Indian Cricket Team का नाम बदलने की मांग खारिज, दिल्ली HC का आया फैसला
Indian Cricket Team Name change दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय क्रिकेट टीम का नाम बदलने की मांग को खारिज कर दिया है। ये वो याचिका रही BCCI को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए भारतीय क्रिकेट टीम नाम का उपयोग करने से रोकने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस गेडेला ने जनहित याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाई है।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Delhi HC on Indian Cricket Team: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को ये स्पष्ट कर दिया कि भारतीय क्रिकेट टीम को 'टीम इंडिया' कहना कोई गलत नहीं है।
याचिकाकर्ता की मांग थी कि बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए 'भारतीय क्रिकेट टीम' (Indian Cricket Team) नाम का इस्तेमाल करने से रोका जाए। न्यायाधीशों ने कहा कि यह टीम हर जगह भारत का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए इसे 'टीम इंडिया' कहना सही और जायज है।
Indian Cricket Team का नाम बदलने की मांग खारिज
दरअसल, चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने जनहित याचिका (PIL) दायर करने के लिए वकील रीपक कंसल को जमकर फटकार लगाई। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गेडेला ने कहा,
"क्या आप कहना चाहते हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? यह वही टीम (Indian Cricket Team) है जो हर जगह जाकर भारत का नाम रोशन कर रही है। तो इसे टीम इंडिया क्यों नहीं कह सकते? कृपया हमें बताए यह क्यों टीम इंडिया नहीं हैं?"
चीफ जस्टिस ने साथ ही कहा कि यह जनहित याचिका सरासर समय की बर्बादी है। कोर्ट ने कहा,
"यह सरासर कोर्ट के समय और आपके समय की बर्बादी है। हमें एक राष्ट्रीय टीम बताइए किसी भी खेल में जिसका चयन सरकारी अधिकारी करते हैं। क्या कॉमनवेल्थ गेम्स या ओलंपिक्स में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम भी सरकार द्वारा नहीं चुनी जाती? क्या वे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? हॉकी, फुटबॉल, टेनिस या कोई भी खेल हो।"
कोर्ट ने आगे कहा कि सिर्फ इसलिए कि भारतीय टीम तिरंगे का इस्तेमाल करती है, इसका मतलब यह कानून का उल्लंघन नहीं है। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा,
"अगर आप अपने घर में झंडा फहराना चाहते हैं, तो क्या आपको रोका जा सकता है?"
इसके अलावा, कोर्ट ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खेल संगठन अक्सर सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ रहते हैं। कोर्ट ने ये सवाल पूछा कि क्या आप जानते हैं कि खेल का पूरा सिस्टम कैसे काम करता है? क्या आप IOC (इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी) के नियमों से परिचित हैं? ओलंपिक चार्टर और मूवमेंट के बारे में जानते हैं? पिछली बार जहां भी सरकार ने खेलों में हस्तक्षेप किया, IOC ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। अंत में कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता की क्या थी दलीलें?
वकील रीपक कंसल द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में तर्क दिया गया कि BCCI एक निजी संस्था है, जो तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत है। यह संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ में कोई सरकारी या संवैधानिक निकाय नहीं है।
याचिका में कहा गया कि युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने कई आरटीआई जवाबों में स्पष्ट किया है कि BCCI को राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता नहीं मिली है और इसे सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी नहीं दी जाती।
फिर भी, सरकारी मीडिया प्लेटफॉर्म लगातार BCCI की टीम 'टीम इंडिया' या 'इंडियन नेशनल टीम' के रूप में प्रस्तुत करते हैं और क्रिकेट प्रसारण में भारतीय राष्ट्रीय चिह्नों जैसे झंडा का इस्तेमाल करते हैं।
याचिका में कहा गया कि, "यह प्रथा भ्रामक है और 1950 के इंबल्म्स एंड नेम्स एक्ट और 2002 के फ्लैग कोड का उल्लंघन कर सकती है," जो राष्ट्रीय नाम, झंडा और प्रतीकों के उपयोग को नियंत्रित करते हैं।
साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि सरकारी प्रसारकों द्वारा राष्ट्रीय नाम और झंडे का गलत उपयोग आम नागरिकों को भ्रमित करता है और राष्ट्रीय पहचान व प्रतीकों की पवित्रता को कमजोर करता है, जिसे संवैधानिक रूप से सुरक्षित रखना चाहिए।
इसलिए, कंसल ने अदालत से BCCI को टीम को राष्ट्रीय टीम के रूप में पेश करने से रोकने की मांग की।
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