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    'मेरे कंधे से एक बड़ा बोझ उतर गया', इंग्लैंड सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी से पहले हार्दिक पांड्या ने ऐसा क्यों कहा?

    Updated: Wed, 05 Feb 2025 05:00 PM (IST)

    हार्दिक पांड्या ने भारत को पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप जिताने में अहम रोल निभाया था। उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच में बेहतरीन गेंदबाजी की थी और भारत को खिताब दिलाया था। पांड्या चैंपियंस ट्रॉफी में उसी तरह का प्रदर्शन करने को तैयार हैं। इस बड़े टूर्नामेंट से पहले पांड्या ने अपने खेल को लेकर आईसीसी से बात की है।

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    हार्दिक पांड्या टीम इंडिया का अहम हिस्सा हैं

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या भारत के लिए आईसीसी टूर्नामेंट में अहम खिलाड़ी रहे हैं। पिछले वर्ष उन्होंने टी-20 विश्व कप में भारत की खिताबी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। अब हार्दिक 19 फरवरी से पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात में शुरू हो रही चैंपियंस ट्राफी में भी टीम का हिस्सा हैं और टीम को 12 साल बाद चैंपियन बनाने के लिए तैयार हैं। हार्दिक ने आईसीसी से कहा कि वह अपने लिए नहीं भारत के लिए खेलते हैं और पिछले साल बारबाडोस में विश्व कप जीतने से उनके कंधे से एक बड़ा बोझ उतर गया।

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    पेश है हार्दिक से विशेष बातचीत के मुख्य अंश

    सवाल- दुर्भाग्य से आप 2023 वनडे विश्व कप में चोटिल हो गए थे। अब चैंपियंस ट्राफी को लेकर खुद पर क्या दबाव महसूस करते हैं?

    हार्दिक पांड्या: आईसीसी टूर्नामेंट में हमेशा ही दबाव होता है। बस ये इस बारे में है कि कौन दबाव बेहतर झेलता है। मैं बस यह कहना चाहता हूं कि मैं, हार्दिक पांड्या के लिए नहीं खेलता। मैं टीम के लिए खेलता हूं। मैं भारत के लिए खेलता हूं और चैंपियंस ट्रॉफी में भी यही करूंगा। जब मैं मैदान के अंदर आता हूं तो अपने काम को सर्वश्रेष्ठ तरीके से करने की कोशिश करता हूं। चाहे वह अंत में दो गेंद खेलना हो या 60 गेंदें खेलना हो। मुझे लगता है कि इससे मुझे अपने करियर में बहुत मदद मिली है।

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    सवाल- चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान से अहम मुकाबला है। 2022 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट मैदान में इसी टीम के विरुद्ध टी-20 विश्व कप में हुए मुकाबले के बारे में क्या कहेंगे?

    हार्दिक पांड्या- 2022 में ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान के विरुद्ध मुकाबले में जब मैं मैदान में घुसा और उस माहौल को देखा और जिस तरह की ऊर्जा प्रशंसकों और दर्शकों के रूप में देखने को मिल रही थी, वह अद्भुत थी। मुझे बस उसकी आदत डालनी थी। हालांकि मैंने कई मैच खेले हैं, लेकिन वह माहौल बहुत ही अभिभूत करने वाला था। जहां मैं इस तरह के माहौल को देखकर बहुत उत्साहित और खुश था।

    जाहिर तौर पर वह भारत और पाकिस्तान मुकाबला था। यह प्रतिद्वंद्विता वर्षों से है, जो हम मैदान पर करते आ रहे हैं। उसी समय, बहुत सारी भावनाएं, जुड़ाव, उत्साह होता है। यह एक ऐसा टकराव है जिसे लोग इसके लिए याद करते हैं। हर कोई इस मुकाबले के लिए इंतजार करता है।

    सवाल- उस मुकाबले में आपकी रणनीति क्या थी, खासकर 14वां ओवर फेंकते समय?

    हार्दिक पांड्या- मेरी योजना बहुत सरल थी। जब मैं दूसरे स्पैल के लिए आया तो टीम को विकेट की आवश्यकता थी। मुझे पता था कि वे अब बाउंड्री मारने की कोशिश करेंगे और एक अच्छा स्कोर बनाने की कोशिश करेंगे। मैं विकेट लेना चाहता था। यही मानसिकता थी और मुझे लगता है कि यही कारण है कि मैं शादाब खान और हैदर अली का विकेट लेने में सफल रहा। मैं ऐसा व्यक्ति रहा हूं जो अच्छी लेंथ और लाइन में गेंदबाजी करना पसंद करता है। यही मेरी ताकत है। मेरे पास निश्चित रूप से जसप्रीत बुमराह जैसी विविधता और कौशल नहीं है। बैक आफ लेंथ गेंदबाजी करना मुझे पसंद है और यही मेरी ताकत है।-

    सवाल- पाकिस्तान के विरुद्ध उस मैच में विराट के रऊफ को लगाए छक्के पर क्या कहेंगे?

