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    2007 Ind vs Pak: श्रीसंत ने लपका भारत का वर्ल्ड कप, MS Dhoni ने रचा इतिहास; कभी नहीं भूल सकते ये जश्न का पल

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 11:44 AM (IST)

    2007 Ind vs Pak साल 2007 में 24 सितंबर की तारीख को भारतीय क्रिकेट टीम ने टी20 विश्व कप के फाइनल मैच में पाकिस्तान को 5 रन से मात दी थी। साउथ अफ्रीका के जोहानसबर्ग में दुनिया को पहला टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन मिला था। महेंद्र सिंह धोनी की अंडरडॉग टीम ने रोमांच की हदें पार करने वाले मैच में पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

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    2007 IND vs PAK: 18 साल पहले आज चैंपियन बना था भारत

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। 2007 IND vs PAK T20 World Cup: साल 2007, जगह थी साउथ अफ्रीका का जोहानसबर्ग… और तारीख थी 24 सितंबर। पहली बार टी20 वर्ल्ड कप खेला जा रहा था और फाइनल में आमने-सामने थे भारत और पाकिस्तान। माहौल ऐसा था मानो सड़कों पर सन्नाटा पसर गया था। लोग टीवी स्क्रीन पर चिपके पड़े थे और हर तरह टेंशन का माहौल था।

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    उस वक्त छह महीने पहले ही टीम इंडिया वनडे वर्ल्ड कप में बुरी तरह हारकर बाहर हुई थी। जिसके बाद सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने टी20 में खेलने से इनकार कर दिया था। ऐसे में कप्तानी दी गई थी महेंद्र सिंह धोनी को, जो एक नया चेहरा बनकर टीम में आए थे।

    धोनी और उनकी युवा टीम को कोई सीरियसली नहीं ले रहा था, लेकिन इसी टीम ने इतिहास लिखकर हर किसी को दिखा दिया कि मौका, मंजिल अगर एक हो तो जीत जरूर मिलती है।

    आज ही के दिन भारतीय टीम ने 2007 में टी20 विश्व कप का खिताब जीता था। ऐसे में आज आपको फ्लैशबैक पर लेकर चलते है और बताते हैं भारत-पाक फाइनल 2007 मैच की कहानी के बारे में जिसने एमएस धोनी और भारतीय क्रिकेट की छवि पूरी तरह बदल दी थी।

    2007 IND vs PAK: 18 साल पहले आज चैंपियन बना था भारत

    दरअसल, IND vs PAK 2007 T20 World Cup Final मैच में भारतीय टीम के कप्तान एमएस धोनी ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी थी। उस मैच में वीरेंद्र सहवाग चोटिल थे और उनकी जगह डेब्यू करने आए थे यूसुफ पठान, जिन्होंने पहली ही गेंद पर मोहम्मद आसिफ को छक्का जड़ दिया था।

    बता दें कि उस समय के सबसे खतरनाक तेज गेंदबाजों में से एक आसिफ थे, जिसकी गेंद पर सिक्स जड़कर इरफान ने शुरुआत ही धमाकेदार की थी। हालांकि यूसुफ ज्यादा देर टिक नहीं पाए और 15 रन बनाकर चलते बने। रोबिन 8 रन बनाकर आउट हुए। युवराज और धोनी 14 और 6 रन क्रमश: ही बना सके, लेकिन एक खिलाड़ी था जो चट्टान बनकर खड़ा रहा।

    योद्धा की तरह लड़े थे गंभीर

    ये और कोई नहीं गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ही थे, जिन्होंने दबाव वाली स्थिति में भी पाकिस्तानी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाई। शुरुआती विकेट गिरने के बाद गंभीर ने पूरी जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने 54 गेंदों पर शानदार 75 रन बनाए। उनकी पारी में 8 चौके और 2 छक्के शामिल रहे। वहीं, अंत में आए रोहित शर्मा, जिन्होंने तेज 30 रन ठोके और इस तरह भारत ने निर्धारित 20 ओवर में 5 विकेट खोकर 157 रन का स्कोर खड़ा किया।

    आरपी सिंह-इरफान ने दिखाई क्लास

    इसके जवाब में पाकिस्तान की टीम (Pakistan National Cricket Team) जब बैटिंग करने आई तो भारतीय टीम की तरफ से आरपी सिंह और इरफान पठान ने उन्हें शुरुआत में ही झटके दिए। पहले ओवर में मोहम्मद हफीज आउट हुए।

    कुछ ही देर बाद कामरान अकमल भी चलते बने। पाकिस्तान की टीम ने 77 पर 6 विकेट गंवा दिए थे और लग रहा था भारत आसानी से ये मैच जीत जाएगा। लेकिन तभी मिस्बाह-उल-हक ने मोर्चा संभाला। उन्होंने चौकों-छक्कों की बरसात कर दी और मैच को आखिरी ओवर में पहुंचा दिया।

    श्रीसंत ने लपका वर्ल्ड कप

    पाकिस्तान की टीम को आखिरी 6 गेंद पर 13 रन चाहिए थे। इस वक्त हर किसी को लग रहा था कि कप्तान एमएस धोनी (MS Dhoni 2007 T20 WC) गेंद किसी सीनियर को देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। धोनी के दिमाग में कुछ और चल रहा था और उन्होंने जोगिंदर शर्मा (Joginder Sharma) को आखिरी ओवर के लिए गेंद थमाई, जिसे देखकर हर कोई दंग रह गया।

    आखिरी ओवर की पहली गेंद वाइड, जिससे दबाव दोगुना हो गया। दूसरी बॉल डॉट रही। तीसरी गेंद पर मिस्बाह ने छक्का लगाया और पूरा स्टेडियम सन्न रह गया। अब पाकिस्तान को जीत के लिए सिर्फ 6 रन चाहिए थे। अगली गेंद पर मिस्बाह ने स्कूप खेला लेकिन गेंद हवा में गई और श्रीसंत ने ये कैच लपक लिया।

    जैसे ही श्रीसंत (S Sreesanth) ने ये कैच पकड़ा तो ऐसा लगा कि मैदान पर जैसे तूफान आ गया। भारत टी20 वर्ल्ड का पहला संस्करण 5 रन से जीत गया था। टीम इंडिया ने पाकिस्तान को 152 रन पर रोक दिया था और प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड इरफान पठान ने जीता, जबकि प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड शाहिद अफरीदी ने अपने नाम किया।

    भारत की जीत के बाद मैदान में हर भारतीय खिलाड़ी दौड़ पड़ा था। धोनी ने भीड़ के बीच अपनी जर्सी एक छोटे बच्चे को उतारकर दी। ये धोनी की सादगी थी जिसने लोगों का दिल जीत लिया।

    उस दिन भारत ने सिर्फ वर्ल्ड कप नहीं जीता था, बल्कि दुनिया को दिखा दिया था कि एक नया युग शुरू हो चुका है। एक ऐसी टीम का युग, जिसमें ना बड़े नाम थे, ना सीनियर खिलाड़ी, लेकिन जज्बा और आत्मविश्वास आसमान से भी ऊंचा था और यही शुरुआत थी धोनी के उस सफर की, जिसने भारतीय क्रिकेट की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी।

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