MS Dhoni B'day: एमएस धोनी के वो फैसले जिन्होंने बदल दी टीम इंडिया की तकदीर, आज भी होती है चर्चा
भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी का आज जन्मदिन है। धोनी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी कप्तानी में भारत ने हर एक ट्रॉफी जीती। धोनी ने अपनी कप्तानी में कई ऐसे फैसले किए जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की तकदीर बदलकर रख दी।
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तानों में शुमार एमएस धोनी का आज जन्मदिन है। धोनी बेहद शांत और शातिर कप्तानों में गिने जाते थे। वह भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के महान कप्तानों में गिने जाते हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत दबाव में भी शांत रहना थी और इसी के दम पर उन्होंने कई ऐसे फैसले किए जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की किस्मत बदल कर रख दी। हम आपको धोनी के जन्मदिन के मौके पर उनके ऐसे कुछ फैसलों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने भारत को नई राह पर मोड़ दिया।
धोनी अभी तक इकलौते कप्तान हैं जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता। ये कारनामा 2007 में हुआ। फिर उनकी कप्तानी में ही भारत ने साल 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता। दो साल बाद धोनी की कप्तानी में ही भारत ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती।
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धोनी के मतवाले फैसले
रोहित शर्मा को ओपनर बनाना
रोहित शर्मा की गिनती भारत के सबसे सफल ओपनरों में होती है। रोहित ने टेस्ट में काफी बाद में ओपनिंग करना शुरू किया लेकिन वह वनडे और टी20 में लंबे समय से ओपनर की भूमिका निभाते आए। ये धोनी का ही फैसला था कि उन्होंने रोहित को मिडिल ऑर्डर से बाहर निकाल ओपनर बनाया। बाकी रोहित ने अपने बल्ले से इतिहास रच बता दिया कि धोनी ने उनकी किस खासियत को पहचाना था।
अपनी पोजीशन की कुर्बनी
धोनी ने सौरव गांगुली की कप्तानी में अपना डेब्यू किया। गांगुली ने धोनी को टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करवाई। इसी का नतीजा था कि धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 148 और फिर श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की पारियां खेलीं। ये दोनों पारियां उन्होंने नंबर-3 पर खेली। हालांकि, धोनी जब कप्तान बने तो वह खुद नंबर 6 -7 पर खेलने लगे। ये फैसला उन्होंने युवाओं को मौका देने और टीम हित के लिए लिया। धोनी इसके बाद दुनिया के सबसे बड़े फिनिशरों में शामिल हो गए।
कई सीनियर खिलाड़ियों को बाहर करना
धोनी जब कप्तान बने तो उन्होंने एक युवा टीम बनाने पर जोर दिया। इसी का नतीजा था कि 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ी नहीं थे। टेस्ट में भी धोनी ने युवा खिलाड़ियों को मौके दिए। उनके ऊपर सीनियर खिलाड़ियों की अनदेखी करने के आरोप लगे, लेकिन उनकी जीतों ने बता दिया की फैसले सही थे।
2013 चैंपियंस ट्रॉफी का दांव
2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद धोनी ने विजेता टीम के कई खिलाड़ियों को धीरे-धीरे साइडलाइन कर दिया। वनडे और टी20 में तो वह युवा खिलाड़ियों को लेकर आए। हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर को बाहर का रास्ता दिखा दिया है और नतीजा ये रहा कि उनकी कप्तानी में युवा खिलाड़ियों ने 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की।
टेस्ट से अचानक संन्यास
धोनी को पारखी कहा जाता है। वह सिर्फ खिलाड़ियों को नहीं परखते बल्कि समय को भी परखते हैं और समय को देखते हुए ही धोनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अचानक टेस्ट से संन्यास ले लिया था। टीम अच्छा नहीं कर रही थी और वह जानते थे कि अब बदलाव का समय आ गया। टेस्ट से संन्यास लेकर उन्होंने बागडोर विराट कोहली के हाथों में सौंपी जो भारत के बेहतरीन कप्तानों में गिने जाते हैं। यही धोनी की खासियत थी।
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