Rishabh Pant: ऋषभ पंत ने छात्रा की मदद को बढ़ाया हाथ, 40 हजार रुपये फीस जमा कर जीता दिल
ज्योति ने 12वीं की परीक्षा में 83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। वह बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) में प्रवेश लेना चाहती थी लेकिन आर्थिक तंगी ने उसके सपनों पर रोक लगा दी। उसके पिता तीर्थय्या गांव में एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं और बेटी की कॉलेज फीस चुकाने में असमर्थ थे। उन्होंने मदद की गुहार लगाई थी। बात ऋषभ तक पहुंची तो पंत ने मदद की।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत ने कर्नाटक के छोटे से गांव की मेधावी छात्रा ज्योति कणाबूर मठ की मदद कर पंत ने यह दिखा दिया कि असली हीरो मैदान से बाहर भी होता है। ज्योति बागलकोट जिले के बिलगी तालुक के रबकवी गांव की रहने वाली हैं।
ज्योति ने 12वीं की परीक्षा में 83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। वह बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन) में प्रवेश लेना चाहती थी, लेकिन आर्थिक तंगी ने उसके सपनों पर रोक लगा दी। उसके पिता तीर्थय्या गांव में एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं और बेटी की कॉलेज फीस चुकाने में असमर्थ थे। इसी बीच गांव के ही स्थानीय ठेकेदार अनिल हुनशिकट्टी से मदद की गुहार लगाई गई।
Rishabh Pant has helped a young girl from Karnataka pursue her Degree, The girl say they are grateful to for the gesture. ❤️
"May God bless Rishabh Pant with good health. His help means a lot to me. I hope he continues to support other students from poor backgrounds like me." pic.twitter.com/sm7WNcm7WF
— RP17 Gang™ (@RP17Gang) August 6, 2025
40 हजार रुपये किए जमा
अनिल ने न केवल ज्योति की दाखिले में मदद का भरोसा दिलाया, बल्कि अपने बेंगलुरु स्थित दोस्तों से भी संपर्क किया। इन्हीं दोस्तों ने ऋषभ पंत तक यह बात पहुंचाई। जब पंत को ज्योति की कठिन परिस्थितियों के बारे में पता चला, तो उन्होंने 17 जुलाई को सीधे कॉलेज के खाते में 40,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए, जिससे ज्योति का प्रथम सेमेस्टर का शुल्क चुकाया जा सका।
ज्योति ने दिया धन्यवाद
भावुक ज्योति ने कहा, बीसीए करना मेरा सपना था, लेकिन आर्थिक स्थिति ने रास्ता रोक दिया। अनिल अन्ना ने मेरे लिए पहल की और ऋषभ पंत सर तक मेरी बात पहुंचाई। उन्होंने मेरी मदद की, इसके लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी। ईश्वर उन्हें लंबी उम्र और स्वास्थ्य दे। मेरी तरह ही कई गरीब छात्रों की वो मदद करते रहें।
पंत की हो रही प्रशंसा
ऋषभ पंत के इस निस्वार्थ कार्य की पूरे देश में प्रशंसा हो रही है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब खिलाड़ी समाज के प्रति संवेदनशील होते हैं, तो वे न सिर्फ खेल में बल्कि मानवता के मैदान में भी विजेता कहलाते हैं।
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