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    दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया खास तरह का गांजा, बैंकॉक से इसे छिपाकर लाने वाला यात्री गिरफ्तार

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 08:02 PM (IST)

    दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने एक यात्री को गिरफ्तार कर ढाई करोड़ रुपये का हाइड्रोपोनिक गांजा बरामद किया है। यात्री बैंकॉक से आया था और उसने ग्रीन चैनल पार कर लिया था। एक्स-रे स्कैनिंग में सामान में संदिग्ध वस्तुएं दिखने पर जांच की गई, जिसमें बैग के फाल्स बॉटम में छिपाए गए 10 पैकेट मिले। हाइड्रोपोनिक गांजा सामान्य गांजे से अधिक शुद्ध माना जाता है।

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    कस्टम विभाग ने बरामद गांजा की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपये आंकी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मादक पदार्थ तस्करी के एक मामले में आईजीआई एयरपोर्ट पर कस्टम्स विभाग ने एक भारतीय यात्री को करीब 2.5 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा (गांजा) के साथ पकड़ा है। कस्टम अधिकारी ने बरामद गांजा की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपये आंकी है।

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    आरोपी यात्री इंडिगो की उड़ान से बैंकाक से नई दिल्ली पहुंचा था। कस्टम्स अधिकारी ने बताया कि आरोपी यात्री ने ग्रीन चैनल पार कर लिया था, लेकिन एक्स-रे स्कैनिंग के दौरान उसके सामान में संदिग्ध वस्तुओं की छवि दिखाई दी।

    इसके बाद, सामान की गहन जांच की गई, जिसमें बैग के फाल्स बाॅटम (छिपे हुए हिस्से) में 10 पैकेटों में छिपाई गई हरी रंग की सामग्री बरामद की गई, जो प्रारंभिक जांच में हाइड्रोपोनिक गांजा प्रतीत हुई। यह एक संगठित तस्करी का मामला हो सकता है, और गांजे की गुणवत्ता व उत्पत्ति की जांच के लिए इसे प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।

    क्या होता है हाइड्रोपोनिक गांजा

    हाइड्रोपोनिक गांजा एक सामान्य गांजा ही है। लेकिन दोनों में कुछ तकनीकी अंतर है। यह अंतर मुख्य रूप से उनकी खेती की विधि, गुणवत्ता और विशेषताओं में होता है। हाइड्रोपोनिक्स गांजा उगाने में मिट्टी का उपयोग नहीं होता।

    पौधों को पानी में घुले पोषक तत्वों के माध्यम से उगाया जाता है, और उनकी जड़ें पानी या किसी निष्क्रिय माध्यम (जैसे कोको फाइबर, राकवूल) में रहती हैं। इस विधि में पर्यावरण (प्रकाश, तापमान, आर्द्रता) को कृत्रिम रूप से नियंत्रित किया जाता है।

    शुद्धता के मामले में यह सामान्य गांजा से ज्यादा अच्छा माना जाता है। जबकि सामान्य गांजा पारंपरिक रूप से मिट्टी में उगाया जाता है, जहां पौधे प्राकृतिक या जैविक उर्वरकों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं। यह खेती मौसम और मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।

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