सिमी और आईएम को जिंदा करने की साजिश रचने के आरोपित रिहा, यूएपीए में साबित नहीं हो सका आरोप
दिल्ली में सिमी और आईएम को पुनर्जीवित करने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को अदालत ने रिहा कर दिया। यूएपीए के तहत आरोप साबित करने के ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) को फिर से शुरू करने की साजिश रचने के आरोप में फंसे दो व्यक्तियों को पटियाला हाउस की सत्र अदालत ने यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनाने में नाकाम रहा।
सत्र न्यायाधीश जज अमित बंसल गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा-18 और 20 के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ अब्दस सुभान उर्फ तौकीर और आरिज खान उर्फ जुनैद उर्फ सलीम को बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि आरोप पत्र मुख्य रूप से पुलिस हिरासत में आरोपित द्वारा किए गए रहस्योद्घाटन और इकबालिया बयानों पर आधारित थी, जो किसी भी बरामदगी या तथ्यों की खोज के अभाव में सुबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले की आरोप पत्र में रिकाॅर्ड पर ऐसा कोई भी स्वीकार्य सुबूत पेश नहीं जा सके।
इससे यह स्पष्ट हो सके कि दोनों आरोपितों ने भारत में बैन आतंकवादी संगठन सिमी और आइएम की गतिविधि को फिर से शुरू करने की साजिश रची थी या वे उक्त प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सदस्य थे।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपित सिमी और आइएम के वरिष्ठ सदस्य थे और भारत में स्लीपर सेल को फिर से सक्रिय करने के लिए विदेशी देशों में बैठकों सहित एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थे। अदालत ने दोनों आरोपितों को न्यायिक हिरासत से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने वर्ष 2014 में बिजनौर में हुए एक धमाके के बाद जुटाई गई इंटेलिजेंस से जुड़े मामले में प्राथमिकी की थी।
दोनों को तब गिरफ्तार किया गया जब खुफिरया एजेंसियों ने बताया कि सिमी और आईएम के 5-6 सदस्य भारत में अपने कैडर को फिर से जिंदा करने के लिए पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई में बैठक कर रहे थे। यह भी आरोप लगाया गया था कि अब्दुल सुभान भारत में सिमी और आईएम को फिर से जिंदा करने की मुख्य साजिश रचने वालों में से एक था।

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