कमेंट्री पैनल में क्यों होते हैं 3 लोग, क्या है इनका काम और क्यों गिर रहा इसका स्तर? आकाश चोपड़ा ने किया खुलासा
हिंदी कमेंट्री में पैनेपन की कमी साफ दिख रही है। क्रिकेट के तकनीकी पहलुओं पर बात करने के बजाए शेरो-शायरी को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। राइमिंग का च ...और पढ़ें

2 से 3 लोग करते हैं कमेंट्री।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिल में कमेंट्री की अलग जगह है। रेडियो के जरिये फैंस को क्रिकेट मैच का आंखों देखा हाल जानने को मिलता था। 1961 में भारत में क्रिकेट मैच की कमेंट्री की शुरुआत हुई। रवि चतुर्वेदी हिंदी कमेंट्री के पहले कमेंटेटर बने, जिन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर कार्यक्रम प्रसारित किया।
कम नहीं हुआ क्रेज
रेडियो के बाद टीवी आ गई, जहां क्रिकेट प्रेमी ऑडियो विजुअल माध्यम में मैच देख पा रहे थे, लेकिन फिर भी कमेंट्री का क्रेज कम नहीं हुआ। इसमें नयापन आया। रेडियो की मशहूर आवाजें सुशील दोषी से लेकर जसदेव सिंह और फिर अरुण लाल ने टीवी पर भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इन्होंने शालीनता के साथ क्रिकेट की बात की और फैंस के दिलों में जगह बनाई।
फैंस को अब नहीं भा रही
मगर अब हालात बदल रहे हैं। हिंदी कमेंट्री में पैनेपन की कमी साफ दिख रही है। क्रिकेट के तकनीकी पहलुओं पर बात करने के बजाए शेरो-शायरी को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। राइमिंग का चलन काफी बढ़ गया है। आधुनिक युग में हिंदी कमेंट्री का स्तर फैंस के दिलों में घर नहीं कर पा रहा है। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है? पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने इस पर खुलकर अपने विचार प्रकट किए। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि कमेंट्री पैनल में मौजूद अलग-अलग लोगों का क्या काम होता है?
सबको अपनी पहचान बनानी है
लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने बताया, "हर किसी को अपना एक फ्लेवर लाना है। लोग अपनी पहचान बनाना चाह रहे हैं। सभी वही काम करने लगे हैं। ऐसे में लगने लगा है कि आप मुशायरे में आए हैं। टेस्ट मैच में तुकबंदी नहीं दिखेगी। वहां कहानियों की जगह है। लंबा मैच होता है, धीरे-धीरे खेला जाता है। टी20 में हर चौथी गेंद पर चौका-छक्का लगता है। जल्दी-जल्दी विकेट गिरते हैं। लिमिटेड टाइम है, ऐसे में क्रिकेट की बात नहीं हो पाती है।"
पैनल में होते हैं 3 लोग
आकाश ने बताया, "कमेंट्री में 3 लोगों का पैनल होता है। एक कॉलर होता है, एक एक्सपर्ट होता है और एक कलर होता है। कॉलर का काम होता है वह एक्शन को कॉल करता है। लगातार चौके लगते हैं तो उसे 4-6 शब्दों में बयां करना होता है। कॉलर के बाद आता है एक्सपर्ट का रोल। एक्सपर्ट रिप्ले में समझाता है कि यह कैसे लगा। इसके बाद तीसरे का रोल आता है। पहले 2 कमेंटेटर से जो चीज मिस होती हैं, उसके बारे में तीसरा बताता है। हालांकि, तीनों लोग इस समय लच्छेदार भाषा में बात कर रहे हैं, ऐसे में कमेंट्री का स्तर गिर रहा है।"
कमेंट्री में क्यों होते 3 लोग
- खेल का विस्तृत, संतुलित और जानकारीपूर्ण कवरेज देने के लिए कमेंट्री पैनल में 3 लोग होते हैं।
- मुख्य कमेंटेटर खेल के हर पल का सीधा, रोमांचक और सिलसिलेवार वर्णन करता है।
- विश्लेषक खेल की बारीकियों, प्लेयर्स की तकनीक, रणनीति और खेल के उतार-चढ़ाव के पीछे के कारणों को बताता है।
- होस्ट स्टूडियो या मैदान से जानकारी देते हैं, दोनों कमेंटेटरों से बात करते हैं, दर्शकों के सवाल लेते हैं। कई बार ये स्टूडियों में ही मौजूद होते हैं।

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