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    IND vs ENG: लॉर्ड्स के 'स्लोप' में मिलेगा बुमराह का 'होप', पिच को लेकर गेंदबाजों को रखना है इस बात का ध्यान

    भारतीय क्रिकेट टीम ने एजबेस्टन में दूसरा टेस्ट मैच जीतकर पांच मैचों की सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली है। सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच लॉर्ड्स मैदान गुरुवार से खेला जाना है। लॉर्ड्स पर गेंदबाजी करना आसान नहीं है क्योंकि इस मैदान पर एक स्लोप है जो परेशानी खड़ी करता है।

    By abhishek tripathiEdited By: Abhishek Upadhyay Updated: Wed, 09 Jul 2025 06:00 AM (IST)
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    भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा मैच लॉर्ड्स में खेला जाना है

    अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। क्रिकेट के घर लॉर्ड्स में आपका स्वागत है। हेडिंग्ले में हारने और एजबेस्टन में जीतने के बाद भारतीय टीम ने अपना पड़ाव यहां सेट कर लिया है और गुरुवार से वह यहां इंग्लैंड के विरुद्ध पांच मैचों की सीरीज का तीसरा टेस्ट खेलेगी। दूसरे टेस्ट में आराम करने के बाद भारत के मुख्य तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह वापसी करेंगे।

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    बुमराह ने मंगलवार को यहां अभ्यास भी किया। हालांकि पिछले मैच के हीरो आकाश दीप, मोहम्मद सिराज, शुभमन गिल और ऋषभ पंत ने विश्राम करना उचित समझा। भारतीय टीम बुमराह, आकाशदीप और सिराज के साथ ही अगले मैच में उतरेगी। ऐसे में प्रसिद्ध कृष्णा को बाहर बैठना पड़ेगा।

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    स्लोप से रहना होगा सवधान

    1814 में दुनिया के लिए खोले गए इस मैदान में क्रिकेट का नियम बनाने वाले मेरिलबोन क्रिकेट क्लब और मिडलसेक्स क्लब भी है। इसके अलावा यहां पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज है मैदान और पिच का स्लोप। अनगिनत मिथकों और कहानियों के साथ इस मैदान की ढलान किसी रहस्य से कम नहीं है। लॉर्ड्स में सब कुछ बदल गया लेकिन इतिहास को समेटे लाल पत्थरों वाली वही पुरानी पवेलियन है, जिसमें आपने 1983 में भारतीय कप्तान कपिल देव को विश्व कप ट्रॉफी लहराते देखा था। उस पवेलियन के एक कॉर्नर से जब नर्सरी छोर की तरफ आते हैं तो आपको नीचे की तरफ आती करीब आठ फिट की ये ढलान साफ दिखाई देती है। जब आप पवेलियन एंड से गेंदबाजी करते हैं तो तेज गेंदबाज को मूवमेंट असानी से मिलता है।

    ऐसे में जसप्रीत बुमराह उधर से गेंदबाजी करते हुए दिख सकते हैं। ये ढलान दोधारी तलवार भी है क्योंकि अगर गेंदबाज ने पहले यहां पर गेंदबाजी नहीं की है तो उसे टिप्पा ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा। पूर्व इंग्लिश दिग्गज स्टुअर्ट ब्रॉड ने कहा कि आकाश दीप पवेलियन छोर से खतरनाक साबित होंगे लेकिन यहां पर पांच विकेट लेने वाले पूर्व भारतीय गेंदबाज चेतन शर्मा का कहना है कि उस तरफ से जब मैं गेंदबाजी कर रहा था तो कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। मैं जब अंदर गया तो देशप्रेम आजाद जी को लैंडलाइन फोन से कॉल किया। उन्होंने कहा कि पहले नर्सरी छोर से गेंदबाजी करो। जब सेट हो जाना तब पवेलियन छोर से करना।

    उन्होंने कहा फिर मैंने नर्सरी छोर से गेंदबाजी की और तीन विकेट लिए। उनका कहना है कि भले ही आप बेहतर गेंदबाज हो लेकिन अगर आपने यहां पर ज्यादा गेंदबाजी नहीं की है तो पवेलियन छोर से मुश्किल हो सकती है क्योंकि आप अपनी स्विंग के हिसाब से गेंद फेंकोगे, लेकिन उधर से अतिरिक्त मदद मिलने के कारण गेंद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में आकाश दीप को पहले नर्सरी छोर से गेंदबाजी करके खुद को सेट करना चाहिए और बाद में पवेलियन छोर से गेंदबाजी करनी चाहिए।

