फर्जी ट्रेडिंग एप और म्यूल अकाउंट्स का बड़ा खेल, दिल्ली पुलिस ने 5 जालसाज पकड़े; 24 करोड़ रुपये फंसे
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपितों से जुड़े 24 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर फ्राॅड नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए दो अलग-अलग मामलाें में पांच जालसाजों को दबोचा है। जांच में इन आरोपितों से जुड़े 24 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। गिरफ्तार आरोपित वाॅट्सएप ग्रुप और फर्जी ट्रेडिंग ऐप्लीकेशन के जरिए चूना लगा रहे थे।
गिरफ्तार आरोपितों की पहचान रूपनगर, पंजाब के राजीव, लुधियाना के मोनू कुमार, मोहित, राजबीर सिंह और बलवान के रूप में हुई है। इनके कब्जे से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, चेक बुक और बैंक दस्तावेज जब्त किए गए हैं और गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की पहचान कर उनकी तलाश में टीमें लगी हुई हैं।
सीवेंचुरा नाम से एप इंस्टॉल कराई और पैसे ट्रांसफर कराए
क्राइम ब्रांच के उपायुक्त आदित्य गौतम के मुताबिक, पहले मामले में शिकायतकर्ता को एक इन्वेस्टमेंट स्कीम के बहाने 31.45 का चूना लगाया गया, जिसमें अधिक रिटर्न का वादा किया गया था। आरोपितों ने शिकायतकर्ता को एक वाॅट्सएप ग्रुप के जरिए फंसाया और उसके मोबाइल फोन पर 'सीवेंचुरा' नाम की एक एप्लिकेशन इंस्टाॅल करवाई।
शिकायतकर्ता ने निवेश के लिए छह अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए और शिकायतकर्ता ने अपना प्राॅफिट मांगना शुरू किया, तो वाॅट्सएप ग्रुप अचानक बंद हो गया और एप्लिकेशन ने भी काम करना बंद कर दिया।
उनकी शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। जांच के दौरान, संबंधित बैंकों से लाभार्थी खातों की डिटेल्स जानकारी जुटाई गई, जिसमें पता चला कि ठगी की रकम कई 'म्यूल' बैंक खातों (आपराधिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैंक अकाउंट) के जरिए भेजी गई थी, जिनका इस्तेमाल जालसाज फंड को ठिकाने लगाने के लिए करते थे।
पंजाब के लुधियाना और खन्ना में की गई छापेमारी
टेक्निकल सर्विलांस, बैंक अकाउंट की जांच और संबंधित ब्रांचों और मोबाइल फोन के लोकेशन के आधार पर पंजाब के लुधियाना और खन्ना में छापे मारते हुए दो आरोपितों राजीव और मोनू कुमार को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पता चला कि राजीव एक म्यूल अकाउंट होल्डर है जिसके बैंक अकाउंट में साइबर अपराध की रकम जमा की गई थी। इस मामले से लगभग 6.45 लाख की रकम उसके अकाउंट में जमा पाई गई।
उक्त अकाउंट की जांच से पता चला कि यह एनसीआरपी पोर्टल पर रिपोर्ट किए गए कई साइबर अपराध ट्रांजेक्शन में शामिल था और अकाउंट को आखिरकार डीएक्टिवेट करने से पहले एक करोड़ रुपये से अधिक के ट्रांजेक्शन हुए थे। राजीव ने बताया कि मोनू और दो अन्य लोग उससे अकाउंट खुलवाने और उसका इस्तेमाल करने के लिए संपर्क किया था।
उसने माना कि उसे अपना अकाउंट देने के बदले कमीशन के तौर पर दो लाख मिले थे। उसका मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड और चेक बुक जब्त कर लिया गया। वहीं मोनू लोगों को बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए लुभाता था और उसके बाद कमीशन के बदले साइबर ठगी के लिए ऐसे अकाउंट बेचने और इस्तेमाल करने में मदद करता था।
उसे अपने द्वारा अरेंज किए गए हर बैंक अकाउंट के लिए लगभग 15 हजार मिलते थे। जांच के दौरान पहचाने गए दो अन्य साथी अभी भी फरार हैं और उन्हें पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।
VIP स्टॉक ग्रुप के नाम पर 47.15 लाख की धोखाधड़ी
वहीं दूसरे मामले में, शिकायतकर्ता 29 जुलाई को 'वीआइपी 10 स्टाक शेयरिंग ग्रुप' नाम के एक वाट्सएप ग्रुप में शामिल हुआ, जहां जालसाजों ने उसे 'वर्जर एप्लीकेशन' नामक एक एप्लीकेशन के जरिए निवेश करने के लिए उकसाया। निवेश ट्रेडिंग के बहाने शिकायतकर्ता से धीरे-धीरे कई ट्रांजैक्शन के जरिए अलग-अलग बैंक खातों में कुल 47.15 लाख ट्रांसफर करवाए गए।
इसके बाद आरोपितों ने वाॅट्सएप ग्रुप से एग्जिट किया और ऐप्लीकेशन ने भी काम करना बंद कर दिया। शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू हुई। जांच के दौरान पता चला कि शिकायतकर्ता ने 14 ट्रांजैक्शन के जरिए नौ अलग-अलग बैंक खातों में 47.15 लाख ट्रांसफर किए थे।
इसमें से, 14.25 लाख 'फार्मप्योर आर्गेनिक' के नाम पर बैंक ऑफ बड़ौदा के एक खाते में जमा की गई थी और एक लाख राजबीर सिंह नाम के एक व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर की गई थी, जिसने बाद में यह रकम मुंबई में आईसीआईसीआई बैंक के एक खाते में ट्रांसफर कर दी। हरियाणा के हिसार और पंचकूला में छापेमारी कर मोहित और राजबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया।
उसके खाते की जांच से पता चला कि 14.25 लाख की धोखाधड़ी की रकम को कई ट्रांजैक्शन के जरिए घुमाया गया था ताकि उसका पता न चल सके। पूछताछ में मोहित ने बताया कि उसने अपनी पत्नी की जानकारी के बिना उसके नाम पर वह बैंक खाता खोला था और खाते की डिटेल्स और उससे जुड़ा सिम कार्ड अपने साथी बलवान को दे दिया था।
आगे की जांच में राजस्थान के चुरू से आरोपित बलवान को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में बलवान ने बताया कि उसने एक साथी के कहने पर कमीशन के बदले करंट और सेविंग अकाउंट खुलवाए थे। उसने मामले में कुछ अन्य लोगों की भूमिका की भी जानकारी दी।
जांच के दौरान पता चला कि उसके खाते में एक लाख जमा किए गए थे। पूछताछ में उसने बताया कि उसके बेटे ने अपने बैंक खाते की डिटेल्स और लिंक्ड सिम कार्ड किसी दूसरे व्यक्ति को दिए थे। दोनों की तलाश जारी है।
फर्स्ट-लेयर अकाउंट और बिचौलियों की भूमिका उजागर
जांच करने पर पता चला कि मोहित फर्स्ट-लेयर अकाउंट प्रदाता था। उसके खाते से सिर्फ 12 दिनों में लगभग तीन करोड़ की ट्रांजैक्शन की गई। राजबीर सिंह भी फर्स्ट-लेयर अकाउंट प्रदाता था। उसके खाते से तीन दिनों में लगभग 20 करोड़ की ट्रांजैक्शन की गई।
वहीं बलवान कमीशन के बदले दूसरे साथी के कहने पर फर्स्ट-लेयर बैंक अकाउंट का इंतजाम करने वाला बिचौलिया था। इनके कब्जे से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, चेक बुक और बैंक दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
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