'मटन करी, पाव, नींबू और कांदा...,' मुंबई के इस घर में होती है सचिन की खास मेहमाननवाजी, मास्टर ब्लास्टर ने किया खुलासा
मुंबई के शिवा जी पार्क के गेट नंबर-5 पर कोच रमाकांत आचरेकर के स्मारक का अनावरण किया गया। इस कार्यक्रम में सचिन तेंदुलकर और मनसे प्रमुख राज ठाकरे भी मौजूद रहे। इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने आचरेकर की कोचिंग के दिनों का याद किया। इस दौरान बताया कि उनका पसंदीदा भोजन क्या है। इसके अलावा उन्होंने बचपन के कोच की कोचिंग मेथड को भी याद किया।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बचपन के कोच द्रोणाचार्य और पद्मश्री से सम्मानित रमाकांत आचरेकर के स्मारक का अनावरण किया गया। मुंबई के शिवाजी पार्क में कोच आचरेकर का यह स्मारक बनाया गया है। इस दौरान सचिन तेंदुलकर और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे भी मौजूद रहे। इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने बताया कि उनका पसंदीदा खाना कौन-सा है।
सचिन तेंदुलकर ने प्रैक्टिस के दिनों को याद करते हुए कोच आचरेकर को 'ऑलराउंडर' बताया। सचिन ने बताया कि सर एक जनरल स्टोर चलाते थे, उनके पास सब कुछ होता था, वह बहुत ख्याल रखने वाले व्यक्ति थे। जब हम डॉक्टर के पास जाते थे तो वह परिस्थितियों को नियंत्रित करते थे। वह एक ऑलराउंडर थे। वह छोटी-सी छोटी चीज का बहुत ख्याल रखते थे।
'पसंदीदा भोजन बनता था...'
सचिन ने आगे कहा, सर ने कभी ऐसा जोखिम नहीं उठाया। मैच के बाद, कभी-कभी वे मुझे वड़ा पाव लेने के लिए पैसे देते थे, तब मुझे लगता था कि मैंने कुछ अच्छा किया होगा। हमेशा उस तरह का स्नेह रहता था। जब भी सर कभी हमें घर पर आमंत्रित करते थे तो उनकी पत्नी हमारा पसंदीदा भोजन मटन करी, पाव, नींबू और प्याज परोसती थीं।
इतना ही नहीं सचिन ने कोच आचरेकर के ट्रेनिंग मेथड की भी बात की। सचिन ने बताया कि कोच 1970 से 80 तक 1,2,3,4 के लेवल में कोचिंग देते थे। सचिन ने बताया कि वह खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानते थे और किट की बहुत इज्जत करते थे। बता दें कि मुंबई के कई स्टार खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले आचरेकर का जनवरी 2019 में निधन हो गया।
गेट नंबर-5 पर बना स्मारक
गौरतलब हो कि शिवाजी पार्क के गेट नंबर 5 के पास स्थित स्मारक को इस साल अगस्त में महाराष्ट्र सरकार से हरी झंडी मिल गई थी। अब इसका अनावरण किया गया। इसी पार्क में कोच आचरेकर खिलाड़ियों को कोचिंग देते थे। आचरेकर के मार्गदर्शन में बिताए दिनों को याद करते हुए तेंदुलकर ने कहा कि उनके द्वारा प्रशिक्षित खिलाड़ी मैच के दौरान कभी तनावग्रस्त नहीं होते थे, जिसका श्रेय महान कोच द्वारा विकसित उनके दृढ़ स्वभाव को जाता है।
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