    नर्सरी छोर से अलग दिक्कत

    जब नर्सरी छोर से गेंदबाजी करते हैं तो आपको नीचे से ऊपर की तरफ दौड़ना होता है क्योंकि इस तरफ से ऊंचाई बढ़ रही होती है। ऐसे में तेज गेंदबाज रनअप लेते समय जल्दी थक जाता है। इधर से लंबा स्पैल करना मुश्किल होता है। ऐसा नहीं है कि जानबूझकर इस मैदान में की ढलान पूरी तरह से आकस्मिक थी। लंदन के सेंट जोंस वुड की जमीन पर बने इस मैदान की ढलान प्राकृतिक है। यह जमीन ऐसी ही थी जिसे समतल करने की जगह उसी पर मैदान बना दिया गया। इसी मैदान में स्थित एमसीसी क्लब में क्रिकेट के नियम बनते हैं लेकिन आधुनिक मैदानों पर इस तरह की ढलान नहीं होती। इसको लेकर बहस भी होती रहती है लेकिन परंपरा और विरासत के नाम पर इसे बदला नहीं गया।

    इसके पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि सतह को समतल करने की प्रक्रिया के लिए गंभीर पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी और कई वर्षों तक मैदान पर क्रिकेट को रोकना होगा जो संभव नहीं है। कई बार ये सवाल भी उठे है कि क्या ये गेंदबाजों के साथ सौतेला व्यवहार नहीं है क्योंकि एक तरफ से गेंदबाज के लिए नीचे की ओर रन अप लेकर गेंदबाजी करना आसान होगा जबकि दूसरे को ऊंचाई की ओर रन अप लेकर गेंद फेंकने में संघर्ष करना होगा।

    दोनों छोर से मिलती है मदद

    हालांकि गेंदबाजों को मदद दोनों छोर से मिलती है। पवेलियन छोर से एंगल से गेंद फेंकने पर दाएं हाथ के बल्लेबाजों की ओर तेजी से गेंद आती है। नर्सरी छोर से गेंद बाहर की ओर जाती है और बल्लेबाजों को एक अलग चुनौती पेश होती है। इसमें कोई शक नहीं है कि पवेलियन छोर से गेंदबाजों को अधिक स्विंग मिलती है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। स्विंग गेंद की स्थिति, मौसम और गेंदबाज के हाथों की हरकत पर भी निर्भर करती है।

    बल्लेबाजों को भी देना होगा ध्यान : इस पूरे टूर्नामेंट में भारत के शीर्ष क्रम ने शानदार प्रदर्शन किया है। लीड्स के हेडिंग्ले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों ने पांच शतक ठोके तो बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में गिल ने पहली पारी में दोहरे शतक के साथ दूसरी पारी में भी सैकड़ा ठोका। यहां पर खुद को ढालने के लिए भारतीय टीम को कम समय मिला है। भारतीय बल्लेबाजों को इस ढलान के साथ तालमेल बिठाते हुए खुद को ढालना होगा।

    पिच क्यूरेटर ने दी अहम सलाह

    यहां के पिच क्यूरेटर ने कहा कि कई बल्लेबाज ढलान के बावजूद गेंद को सही तरीके से देख पाएं, इसके लिए मिडिल स्टंप का गार्ड लेते हैं। गेंद को देर से और आंखों के समाने खेलने जैसे सूक्ष्म परिवर्तन इसके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण तो ऋषभ पंत की बल्लेबाजी को यहां देखना होगा कि वह कैसे बल्लेबाजी करते हैं। ऐसा नहीं है कि इस ढलान का असर गेंदबाजी और बल्लेबाजी पर ही पड़ता है। इसका असर क्षेत्ररक्षण पर भी पड़ता है। पहले मैच में भारतीय क्षेत्ररक्षण अच्छा नहीं रहा था। यहां पर क्षेत्ररक्षक कई बार इसके कारण मिसफील्ड, ओवरथ्रो करने के साथ रन आउट से भी चूकते हैं। एक तरफ गेंद काफी तेजी से बाउंड्री की तरफ जाती है।

    पिच से घास छीली गई

    मंगलवार की सुबह पिच पर घास नजर आ रही थी लेकिन दोपहर होते-होते उसमें काफी घास छील दी गई। अब देखना ये है कि बुधवार को और घास छीली जाती है कि नहीं। हालांकि इतना तय है कि ये पिच लीड्स और बर्मिंघम की तरह बिलकुल पाटा नहीं होगी। जहां तक मौसम की बात है तो पांचों दिन 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ धूप खिली रहने की संभावना है।

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