लगाने के मामले में पकड़ा गया है।

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    एक मामला डिजिटल अरेस्ट से संबंधित है, जिसमें एक साइबर सिंडिकेट ने एक अमेरिकी नागरिक (एनआरआई) को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 30 लाख की ठगी की थी। सैन फ्रांसिस्को दूतावास का अधिकारी बनकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट कर उन्हें डरा धमका कर पैसे मंगवा लिया था।

    पीड़ित को डराने के बाद उन्हें दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी से बात कराने का भी झांसा दिया गया था। दूसरे मामले में उंचे रिटर्न दिलाने का झांसा देकर बैंक एन्क्लेव के रहने वाले एक व्यक्ति से 31.45 लाख की ठगी की थी।

    डीसीपी आदित्य गौतम का कहना है कि पहले मामले में बैंक एन्क्लेव के रहने वाले एक व्यक्ति को फर्जी ऑनलाइन निवेश योजना के माध्यम से 31.45 लाख का चूना लगाया गया। पीड़ित को काल कर वाॅट्सएप ग्रुप के माध्यम से फंसाया गया। उन्हें पहले वेंचुरा नाम के एक एप्लिकेशन को इंस्टाल करने के लिए मजबूर किया गया।

    उसके बाद उसे ऊंचे रिटर्न का वादा करके छह अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए गए। पैसे ट्रांसफर होने के बाद, वॉट्सएप ग्रुप को बंद कर दिया गया यानी एप ही काम करना बंद कर दिया। ठगी का एहसास हाेने के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत का मामला दर्ज करवा दिया था।

    केस क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर होने पर एसीपी रमेश लांबा व इंस्पेक्टर कमल कुमार और सतेंद्र खारी की टीम ने जांच कर संबंधित बैंकों से पहले-लेयर के लाभार्थी खातों की जानकारी प्राप्त की। जांच से पता चला कि धोखे से मंगाई गई रकम को कई म्यूल खातों के जरिये घुमाकर फंड को लेयरिंग करके निकाला गया।

    टेक्निकल सर्विलांस, बैंक खातों की विस्तृत जांच, मोबाइल लोकेशन और संबंधित बैंक शाखाओं की जांच के आधार पर, शुरू में पंजाब के लुधियाना और खन्ना में छापे मारे गए। वहां से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके (लेयर-एक) खातों में धोखे से मंगाई गई रकम ट्रांसफर की गई थी।

    उनसे पूछताछ के बाद गुजरात से अर्जुन सिंह को गिरफ्तार किया गया, जो धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए दूसरे-लेयर के म्यूल खाते को चला रहा था। अर्जुन सिंह, गुजरात का रहने वाला है। दूसरे लेयर के म्यूल खाते का धारक, जहां धोखे से मंगाई गई रकम का एक हिस्सा जमा किया गया था।

    उसने अपने बैंक खाते से पैसे निकालकर कमीशन के दो लाख लेकर शेष साइबर सिंडिकेट को सौंप दिया। पुलिस ने उसका मोबाइल फोन, सिमकार्ड, एटीएम कार्ड और चेक बुक जब्त कर ली है। इनके दो और सहयोगी के बारे में पता चला है जो फरार हैं।

    दूसरे मामले में अमेरिकी नागरिक (एनआरआई) ने एनसीआरपी के जरिए शिकायत कर बताया कि वह एक अक्टूबर को अमेरिका से दिल्ली आए थे, उसके बाद छह अक्टूबर की तड़के तीन बजे उनके पास एक इंटरनेशनल नंबर से वाॅट्सएप काॅल आया।

    काॅलर ने खुद को सैन फ्रांसिस्को दूतावास का अधिकारी बताते हुए कहा कि अमेरिका में दोबारा एंट्री के लिए उन्हें एनओसी लेनी होगी, ऐसा न करने पर उन्हें वापस आने नहीं दिया जाएगा। उन्हें दिल्ली पुलिस मुख्यालय के अधिकारी से बात करवाने का भी झांसा दिया गया था।

    उसके बाद, धोखेबाजों ने नकली पुलिस यूनिफार्म पहनकर उन्हें कई दिनों तक वीडियो काॅल किए और उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा। इस दौरान उन्हें लगातार डराया गया। जिससे डर कर उन्होंने साइबर ठग द्वारा बताए गए म्यूल अकाउंट में 30 लाख ट्रांसफर कर दिया।

    डिजिटल अरेस्ट से मुक्त होने के बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करा दी। सात नवंबर को केस क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया। जांच से पता चला कि शिकायतकर्ता के बैंक अकाउंट से 30 लाख नौ अक्टूबर को एमएस वर्णव इन्फोटेक, एसएएस नगर, पंजाब नाम की पार्टनरशिप फर्म के नाम पर बनाए गए एक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे।

    यह फर्म दो पार्टनर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। जिनमें एक वरुण, मोहाली और दूसरा नवजोत चौधरी, बलाचौर, पंजाब शामिल हैंं। जांच में पता चला कि उसी दिन यानी नौ अक्टूबर को, उक्त अकाउंट में जमा की गई रकम कुछ ही मिनट में कई अन्य अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई और बाद में अलग-अलग राज्यों से चेक के जरिए निकाल ली गई।

    मोहाली और चंडीगढ़ में छापे मार 27 दिसंबर को पुलिस ने वरुण को दबोच लिया। उसके घर और गाड़ी की तलाशी में अलग-अलग बैंकों के 38 एटीएम कार्ड, अलग-अलग बैंकों की 51 चेकबुक, पांच पासबुक, चार मोबाइल, एक लैपटाॅप, एक स्कार्पियो गाड़ी व 2.45 लाख नकद बरामद किया गया।

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