मैनचेस्टर से शुरू हुआ था शतकीय सफर , बदल गई थी विश्व क्रिकेट की तस्वीर
मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रेफर्ड मैदान भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए एक ऐसी याद संजोए हुए है जिसे भूल पाना मुमकिन नहीं है। ये मैदान गवाह से उस पारी का जिसने ऐसा सफर शुरू किया जिसे हासिल करने निकले तो कई लोग लेकिन हासिल कर पाया सिर्फ एक ही खिलाड़ी। इस रिपोर्ट में पढ़िए पूरा कहानी

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी इंसान के लिए उसके जीवन में पहला कदम बहुत मायने रखता है। किसी पिता के लिए अपने बच्चे का स्कूल में पहला दिन। किसी लड़के या लड़की की पहली नौकरी, पहली कार, पहला घर। ये सब वो सपने हैं जो वो पूरा करना चाहता है और जब हो जाते हैं तो उसे भूल नहीं पाता। इंग्लैंड के मैनचेस्टर में भी आज से लगभग 35 साल पहले ऐसा कुछ हुआ था जिसने विश्व क्रिकेट को बदलने की नींव रख दी थी। ये एक शतकीय सफर की शुरुआत थी जो पूरा किया महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने।
मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रेफर्ड भारत, सचिन तेंदुलकर और इन दोनों के फैंस के लिए ऐसा मैदान है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ये हमारी यादों में पूरी तरह से रमा हुआ है। इसी मैदान पर सचिन तेंदुलकर ने साल 1990 में अपना पहला टेस्ट शतक जमाया था। मैच ड्रॉ रहा था, लेकिन सचिन ने मैदान मार लिया था। महज 17 साल का लड़का इंग्लैंड की स्विंग और सीम के हालात में विकेट पर डट गया था और भारत को हार से बचा लिया था।
यहां से सचिन का शतकों का सफर शुरू हुआ तो वह रुके शतकों का शतक लगाकर। ये वो काम है जो अभी तक कोई नहीं कर सका है और मौजूदा समय में लगता भी नहीं की कोई बल्लेबाज इस मुकाम को हासिल कर पाएगा।
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नया युग, नए खिलाड़ी
90 का दशक शुरू हो रहा और उस समय एक नई टीम इंडिया बन रही थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन के हाथों में इस टीम की बागडोर थी। सचिन तब तक अपना टेस्ट डेब्यू कर चुके थे। पाकिस्तान की जमीन पर उसके ही खूंखार गेंदबाजों के सामने सचिन ने जिस बल्लेबाजी और बहादुरी का प्रदर्शन किया था उसने बता दिया था कि ये लड़का आने वाले कल में क्रिकेट का बादशाह है। इंग्लैंड तक आते-आते सचिन ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया था। उनकी हिम्मत और क्लास बल्लेबाजी को देखने का हर कोई दीवाना था।
लेकिन सवाल भी थे। इंग्लैंड का दौरा किसी भी बल्लेबाज के लिए चुनौती होता है। इसका कारण वहां के हालात हैं। इंग्लैंड की स्विंग और सीम लेती गेंदों के सामने दिग्गज से दिग्गज बल्लेबाज फेल होते थे। ऐसे में एक 17 साल का लड़का क्या सफल हो पाएगा? ये सवाल था जिसका जवाब सिर्फ सचिन अपने बल्ले से दे सकते थे।
सचिन ने बता दी क्लास
सीरीज का पहला मैच क्रिकेट के मक्का कहा जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर था। इस मैच में सचिन बुरी तरह से फेल हुए। पहली पारी में 10 रन तो दूसरी पारी में 27 रन। भारत को इस मैच में 247 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। सवाल गहराने लगा था। फिर आया मैनचेस्टर टेस्ट। इंग्लैंड ने पहली पारी में ही 519 रन ठोक दिए। भारत ने पहली पारी में लड़ाई लड़ी और 432 रन बनाए। जिसमें कप्तान अजहर ने 179 रनों की पारी खेली। सचिन ने 68 रनों का योगदान दिया। फिर भी भारत पहली पारी के आधार पर 87 रन पीछे थी। इंग्लैंड ने फिर अपनी दूसरी पारी चार विकेट के नुकसान पर 320 रनों पर घोषित कर दी थी। ये मैच के आखिरी दिन पहले सेशन में लगभग आधे घंटे के खेल के बाद हुआ था।
भारत को मिला 408 रनों का टारगेट जो बेहद मुश्किल लग रहा था। 125 रनों तक भारत ने अपने पांच विकेट खो दिए थे। विकट पर थे कपिल देव और 17 साल के सचिन। यहां से जो हुआ फिर सिर्फ इतिहास है। टेस्ट क्रिकेट में पांचवें दिन की पिच पर बल्लेबाजी करना आसान नहीं था। पिच पर स्पिन को भी मदद थी और इंग्लैंड के हेमिंग्स इसका फायदा उठा सकते थे। हालांकि, जो होने वाले था उसकी उम्मीद तो हेमिंग्स ने भी नहीं की थी।
सचिन ने पैर जमाए। इंग्लैंड के गेंदबाजों की स्विंग और सीम को अपनी शानदार तकनीक से दबा दिया। गेंद उनकी स्ट्रेट ड्राइव और कवर ड्राइव से बाउंड्री लाइन के पार जा रही थी जिसे देख हर कोई हैरान था। सचिन परिपक्व लग रहे थे मानो उन्हें पता हो कि अंग्रेजों के सामने उनके ही घर में रन कैसे बनाने हैं। इस स्कूलबॉय ने अपने अंदाज में किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी। उनका बैटिंग इंटलिजेंस इस पारी की सबसे बड़ी खासियत था।
आक्रामक थे सचिन
पहली पारी में सचिन को खाता खोलने में काफी समय लगा था और वह थोड़े डिफेंसिव भी थे। इससे उलट दूसरी पारी में सचिन आक्रामक थे। यही इंटेलिजेंस था जिसकी सभी तारीफ कर रहे थे। महज एक पारी में बड़ा बदलाव बताता है कि वह छोटी सी उम्र में अपनी बल्लेबाजी को लेकर कितना आकलन करते थे। इंग्लैंड के कप्तान ग्राहम गूच ने उनके खिलाफ अटैक भी किया लेकिन कुछ काम नहीं आया। सचिन ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की लय बिगाड़ दी थी। वह जब मर्जी विकेट पर आगे निकलकर आते और फील्डरों के ऊपर से गेंद को बाउंड्री के बाहर भेज देते।
हर कोई बन गया था फैन
सचिन की इस पारी ने मैच ड्ऱॉ करा दिया। उन्होंने 189 गेंदों की पारी में 17 चौकों की मदद से नाबाद 119 रन बनाए। इसके बाद सचिन की टीम के साथियों लेकर इंग्लैंड के खिलाड़ी, क्रिकेट पंडित, पत्रकार, पूर्व क्रिकेटर सचिन के और ज्यादा मुरीद हो गए थे। यहां से सचिन ने जो सैकड़ा बनाने की लत पकड़ी वह शतकों के शतक को पूरा कर खत्म की।
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