अतीत के डर में फंसे करुण नायर के लिए भाग रहा है समय का पहिया, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं
करुण नायर की आठ साल बाद टीम इंडिया में वापसी हुई थी। इंग्लैंड दौरे के लिए जब उनका चयन हुआ तो सभी ने कहा था कि वह इसके हकदार हैं। इसमें कोई शक नहीं था हालांकि नायर अभी तक अपने सेलेक्शन के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं और लगातार फेल हो रहे हैं।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। 'डियर क्रिकेट, मुझे एक और मौका दो'... 10 दिसंबर 2022 को भारत के लिए टेस्ट में तिहरा शतक जमाने वाले सिर्फ दूसरे बल्लेबाज करुण नायर ने ये ट्वीट किया था। इसके पीछे की वजह थी। चेन्नई में साल 2016 में ऐतिहासिक तिहरा शतक लगाने के कुछ मैचों बाद वह टीम से ड्रॉप कर दिए गए थे। नायर ने सोचा था कि घरेलू क्रिकेट में रन बनाएंगे तो तुरंत वापसी हो जाएगी। वह अपने काम में जुट गए। रन बनाए लेकिन टीम इंडिया की वापसी का कॉल नहीं आया।
लगातार नजरअंदाज किए जाने के बाद नायर ने ये ट्वीट किया था। नायर बड़ी शिद्दत से चाहते थे कि उन्हें मौका मिले और ये आग उनकी बैटिंग में दिखाई दे रही थी। घरेलू क्रिकेट में जब कर्नाटक ने उनका साथ छोड़ा तो वह विदर्भ पहुंचे। इस टीम के लिए दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने जमकर रन बनाए। फिर भी मौका नहीं मिल रहा था।
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आखिर खुल गया रास्ता
एक कहावत है, ऊपर वाले के यहां देर है अंधेर नहीं। नायर पर ये कहावत सटीक बैठी। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया तो उम्मीद जगी की वह टीम आ जाएंगे। वह आ भी गए। इंग्लैंड के लिए अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाली सीनियर सेलेक्शन कमेटी ने जब टीम का एलान किया तो करुण नायर का नाम उसमें था। वह इंडिया-ए के लिए भी चुने गए थे। नायर का नाम देख सोशल मीडिया पर कहा गया कि वह इसके हकदार थे। बिल्कुल थे। जो बल्लेबाज रनों का अंबार लगा चुका हो उसे मौका मिलना चाहिए।
इंग्लैंड के साथ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले इंडिया-ए ने इंग्लैंड लायंस के खिलाफ अनऑफिशियल मैच खेले और पहले मैच में नायर ने 204 रनों की पारी एहसास दिलाया कि उनका चयन सही हुआ है।
फेल हो गए नायर
लेकिन असली चुनौती अभी बाकी थी। लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में नायर को प्लेइंग-11 में मौका मिला। नायर से उम्मीद थी कि वह घरेलू क्रिकेट की फॉर्म को यहां भी जारी रखेंगे। हुआ इससे उलटा। नायर बिना खाता खोले आउट हो गए। दूसरी पारी में उन्होंने थोड़ा संभलकर बल्लेबाजी की और पैर जमाए। यहां किस्मत उनके साथ धोखा कर गई। एक शानदार कैच ने उनकी पारी का अंत किया। ये दोनों पारियां नायर ने नंबर-6 पर खेली थीं।
अगले मैच में साई सुदर्शन को बाहर किया गया और नायर को प्रमोट कर नंबर-3 पर भेजा गया। यहां भी नायर कुछ कमाल नहीं कर पाए। पहली पारी में 50 गेंदों पर 31 रन और दूसरी पारी में 46 गेंदों पर 26 रन बनाकर वह आउट हो गए। लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में भी नायर कमाल नहीं कर सके। पहली पारी में 62 गेंदों पर 40 और दूसरी पारी में 33 गेंदों पर 14 रन ही उनके हिस्से आए।
कहां गलती कर रहे हैं नायर?
दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में नायर ने अच्छी शुरुआत की थी जिसे वो बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर पाए। उनकी बैटिंग देख कोई भी ये नहीं कह सकता कि इस बल्लेबाज को पिच से, गेंदबाज से, हालात से परेशानी हो रही है। वह गेंद को अच्छे से बल्ले पर ले रहे थे। ऐसे में जब वह आउट होते को हर कोई हैरान हो जाता। सभी के मन में यही सवाल आता कि नायर को हुआ क्या, अभी तो आसानी से बल्लेबाजी कर रहे थे।
यहां नायर की एक कमी उजागर हुई। वह अपनी एकाग्रता खो बैठ रहे हैं। अच्छी शुरुआत के बाद एक खराब शॉट या लापरवाह शॉट बताता है कि वह फोकस्ड नहीं है। संभवतः इसका रिश्ता उनके अतीत से हो। नायर ने टीम में वापसी के लिए काफी इंतजार किया है। वह जानते हैं कि अगर वह फेल हुए तो फिर मौका मिलना बहुत ज्यादा ही मुश्किल होगा और यही दबाव उनपर हावी हो रहा है।
नायर को जब अच्छी शुरुआत मिल जाती है तो वह संभवतः ये सोचते हों कि अब शुरुआत मिल चुकी है और अब आराम से खेलूंगा नहीं तो आउट हो गया तो फिर पता नहीं क्या हो। यही दबाव उनसे कहीं न कहीं गलती करवा रहा है। अतीत का ये भूत उनके पीछे पड़ा है।
अब चौथे टेस्ट मैच में नायर को मौका मिलता है या नहीं ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन अगर मिलता है तो बहुत संभावना है कि ये उनका आखिरी मौका साबित हो। ऐसे में नायर को चाहिए की अतीत की डोर और दबाव को पीछे छोड़ बल्लेबाजी करें।
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