दिल्ली पुलिस को कड़कड़डूमा कोर्ट से मिला झटका, 2019 में ASI पर दो गोली चलाने के आरोपी को किया बरी
वर्ष 2019 में शास्त्री पार्क इलाके में पुलिस पर गोली चलाने के आरोपी समीर उर्फ मुस्तकीम को कड़कड़डूमा कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने जांच में खामियों और गवाहों के बयानों में विरोधाभास को आधार बनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, समीर ने चोरी के प्रयास के दौरान पुलिस पर गोलियां चलाई थीं, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में संदेह जताया और आरोपी को बरी कर दिया।
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वर्ष 2019 में शास्त्री पार्क इलाके की घटना के मामले में कड़कड़डूमा स्थित कोर्ट ने सुनाया निर्णय।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। कड़कड़डूमा स्थित कोर्ट ने वर्ष 2019 में पुलिस पर गोली चलाने के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि जांच में खामियां थीं और गवाहों की गवाही में विरोधाभास था। इस कारण अभियोजन पक्ष के मामले पर गंभीर संदेह होता है।
शास्त्री पार्क थाने में अगस्त 2019 में समीर उर्फ मुस्तकीम (31) पर पुलिसकर्मी पर गोलियां चलाने के मामले में हत्या के प्रयास, सरकारी कर्मचारी पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने और अवैध हथियार रखने के आरोप में प्राथमिकी हुई थी।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि 25 अगस्त 2019 को शास्त्री पार्क इलाके के डीडीए मार्केट में कुछ दुकानों में चोरी करने के लिए शटर तोड़े जाने की आवाज आने का हवाला देते हुए एक मुखबिर ने पुलिस चौकी के पास पेट्रोलिंग टीम को गुप्त सूचना दी थी।
इस पर जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो आरोपी समीर कार में फरार होने लगा था। पुलिस ने उसका पीछा किया। धर्मपुरा ट्रैफिक सिग्नल के पास आरोपित कार खराब हो गई तो वह उससे उतर कर भागने लगा।
पुलिस टीम में से एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) ने उसको पकड़ने का प्रयास किया तो आरोपी ने उन पर दो गोलियां चला दीं। किसी तरह उन्होंने झुक कर अपनी जान बचाई। लेकिन एएसआ ने डंडा आरोपी के हाथ पर मारा तो उसकी पिस्टल गिर गई, फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस मामले में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुखविंदर कौर के कोर्ट ने कहा कि हालांकि गवाहों ने प्राथमिक तौर पर अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया है, फिर भी जांच में कुछ खामियां हैं, जो अभियोजन पक्ष के मामले की प्रामाणिकता पर संदेह पैदा करती हैं।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष का बयान पुलिस को मिली गुप्त सूचना से शुरू हुआ, फिर यह बताया गया कि आरोपी दुकानों के ताले तोड़ रहा था और शटर हटा रहा था, लेकिन दुकानों को हुए नुकसान के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया।
कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी का उद्देश्य दुकानों से चोरी करना था तो उसे कार में बैठने के बजाय शटर के ताले तोड़ते हुए देखा गया होता, क्योंकि अभियोजन पक्ष ने यह नहीं कहा है कि कार चालक के अलावा कोई अन्य सहयोगी शटर तोड़ने का प्रयास कर रहा था।
कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि आसपास के घरों के लोग पूरे घटनाक्रम से क्यों दूर रहे। यह कहने के साथ कोर्ट ने आरोपी समीर को बरी कर दिया।
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