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    क्रिकेट में अब यह 'ब्रैकेट फिक्सिंग' क्या नई बला है?

    By Edited By:
    Updated: Mon, 12 Aug 2013 04:01 PM (IST)

    ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज कप्तान स्टीव वॉ ने अपनी नई किताब (स्टीव वॉ- द मीनिंग ऑफ लक) में अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर से पर्दा उठाया ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज कप्तान स्टीव वॉ ने अपनी नई किताब (स्टीव वॉ- द मीनिंग ऑफ लक) में अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर से पर्दा उठाया है, लेकिन क्रिकेट जगत से भी जुड़ा बहुत कुछ ऐसा मौजूद है इस किताब में, जो फैंस से लेकर आइसीसी तक, सभी की आंखें खोलने के लिए काफी है।

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    खबरों के मुताबिक उनकी किताब में एक अध्याय फिक्सिंग के एक ऐसे रूप पर भी है जिसका जिक्र अब तक किसी ने नहीं किया था। यह है 'ब्रैकेट फिक्सिंग'।

    पढ़ें: वॉ की किताब में छुपे हैं कई और राज

    वॉ के मुताबिक क्रिकेट के मैदान पर चालू हुई एक नई धांधली भरी रणनीति की ओर इशारा किया है। फिक्सिंग की इस नई रणनीति को नाम दिया गया है, 'ब्रैकेट फिक्सिंग'। वॉ के मुताबिक यह नई प्रकार की फिक्सिंग टी-20 में जारी हो सकती है और यह खेल के लिए स्पॉट फिक्सिंग से भी ज्यादा घातक है क्योंकि इसमें मनचाहा नतीजा तुरंत मिल जाता है।

    वॉ ने किताब में लिखा, 'क्रिकेट के लिए ब्रैकेट फिक्सिंग ज्यादा बड़ा खतरा है, जिसे दागी खिलाड़ी आराम से मैदान पर इस्तेमाल में ला सकते हैं।' वॉ के मुताबिक ब्रैकेट फिक्सिंग में सीमित ओवरों के मैच के किसी छोटे हिस्से को कभी भी फिक्स कर लिया जाता है, जैसे किसी निर्धारित समय या ओवरों के अंदर कितने विकेट गिराने हैं या कितने रन बनाने हैं।

    वॉ का मानना है कि अगर इसमें कप्तान मिला हुआ हो तो काम और आसान हो जाता है व जल्दी सिमट भी जाता है, और फिलहाल दूसरे दर्जे के घरेलू टी-20 मैच इसका टारगेट हो सकते हैं। टी-20 लीग्स में टीमें प्राइवेट कंपनियों या मालिकों की होती हैं और मालिक खिलाड़ियों को कभी-कभी अपनी मर्जी से नचाने की कोशिश कर सकते हैं।

    पढ़ें: फिक्सिंग रोकने के लिए वॉ ने दिया शानदार आइडिया

    खबरों के मुताबिक किताब में एक अहम खुलासा करते हुए वॉ ने कहा है कि वह एक ऐसे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को जानते हैं जो अपने उसूल और भरोसेमंद अंदाज के लिए जाना जाता है, उस खिलाड़ी को एक लीग में टीम का कप्तान घोषित कर दिया गया लेकिन बाद में उसे पता चला कि उसे अब मालिक के इशारों पर काम करना होगा तो उसने कप्तानी ठुकरा दी। इसके बाद उस खिलाड़ी को शुरुआती चार मैचों के लिए टीम से बाहर ही कर दिया गया।

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