जमुई रेल हादसे के 36 घंटे बाद भी हावड़ा-दिल्ली रूट ठप, ट्रैफिक की 'तेज बहाली' के दावे फेल
जमुई के सिमुलतला में हुए मालगाड़ी हादसे के 36 घंटे बाद भी हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग पर परिचालन सामान्य नहीं हो पाया है। रेलवे के बड़े दावों के ...और पढ़ें

जमुई रेल हादसे के बाद रेल लाइन पर काम जारी। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, जमुई। देश की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेलवे का 'संकट प्रबंधन' एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सिमुलतला के पास हुए भीषण मालगाड़ी हादसे के 36 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद हावड़ा-नई दिल्ली मुख्य रेल मार्ग (मेन लाइन) पर परिचालन सामान्य नहीं हो सका है। रेलवे के बड़े-बड़े दावों के बीच जमीनी हकीकत यह है कि ट्रैक अभी भी बाधित है और हजारों यात्री हलकान हैं।
दावों और हकीकत में कोसों का फासला
रेलवे प्रशासन की तरफ से लगातार आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन परिणाम शून्य है। आसनसोल मंडल के पीआरओ (जनसंपर्क अधिकारी) ने संभावना जताई है कि आज दोपहर बाद डाउन लाइन पर परिचालन शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन घटनास्थल की तस्वीरें और वहां चल रहे कार्य की प्रगति पीआरओ के दावों को सही नहीं ठहराते नजर आ रहें है। ट्रैक पर चल रहें कार्य, क्षतिग्रस्त पटरियां और ओएचई की हालत देखकर इस बात पर गहरा संशय है कि दोपहर तक भी ट्रेनें दौड़ पाएंगी या नहीं।
200 कर्मी और शीर्ष अधिकारी, फिर भी परिणाम नहीं
विडंबना यह है कि राहत और बचाव कार्य की निगरानी खुद रेलवे के शीर्ष अधिकारी कर रहे हैं। पूर्व रेलवे कोलकाता के महाप्रबंधक मिलिंद देउस्कर और आसनसोल की मंडल रेल प्रबंधक विनीता श्रीवास्तव घटनास्थल पर कैंप किए हुए हैं।
उनके नेतृत्व में करीब 200 रेलकर्मी और तकनीकी विशेषज्ञ दिन-रात कार्य में जुटे बावजूद दोपहर तक डाउन पटरी में आवागमन का दावा सही नहीं प्रतीत होता हैं।
36 घंटे से ज्यादा लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी एक ट्रैक को चालू न कर पाना रेलवे की कार्यक्षमता और तकनीकी तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सवाल यह है कि जब मौके पर जीएम और डीआरएम मौजूद हैं, तो फिर कार्य में इतनी ढिलाई क्यों? क्या रेलवे के पास आधुनिक संसाधनों की कमी है, या फिर अधिकारियों की मौजूदगी महज औपचारिकता बनकर रह गई है?
यात्री हो रहे परेशान
इस देरी का सबसे बड़ा खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। दर्जनों ट्रेनें रद्द हैं और कई का मार्ग बदला गया है। रेलवे प्रशासन 'युद्धस्तर' पर कार्य करने की बात तो कर रहा है, लेकिन सिमुलतला में बिखरे वैगन और उखड़ी पटरियां रेलवे की 'तैयारी' की पोल खोलने के लिए काफी हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या रेलवे अपने नए समय (दोपहर बाद) तक परिचालन शुरू कर पाता है या यात्रियों को अभी और इंतजार करना होगा।

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