    हार्दिक पांड्या- आप जानते हैं कि उन्होंने जो शॉट खेला, वह प्रतिद्वंद्वी की कमर तोड़ने जैसा था क्योंकि इससे गेंदबाज को संदेश जाता है, जो लाखों दर्शकों के सामने गेंदबाजी कर रहा होता है और लाखों लोग घर से उसे देख रहे होते हैं। जब आप लड़ाई में रहते हैं तो आप जानते हैं बहुत सही चीजें आपके रास्ते में आ सकती हैं। और मुझे लगता है अब तक के प्रतिष्ठित मैचों में से एक रहेगा।

    सवाल- बात करते हैं पिछले वर्ष बारबाडोस में हुए टी-20 विश्व कप फाइनल की। उस मैच में आपने खतरनाक दिख रहे हेनरिक क्लासेन का विकेट लिया था। इस बारे में कुछ बताएं?

    हार्दिक पांड्या- रोहित शर्मा और मैं इतने सालों से साथ खेल रहे हैं। वह जानता है कि मेरा व्यक्तित्व कैसा है और मैं क्रिकेट के प्रति जागरूकता को कितना महत्व देता हूं इसलिए गेंद से ठीक पहले, मैंने उसे बताया कि मैं क्लासेन को वाइड गेंद करूंगा और मुझे पता था कि वह स्टंप पर गेंद की उम्मीद करेगा। उसका पैर थोड़ा लेग साइड में था, इसलिए मुझे पता था कि वह मुझे वहां मारने की कोशिश करेगा।

    मैंने रनअप से ठीक पहले बस उसकी तरफ देखा और खुद से कहा कि मैं धीमी गेंद डालूंगा क्योंकि हमने उस तरह से फील्ड नहीं लगाई थी। मैं उसे चकमा देना चाहता था। जिस तरह से वह गेंद को मार रहा था वह बहुत शानदार था और क्लासेन के विकेट ने हमारे लिए जीत का रास्ता खोल दिया।

    सवाल- बारबाडोस में आखिरी ओवर फेंकने के बारे में क्या कहेंगे?

    हार्दिक पांड्या- मैंने हमेशा इस स्थिति में रहने का आनंद लिया और यह मुझसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराता है। मैंने हमेशा सोचता था कि अंतिम ओवर में गेंदबाजी करके या विजय रन मारकर विश्व कप ट्रॉफी जीतूंगा। बारबाडोस में ड्रेसिंग रूप की ओर से तेज हवा चल रही थी। मुझे पता था कि बल्लेबाज को मुझे हवा के विरुद्ध मारना होगा, जिसमें उसके चूकने की संभावना अधिक है।

    मेरी ताकत स्टंप यॉर्कर होगी, लेकिन मैंने कुछ विशेष कारण से स्टंप के बाहर गेंद डाली, जिससे बल्लेबाज हवा के विरुद्ध मारे, ना कि वह जहां उसके अनुकूल हो। हम उस परिस्थिति को लेकर सजग थे और अपनी ताकत को अधिक जानते थे। मुझे लगता है कि यही कारण था कि हम अपनी योजनाओं को लेकर शांत और संयमित थे।

    सवाल- फाइनल में आपने अंतिम ओवर डाला था। डेविड मिलर के विकेट और सूर्यकुमार यादव के कैच के बारे में बताएं?

    हार्दिक पांड्या- रोहित और मैंने मैच के बाद भी इस बारे में बात की। जब मिलर ने शॉट मारा तो लग रहा था कि यह 30 गज की दूरी पर ही गिर जाएगी या फील्डर को कैच लेने के लिए अंदर आना होगा और। लेकिन मुझे लगता है कि हवा ने उसे काफी दूर पहुंचा दिया। यह इतना सीधा नहीं था। जाहिर तौर पर भावनाएं ऊपर-नीचे हो रही थीं क्योंकि पहले लगा था कि गेंद सिर्फ ऊपर गई है, लेकिन बाद में लगा कि गेंद दूर जाती जा रही है, जाती जा रही है, रुक नहीं रही है। जाहिर है सूर्य ने जो किया, वह बहुत ही सूझबूझ और शांति के साथ किया था। यह निश्चित तौर पर बहुत-बहुत शानदार था।

    सवाल- भारत के फिर से टी-20 विश्व कप जीत को कैसे देखते हैं?

    हार्दिक पांड्या- आप जानते हैं कि हम एक टीम के रूप में जीते लेकिन इसमें मेरे लिए इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना बिलकुल अवास्तविक था। आप जानते है कि यह एक सपना था जो सच हो गया। मेरे कंधे से एक बड़ा बोझ उतर गया। मुझे लगता है कि इससे पहले के जो छह, सात, आठ महीने गए थे, उससे राहत मिली। वास्तव में, मैं जिस तरह से खड़ा हो पाया, उस पर मुझे बहुत गर्व है, आप जानते हैं।

    शायद बहुत ज्यादा भावनाएं नहीं दिखा पाया था कि उससे पहले मैं किस तरह की स्थितियों से गुजरा था। यह बोझ बस दूर हो गया, कंधे पर 140 करोड़ लोगों की उम्मीदों का बोझ उठाने का दबाव बस दूर हो गया। अंत में बस मन में यही था कि मैंने अपने देश के लिए यह कर दिखाया।

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