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U-19 World Cup स्‍टार Archana Devi की मां सावित्री देवी को लोग बोलते थे डायन, बेटी को बेचने का आरोप भी लगा

Archana Devi mother Savitri Devi आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्‍ड कप में भारतीय टीम की जीत की प्रमुख सदस्‍य रही अर्चना देवी की मां के संघर्ष को दुनिया कभी नहीं भूल पाएगी। बेटी को क्रिकेटर बनाने के पीछे सावित्री ने समाज की खरी-खरी सुनी।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek NigamPublished: Mon, 30 Jan 2023 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 12:05 PM (IST)
U-19 World Cup स्‍टार Archana Devi की मां सावित्री देवी को लोग बोलते थे डायन, बेटी को बेचने का आरोप भी लगा
अर्चना देवी की मां सावित्री ने समाज की काफी बुराइयां झेली

नई दिल्‍ली, स्‍पोर्ट्स डेस्‍क। आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्‍ड कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली अर्चना देवी को अब ज्‍यादातर लोग जानने लगे हैं। अर्चना ने इंग्‍लैंड के खिलाफ फाइनल में ग्रेस स्‍क्रीवंस और नियाम हौलेंड के महत्‍वपूर्ण विकेट लिए और मैक्‍डोनाल्‍ड गे का शॉर्ट कवर्स में दर्शनीय कैच भी लपका था।

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अर्चना देवी के क्रिकेटर बनने के पीछे उनकी मां ने कड़ी तपस्‍या की और समाज की आलोचनाओं को भी झेला। सावित्री के पति का कैंसर के कारण निधन हुआ तो बेटे ने सांप के काटने के बाद अंतिम सांस ली। इस कारण सावित्री को लोग डायन बुलाते थे। इसके बाद रिश्‍तेदारों ने सावित्री पर इल्‍जाम लगाए कि उन्‍होंने बेटी अर्चना को गलत रास्‍ते पर भेज दिया।

आरोपों को चुपचाप सहन किया

सावित्री ने जब उत्‍साहित बेटी का कस्‍तूरबा गांधी अवासीय बालिका विद्यालय में दाखिला कराया तो पड़ोसियों ने कानाफूसी की थी कि मां ने अर्चना को किसी दलाल के पास बेच दिया है। लड़कियों का यह बोर्डिंग स्‍कूल गंज मुरादाबाद में है, जो उत्‍तर प्रदेश के उन्‍नाव में उनके गांव रतई पुरवा से करीब 15-20 किमी दूर है।

सावित्री ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से फोन पर बातचीत में कहा, 'लड़की को बेच दिया। लड़की को गलत धंधे में डाल दिया है। ये सारी बातें मेरे मुंह पर बोलते थे।' जिस दिन सावित्री की बेटी अर्चना महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्‍ड कप फाइनल खेल रही थी, तब उनके घर मेहमानों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। सावित्री ने बताया, 'अब मेरा घर मेहमानों से भरा है और मेरे पास देने के लिए उन्‍हें कंबल तक नहीं हैं। पड़ोसी, जो मेरे घर से एक गिलास पानी भी नहीं पीते थे, वो अब मदद कर रहे हैं।'

गांववाले देखकर रास्‍ता बदल लेते थे

बता दें कि अर्चना के पिता शिवराम का 2008 में कैंसर के कारण देहांत हो गया था। वो सावित्री पर काफी लोन और तीन युवा बच्‍चों की देखभाल का जिम्‍मा छोड़ गए थे। 2017 में सावित्री के छोटे बेटे बुद्धिमान सिंह की सांप के काटने से मृत्‍यु हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों ने सावित्री को बिल्कुल नहीं बख्‍शा।

अर्चना के बड़े भाई रोहित कुमार ने कहा, 'गांववाले मेरी मां को डायन बुलाते थे। कहते थे पहले अपने पति को खा गई, फिर अपने बेटे को, इनको देख लेते थे तो रास्‍ता बदल लेते थे। हमारे घर को डायन का घर कहा जाता था।' रोहित ने मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी गंवा दी थी। उन्‍होंने बताया कि बच्‍चों की परवरिश के लिए उनकी मां ने कितनी तकलीफें सही हैं।

मां ने कभी हार नहीं मानी

रोहित ने बताया, 'हर साल हमने बाढ़ का सामना किया। आधे समय हमारे खेत गंगा नदी के कारण पानी से भरे रहते थे। हम अपनी एक गाय और भैंस के दूध पर निर्भर थे। हम इतने साल केवल अपनी मां के कारण जी सके हैं। उन्‍होंने मुझे अपना ग्रेजुएशन पूरा करने पर जोर दिया और अब चाहती हैं कि मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूं।' अपनी जिंदगी में रुकावटों को दरकिनार करती हुई सावित्री बस आगे बढ़ती गईं। उनके बेटे के आखिरी शब्‍द उन्‍हें आगे बढ़ाते थे, 'अर्चना को अपना सपना पूरा करने देना।'

रोहित ने बताया, 'अर्चना पहले बुद्धिमान के साथ क्रिकेट खेलती थी, जो उससे केवल एक साल बड़ा था। अर्चना ने शॉट मारा और गेंद एक निर्माण वाले कमरे में गई। पिता की मृत्‍यु के बाद हम उसे कभी नहीं बना सके। हर बार बुद्धिमान बल्‍ले से गेंद निकालता था। मगर तब उसने हाथ का उपयोग किया और कोबरा ने उसे काट लिया। वो अस्‍पताल के रास्‍ते में चल बसा। उसके आखिरी शब्‍द थे, 'अर्चना को क्रिकेट खिलाओ।' बुद्धिमान की मौत के बाद जब अर्चना स्‍कूल लौटी तो अपने क्रिकेट को गंभीरता से लेने लगी और मेरी मां ने उसे कभी नहीं रोका।'

खाना बनाने में व्‍यस्‍त थी मां

महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्‍ड कप फाइनल के दिन सावित्री का घर मेहमानों से भरा था। सभी लोग कह रहे थे कि तुम लोगों की तो किस्‍मत बदल गई। मगर इन सबसे परे सावित्री चूल्‍हें में 20-25 लोगों का खाना बनाने में व्‍यस्‍त रही। 21 साल के रोहित ने अपनी मां के हाथ से स्‍मार्टफोन लेकर कहा, 'मेरी मां बहुत महान है, जिन्‍होंने एक चवन्‍नी कभी मदद नहीं किया, वो आज मेहमान बने हुए हैं और ये सबको चाय पिला रही हैं।'

कुलदीप यादव को श्रेय

रोहित ने अर्चना को प्रोत्‍साहित करने के लिए कुलदीप यादव को श्रेय दिया। रोहित ने कहा, 'कुलदीप यादव कहते थे- अर्चना तुम्‍हें भी इंडिया के लिए क्रिकेट खेलना है। अर्चना पलटकर कहती थी- हां भैया। एक दिन कुलदीप यादव एकेडमी के कुछ बच्‍चों को लेकर लंच पर गए थे। रास्‍ते में अर्चना ने पूछा कि भैया ये कौन-सी गाड़ी है? कुलदीप भाई ने पलटकर कहा, 'जब बड़ी स्‍टार बन जाओगी तो इससे भी अच्‍छी गाड़ी लेना और हम सब को घुमाना।' आज अर्चना ने अपने घर का सपना पूरा किया और अब अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाने को बेकरार हैं।

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