2011 Cricket World Cup: भज्जी के छलके आंसू, सचिन को कंधे पर उठाया… 14 साल पहले भारत का वनडे चैंपियन बनना इसलिए था खास
टीम इंडिया (India Won World Cup 2011) के लिए 2011 वनडे चैंपियन बनना इसलिए जरूरी था क्योंकि 1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व खिताब जीतने के बाद से भारत ने वर्ल्ड चैंपियन का टैग हासिल नहीं किया था। 28 सालों के सूखे को महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने हासिल किया था।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। On this day World Cup 2011 Final: 2 अप्रैल 2011 का वो दिन जब विराट कोहली ने अपने कंधे पर महान सचिन तेंदुलकर को उठाया था… वानखेड़े के पूरे मैदान का भारतीय खिलाड़ियों ने चक्कर लगाकर अपनी जीत का जश्न मनाया। हाथों में तिरंगा थामे सचिन समेत सभी भारतीय प्लेयर्स की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था।
भला हो भी क्यों ना, अपने घर में भारत को शाही जीत जो मिली और करोड़ों फैंस की दुआ भी मुकम्मल हुई थी। मैदान वानखेड़े का था और भारत और श्रीलंका के बीच वनडे वर्ल्ड कप 2011 की ट्रॉफी के लिए तगड़ी जंग हो रही थी।
इस मैच में महेंद्र सिंह धोनी (Dhoni Iconic Six 2011) के बल्ले से निकला विजयी छक्का आज भी लोगों के दिलों में अच्छे से बसा हुआ है। 14 साल समय बीत गया हो, लेकिन 2 अप्रैल की तारीख आती है तो फैंस के दिमाग में भारत की इस शानदार जीत की तस्वीर ताजा हो जाती है। टीम इंडिया ने फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से धूल चटाकर दूसरी बार विश्व कप का खिताब जीता था। ये खिताब जीतना भारत के लिए क्यों जरूरी था आज बताते है आपको इस बारे में।
India World Cup 2011 Winner: क्यों भारत के लिए वनडे चैंपियन बनना था जरूरी?
टीम इंडिया (India Won World Cup 2011) के लिए वनडे चैंपियन बनना इसलिए जरूरी था क्योंकि 1983 में कपिल देव की कप्तानी में विश्व खिताब जीतने के बाद से भारत ने वर्ल्ड चैंपियन का टैग हासिल नहीं किया था। 28 सालों के सूखे को महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने हासिल किया था।
2 अप्रैल 2011 को भारतीय टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में श्रीलंका को 6 विकेट से रौंदा था और दूसरी बार विश्व कप का खिताब (India Won ODI World Cup for the second time) अपने नाम किया था।
इस जीत के साथ भारत ने इतिहास को पलट दिया था और भारतीय टीम घरेलू सरजमीं पर वनडे विश्व कप जीतने वाली पहली टीम भी बन गई थी।
एमएस धोनी के बल्ले से निकला था विजयी सिक्स (Dhoni Winning Six WC 2011)
फाइनल मैच में भारतीय पारी के 49वें ओवर में नुवान कुलशेखरा की गेंद पर एमएस धोनी (Dhoni World Cup 2011 Winning Six) ने लंबा छक्का लगाकर टीम इंडिया को जीत दिलाई थी। धोनी ऐसे भारत के पहले कप्तान बन गए थे जिनके नाम टी20 विश्व कप और 50 ओवर विश्व कप दोनों ट्रॉफी जीतने का गौरव रहा। मैच में धोनी ने 79 गेंदों पर 91 रन की नाबाद पारी खेली थी।
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World Cup 2011 मैच की ऐतिहासिक कहानी
पहली बार रहा था जब विश्व कप फाइनल मैच में श्रीलंका और भारत (India Vs Sri lanka 2011 World Cup) की टीमें आमने-समने थी। मुकाबला वनडे विश्व कप का खिताब जीतने का हो रहा था। मैच में पहले बैटिंग करते हुए श्रीलंका की टीम ने महेला जयवर्धने के शानदार 103 रन की पारी के दम पर 6 विकेट खोकर 274 रन का स्कोर खड़ा किया था। विश्व कप फाइनल के लिहाज से ये लक्ष्य काफी बड़ा रहा था।
इसके जवाब में टीम इंडिया को सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी से अच्छी शुरुआत की आस थी, लेकिन टीम 31 रन के स्कोर पर दोनों के विकेट गंवा चुकी थी। भारत का इन झटकों के बाद मानो चैंपियन बनने का सपना टूटता हुआ नजर आ रहा था, लेकिन फिर पारी को संभालने के लिए आए गौतम गंभीर और विराट कोहली, जिनके बीच तीसरे विकेट के लिए 83 रन की साझेदारी बनी और इस तरह करोड़ों भारतीय फैंस की जान में जान आई।
विराट कोहली मैच में 35 रन बनाते ही चलते बने और फिर धोनी ने खुद को प्रमोट करते हुए मोर्चा संभाला। गंभीर और धोनी के बीच 109 रन की साझेदारी बनी। गंभीर 97 रन के स्कोर पर कुलसेकरा द्वारा बोल्ड हुए और भारत को यहां बड़ा झटका लगा।
अब टीम इंडिया को चैंपियन बनने के लिए 51 रनों की दरकार थी और मैदान पर थी सबसे चर्चित धोनी-युवराज की जोड़ी। 49वें ओवर में माही ने ऐतिहासिक छक्का लगाया और 28 साल के इंतजार को खत्म किया।
Sachin Tendulkar का ये आखिरी विश्व कप था
2011 वनडे विश्व कप सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar Last World Cup) के लिए आखिरी वर्ल्ड कप था और इसलिए ही सभी भारतीय खिलाड़ी ये खिताब उनके लिए जीतना चाहते थे। भले ही सचिन फाइनल मैच में 18 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन बेहद खास था। उन्होंने 2011 विश्व कप में 2 शतक और 2 अर्धशतक लगाते हुए 482 रन बनाए थे। वहीं, 2011 WC में युवराज सिंह को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट से नवाजा गया, क्योंकि उन्होंने ऑलराउंड प्रदर्शन किया था और बल्ले से 362 रन और गेंद से 15 विकेट लिए थे।
टीम इंडिया की इस जीत का जश्न लोगों ने आधी रात सड़कों पर पटाखे फोड़कर और मीठियां बांटकर मनाया था। मैदान पर हरभजन सिंह की आंखें नम देखी गई थी। जीत की इतनी खुशी कि वह अपने इमोशनंस कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। वहीं, सभी प्लेयर्स को जीत के जश्न में डूबा हुआ देखा गया था।
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