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Kumar Kushagra Interview: सचिन के कारण क्रिकेटर और धोनी की वजह से बना विकेटकीपर, ऋषभ भैया के आने से टीम का बदला माहौल

आईपीएल के 17वें सत्र की शुरुआत में अब एक सप्ताह से भी कम समय है। इस बार सभी की नजरें अनकैप्ड युवा खिलाड़ियों पर होंगी जिन्हें टीमों ने करोड़ों रुपये में खरीदा है। कुमार कुशाग्र इनमें से एक हैं जिन्हें दिल्ली कैपिटल्स ने 7.20 करोड़ रुपये में खरीदा है। उन्होंने लिस्ट-ए के 23 मुकाबलों में 46.66 के औसत से 700 रन बनाए हैं जिसमें सात अर्धशतकीय पारियां शामिल हैं।

By abhishek tripathiEdited By: Umesh Kumar Published: Sat, 16 Mar 2024 09:53 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2024 09:53 PM (IST)
Kumar Kushagra Interview: सचिन के कारण क्रिकेटर और धोनी की वजह से बना विकेटकीपर, ऋषभ भैया के आने से टीम का बदला माहौल
Kumar Kushagra के साथ जागरण की खास बातचीत। फाइल फोटो

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। दिल्ली कैपिटल्स पहले चरण में अपने घरेलू मैच विशाखापत्तनम में खेलेगी, इसलिए टीम का प्रशिक्षण शिविर भी वहीं लगा है। कुशाग्र अभी वहीं प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनके आदर्श सचिन तेंदुलकर हैं और धोनी की वजह से उन्होंने विकेटकीपिंग करनी शुरू की। अभिषेक त्रिपाठी ने कुमार कुशाग्र से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:-

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नीलामी में जब 7.20 करोड़ रुपये मिलने से जीवन में कितना परिवर्तन आया?

- मैं बहुत उत्साहित था, यह दूसरी बार था जब आईपीएल नीलामी में नाम शामिल हुआ, लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था। पिछली बार मेरा चयन नहीं हो सका था, परंतु इस बार विश्वास था कि प्रदर्शन अच्छा हुआ है तो चयन हो सकता है। मेरी टीम के साथी नीलामी के दौरान मेरे साथ ही बैठे थे, परंतु मैंने उनसे अनुरोध किया कि मैं अकेले ही इसे देखना चाहता हूं। जब मेरा नाम आया तो मेरी धड़कनें तेज हो गईं, परंतु जैसे ही मेरा चयन हुआ टीम के सभी खिलाड़ी मेरे कमरे में घुस गए। मैंने उनसे कहा कि अभी पहले मुझे अपनी मम्मी से बात करने दो। मम्मी बहुत भावुक थीं। मैं भी बहुत भावुक था।

क्रिकेट में अपने अब तक के सफर के बारे में बताइए?

-पापा की प्रबल इच्छा थी कि मैं क्रिकेटर बनूं। छह वर्ष की आयु में वह मुझे पहली बार अकादमी में लेकर गए, परंतु तब मुझे प्रवेश नहीं मिला क्योंकि मैं बहुत छोटा था। इसके बावजूद पापा कार्यालय से आने के बाद मुझे अकादमी में जहां अभ्यास हो रहा होता उस मैदान के किनारे बैठा देते। वह बोलते थे कि देखो सभी लोग कैसे खेलते हैं, इससे सीखो। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो अकादमी जाने लगा, परंतु तब स्कूल जाने के कारण समय कम मिलता था। हमने घर पर ही नेट लगा लिया था। रात में लाइट लगाकर आठ से 12 बजे तक मैं अभ्यास करता था। धीरे-धीरे मुझे टीम में स्थान मिलने लगा। पहले मैंने अंडर-14 खेला, फिर अंडर-19 खेला, फिर रणजी ट्राफी और अब आइपीएल में खेलूंगा।

पापा को क्रिकेट को लेकर इतना जुनून क्यों था?

