एटीसी गिल्ड ने चेताया था तो ध्यान क्यों नहीं दिया ? अब पुराने ऑटोमेटेड सिस्टम बने हवाई सुरक्षा के लिए खतरा
एटीसी गिल्ड ने पुरानी स्वचालित प्रणालियों को लेकर चिंता जताई है, जिससे हवाई यातायात नियंत्रण में समस्या आ रही है। संसदीय समिति ने एटीसी प्रणालियों को आधुनिक बनाने और एआई उपकरण शामिल करने की सिफारिश की है। समिति ने मौजूदा सिस्टम का तकनीकी ऑडिट कराने और नए सिस्टम को एटीसी अधिकारियों के साथ मिलकर विकसित करने की बात कही है। अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी उन्नयन की आवश्यकता है।

संसदीय समिति के समक्ष अपनी चिंता जाहिर कर चुका है एटीसी गिल्ड।
गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। भारत में हवाई यातायात नियंत्रकों (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स) के अधिकारों और पेशेवर हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली एटीसी गिल्ड देश के विभिन्न एयरपोर्ट की वायु यातायात नियंत्रण (एटीसी) की पुरानी होती स्वचालित प्रणालियों को लेकर लंबे समय से चिंता जता रही है।
इन चिंताओं में मौजूदा स्वचालित प्रणालियाें के खासकर वायु यातायात के उच्च घनत्व वाले एयरपोर्ट पर प्रदर्शन में भारी गिरावट की सर्वाधिक प्रमुख हैं। इसमें सिस्टम की धीमापन, डेटा प्रोसेसिंग में देरी और आधुनिक निर्णय-सहायता सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएं शामिल हैं। गिल्ड का मानना है कि ये मुद्दे न केवल परिचालन दक्षता को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि नियंत्रकों के लिए सुरक्षा मार्जिन को भी कमजोर कर रहे हैं।
गिल्ड ने इन चिंताओं को नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा की समग्र समीक्षा के लिए गठित संसद की स्थायी समिति के समक्ष भी रखा था। इन चिंताओं पर समिति ने संज्ञान लेते हुए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं, जो दिल्ली और मुंबई जैसे व्यस्त एयरपोर्ट पर सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण हैं।
समिति की सिफारिशों में एटीसी स्वचालन प्रणालियों का समयबद्ध और व्यापक प्लान तैयार करना, जिसमें एआई आधारित टूल्स को शामिल किया जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। नए सिस्टमों की खरीद और विकास को वैश्विक नवीनतम मानकों के अनुरूप बेंचमार्क करने पर भी समिति ने जोर दिया गया।
इससे ट्रैफिक फ्लो के लिए प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स, एआई-संचालित संघर्ष समाधान उपकरण, उन्नत सतह गति मार्गदर्शन और हवा तथा जमीन प्रणालियों के बीच रीयल-टाइम इंट्रोआप्रेबिलिटी जैसी आवश्यक सुविधाएं हों। इसके अलावा, सभी मौजूदा स्वचालन प्लेटफाॅर्म का तत्काल व्यापक तकनीकी आडिट कराने की सिफारिश थी।
ताकि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान हो और सिस्टम डिग्रेडेशन से उत्पन्न तत्काल जोखिमों को कम किया जा सके। नए सिस्टम्स का विकास और कार्यान्वयन डोमेन विशेषज्ञों तथा कार्यरत एटीसीओ (एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर्स) के साथ निकट परामर्श में किए जाने की सिफारिश थी। जिससे तकनीक उपयोगकर्ता-अनुकूल, प्रभावी और वास्तविक परिचालन जरूरतों के अनुरूप हो।
नाम न छापने की शर्त पर एयरपोर्ट अथाॅरिटी के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने बताया कि संसदीय समिति की सिफारिशों पर अमल करना समय की मांग है। इनका यह भी कहना है कि संसदीय समिति की सिफारिशें तो कुछ महीने पूर्व हुई हैं, इससे पहले ही इस दिशा में व्यापक कदम उठाने की जरुरत थी। विलंब जो भी हुआ, अब और विलंब नहीं होना चाहिए।
यदि इन सिफारिशों पर अमल हो रहा है तो इस अमल की रफ्तार को तेज करना चाहिए। हमें दुनिया के बेहतरीन एयर ट्रैफिक सिस्टम को अपनाना चाहिए। आईजीआई एटीसी में हुई तकनीकी गड़बड़ी पर अधिकारियों ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस तरह की समस्या दुनिया के अन्य देशों में नहीं आती हैं, बल्कि सच तो यह है कि हमारे देश की तुलना में अधिक आती हैं।
लेकिन यह भी सच है कि उनकी तकनीक अत्याधुनिक तकनीक के साथ कदमताल करती है, हमारे यहां नहीं। हमारे यदि एटीसी में समस्याएं कम आती है तो इसका मतलब यह नहीं कि सब कुछ सही चल रहा है। देश में एयरपोर्ट बढ़ रहे हैं, उड़ानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इस तुलना में एटीसी प्रबंधन से जुड़े जितने भी अवयव है उनमें बढ़ोतरी या तकनीकी उन्नयन नहीं हो पा रहा है। इस असंतुलन को दूर करना ही पड़ेगा।
हवाई यातायात प्रणाली को पूरी तरह दुरुस्त व समय की जरत के हिसाब से तैयार रखने की जरुरत है ताकि देश की हवाई यातायात प्रणाली विश्व स्तर की हो, ताकि व्यस्त एयरस्पेस में दुर्घटनाओं का जोखिम न्यूनतम हो जाएगा।
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