पिता के संघर्ष का ईनाम है शुभमन गिल की सफलता, लखविंदर ने यूं तैयार किया भारत का कप्तान, जानिए पूरा सफर
चीफ सेलेक्टर अजीत अगकर ने जब शुक्रवार को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम का एलान किया तो वही हुआ जिसके कयास लगाए जा रहे थे। रोहित शर्मा के टेस्ट से संन्यास के बाद शुभमन गिल को कप्तानी सौंपी गई ये। ये गिल के परिवार के संघर्ष का ही नतीजा है कि वह आज यहां तक पहुंचे हैं।

नई दिल्ली, पीटीआई: शुभमन गिल 20 जून को जब सफेद टी-शर्ट के ऊपर नीले (नेवी ब्लू) रंग के कोट में इंग्लैंड के लीड्स मैदान पर टॉस के लिए उतरेंगे तो उनके पिता लखविंदर सिंह गिल और दादा दीदार सिंह का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा, क्योंकि उन्हें वर्षों की मेहनत का सुखद फल मिलेगा।
लखविंदर ने जब शुभमन के क्रिकेट कौशल को देखकर भारत और पाकिस्तान की सीमा से महज 10 किलोमीटर दूर पंजाब के फाजिल्का जिले के अपने गांव चाख खेरा वाला से मोहाली जाने का फैसला किया तो उनके पास कोई दूसरी योजना नहीं थी। शुभमन उस समय नौ साल के थे। उन्होंने उस उम्र तक सिर्फ एक ही खिलौना खेला था और वह था उनके दादा से मिला बल्ला।
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पिता ने दिया बलिदान
इसके साथ ही यह एक ऐसे ही पिता की कहानी है जो अपने बेटे को भारतीय टीम में पहुंचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। शुभमन इंग्लैंड दौरे पर जब भारतीय टीम की अगुवाई करेंगे तो यह लखविंदर के पिछले 16 साल की मेहनत का परिणाम होगा। शुभमन जब 2018 में अंडर-19 विश्व कप में पाकिस्तान के विरुद्ध शतक लगाकर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे। उनके दादा दीदार अपने फाजिल्का स्थित घर के विशाल आंगन में एक अस्थायी पिच बनवा सकते थे और पिता चार लोगों के परिवार को चंडीगढ़ ले जाने का जोखिम उठा सकते थे। हालांकि, यह गांव में उनके आरामदायक जीवन से बहुत दूर था।
घावरी ने पहचानी प्रतिभा
गिल के ख्वाबों को 2011 में उस समय उड़ान भरने का और बड़ा मौका मिला जब भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी की नजर उन पर पड़ी। घावरी बीसीसीआई की मदद से पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) के लिए आयोजित तेज गेंदबाजों की शिविर में गए थे। उन्हें वहां यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कोई भी बल्लेबाज तेज गेंदबाजों के विरुद्ध बढ़िया तकनीक से बल्लेबाजी नहीं कर रहा था। घावरी इसके बाद अपने किसी सहायक के साथ पीसीए स्टेडियम के बाहर अंडर-14 स्तर का मैच देखने के लिए पहुंचे और वहां एक किशोर खिलाड़ी की तकनीक ने उन्हें काफी प्रभावित किया।
वह उस लड़के के बारे में पता करने के लिए पास ही पेड़ की छाया में खड़े होकर पूरी प्रक्रिया को ध्यान से देख रहे एक व्यक्ति के पास पहुंचे और पूछा कि वह लड़का कौन है? कहां रहता है।? किसमत से वह लखविंदर थे जो अपने बेटे को बल्लेबाजी करते हुए देख रहे थे। लखविंदर ने कहा कि वह मेरा बेटा शुभमन है और वह 12 साल का है। भारत के लिए 100 से ज्यादा विकेट लेने वाले घावरी ने इसके बाद उन्हें तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए शिविर में बुलाया। इस शिविर में 12 साल का यह खिलाड़ी संदीप शर्मा जैसे तत्कालीन भारत के अंडर-19 तेज गेंदबाजों का डटकर सहजता से सामना करने में सफल रहा।
अंडर-14 में मिली जगह
घावरी की सिफारिश के बाद गिल को पंजाब अंडर-14 टीम में शामिल किया गया। भारतीय टीम जब 2018 दौरे के लिए इंग्लैंड जा रही थी जब एमएसके प्रसाद की चयन समिति ने टीम में अनमोलप्रीत सिंह को मौका देने का मन बनाया था लेकिन कोच राहुल द्रविड़ की अनुरोध पर गिल को चुना गया। प्रसाद ने कहा कि उस सत्र में अनमोलप्रीत ने शानदार बल्लेबाजी की थी और पांच में से एक चयनकर्ता किसी भी हाल में उन्हें टीम में चुनने की मांग कर रहे थे।
उस समय द्रविड़ एनसीए और भारत ए टीम के कोच थे उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लिए गिल को टीम में रखने की वकालत करते हुए अनमोलप्रीत को किसी और दौरे (ए टीम) पर भेजने की सलाह दी। प्रसाद ने कहा कि हम उनकी मांग को ठुकरा नहीं सके। शुभमन ने इसके कुछ महीने बाद अंडर 19 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। अनमोलप्रीत के पास रन थे लेकिन शुभमन के पास तकनीक और दबाव को झेलने वाला स्वभाव था।
द्रविड़ ने खास देखा था
द्रविड़ ने कुछ खास देखा था और वह नहीं चाहते थे कि यह लड़का घरेलू क्रिकेट में ज्यादा समय तक टिका रहे। टेस्ट मैचों में उनकी बल्लेबाजी में सुधार की काफी गुंजाइश है लेकिन उनकी कलाइयां लचीली हैं, शरीर मजबूत है और साथ ही उनका 'स्टांस' भी अच्छा है। उन्होंने एकदिवसीय में कुछ कमाल की पारियां खेली है। गिल भी कोहली की तरह सहजता से पुल और कवर-ड्राइव लगाते हैं। उन्होंने घरेलू पिचों पर खुद को साबित किया है लेकिन इंग्लैंड में उनकी बल्लेबाजी की असली परीक्षा होगी।
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