-पापा जीएसटी में अधिकारी हैं। वह देखते थे उस समय भारत में क्रिकेट का जुनून कैसे बढ़ते जा रहा था। उनकी बहुत इच्छा थी कि मैं क्रिकेट ही खेलूं। मुझे भी कुछ और नहीं करना था। न कहीं घूमना, न कहीं जाना था इसलिए मेरे दिमाग में भी केवल क्रिकेट ही चलता था। आईपीएल में चुनने के बाद मैंने पहले मां से ही बात की थी। पापा को शाम से ही सभी के कॉल आने लगे तो मेरी बात उनसे रात में हुई। उन्होंने मुझसे कहा कि अभी शांत रहना है, जो भी अवसर मिलता है उसको कैसे भुनाना है इसी का प्रयास करना। चाहे रणजी ट्रॉफी हो, आईपीएल हो किसी भी टूर्नामेंट में तुम भाग लो उसमें तुम्हें अपने प्रदर्शन में सुधार का ही प्रयास करना चाहिए।

ऋषभ पंत भी विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। ऐसे में आपकी उनसे खेल को लेकर भी बातें हुईं होंगी। उनके आने से शिविर में क्या परिवर्तन आया है?

-मैंने उन्हें पहली बार ही सामने से खेलते देखा है। पहले दिन हम दोनों ने साथ में ही ओपनिंग की थी। इस दौरान उन्होंने कई सारे शॉट्स लगाए। मुझे भी ऋषभ भैया ने बल्लेबाजी को लेकर बहुत सारे सुझाव दिए। कीपिंग को लेकर भी उन्होंने मुझसे बात की, उन्होंने बताया कि मैं क्या कर सकता हूं कि मेरा खेल बेहतर हो। उनके होने से शिविर का माहौल बहुत सकारात्मक है। अब तो रिकी सर और सौरव सर भी आ गए हैं तो माहौल बहुत अच्छा हो गया है।

आजकल विकेटकीपर-बल्लेबाज की बहुत डिमांड है। आगे अपने भविष्य को कैसे देखते हैं?

-यह सच है कि विकेटकीपर होने से अवसर अधिक मिलेंगे, यद्यपि महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे अपने खेल के स्तर को बढ़ाएं और जो होना है वह हो ही जाएगा। इस स्तर पर हम स्वयं पर कितना भरोसा रखते हैं यह बहुत मायने रखता है। इस स्तर पर दबाव अधिक होता है, इसलिए हम कैसे इस दबाव को कम करें और इन परिस्थितियों में स्वयं पर कितना भरोसा दिखाएं बहुत महत्व रखता है। अगर मैं इसे करने में सक्षम रहा तो आगे बढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी।

झारखंड के विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी देश के सर्वश्रेष्ठ कप्तान रहे हैं। आप भी झारखंड के विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। आप उनसे कितना प्रभावित हैं?

-मैं बचपन से विकेटकीपिंग नहीं करता था। मुझे धोनी को देखकर ही कीपिंग करने का मन हुआ। कीपिंग में सभी की अपनी शैली होती है, लेकिन वह जिस शैली में कीपिंग करते हैं वह अद्भुत है। उनका स्टंपिंग का तरीका, उनकी कैचिंग की शैली सब बहुत विशेष है। मैं बहुत प्रयास करता हूं, परंतु उनके जैसा होना बहुत मुश्किल है। आगे कभी अगर उनसे मिलना हुआ तो उनसे यह अवश्य सीखना चाहूंगा।

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-धोनी और पंत में से आपके आदर्श कौन हैं?

- यह प्रश्न सच में बहुत कठिन है। बचपन में जब मैंने खेलना शुरू किया था तब मेरे आदर्श सचिन तेंदुलकर थे, लेकिन मैंने धोनी सर को देखकर कीपिंग शुरू की। ऋषभ भैया से मेरी मुलाकात अभी हुई है। वह मुझे अपनी खेल में सुधार करने में मदद कर रहे हैं। ईशान भैया से भी मैंने बहुत सीखा है। मैं उनसे अक्सर बातें करता हूं और वह मुझे बहुत मदद करते हैं। झारखंड टीम में साथ खेलने से मुझे उनसे सीखने में बहुत मदद मिलती है।

आईपीएल जूनियर क्रिकेटरों और विशेषकर उन राज्यों के खिलाड़ियों के लिए वैसा मंच बन गया है जिन्हें पहले कम अवसर मिलता था। इसे आप कैसे देखते हैं?

-यह एक ऐसा मंच है जिसे पूरा विश्व देखता है। इसमें विदेशी खिलाड़ी भी होते हैं। ऐसे में इतने संघर्षपूर्ण वातावरण में अगर आप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो यह दर्शाता है कि आप एक मजबूत खिलाड़ी हैं। छोटे राज्यों में खेलने से हमें ऐसा मंच और दबाव वाला वातावरण नहीं मिलता जिसमें हम स्वयं को निखारकर आगे बढ़ सकें। इसलिए हमारे लिए यह मंच बहुत बड़ा है।

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