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    सचिन तेंदुलकर को टीम इंडिया का टिकट दिलाने एक खिलाड़ी ने टूटे हाथ से की थी बैटिंग, मास्टर ब्लास्टर ने खोला राज

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 05:37 PM (IST)

    भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में गिने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में एक पूर्व साथी के योगदान को याद कि ...और पढ़ें

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    सचिन तेंदुलकर ने याद किया दोस्त का योगदान

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर ने मंगलवार को 1989-90 के ईरानी कप मैच की एक खास घटना को याद किया। इस मैच में दिल्ली ने रेस्ट ऑफ इंडिया को 309 रन से हरा दिया था, लेकिन तेंदुलकर ने अकेले संघर्ष करते हुए 103 रन बनाए थे। टीम के लिए दूसरा बड़ा योगदान डब्ल्यूवी रमन के 41 रन का था। इस मैच में सचिन का शतक मुश्किल लग रहा था लेकिन फिर एक खिलाड़ी ने अपनी चोट की परवाह किए बिना सचिन की मदद की जिससे उनका टीम इंडिया का रास्ता साफ हुआ।

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    रेस्ट ऑफ इंडिया 554 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए 209 रनों पर नौ विकेट खोकर पर मुश्किल स्थिति में थी। तभी गुरशरण सिंह जिनका हाथ टूटा हुआ था और जिन्हें बल्लेबाजी नहीं करनी थी 11वें पर मैदान में उतरे। उन्होंने तेंदुलकर का साथ दिया और दोनों ने मिलकर आखिरी विकेट के लिए 36 रन जोड़े। टीम अंततः 245 रन पर ऑल-आउट हो गई, लेकिन सचिन ने अपना शतक पूरा कर लिया था।

    'वादे निभाने के लिए होते हैं'

    एक कार्यक्रम में तेंदुलकर ने इस किस्से को याद करते हुए कहा, "कहते हैं वादे निभाने के लिए होते हैं। मैं मानता हूं कि वादे निभाए भी जाने चाहिए और यही हमारी पहचान है। मुझे याद है 1989 में ईरानी ट्रॉफी का मैच खेल रहा था। ये ट्रायल मैच था जिसके बाद टीम इंडिया का सेलेक्शन होना था। मैं 90 के स्कोर पर था और गुरशरण का हाथ टूटा हुआ था। उन्हें बल्लेबाजी नहीं करनी थी, लेकिन चयन समिति के अध्यक्ष राज सिंह डूंगरपुर ने उनसे कहा कि वे टीम का साथ दें। गुरशरण आए और मेरी सेंचुरी पूरी कराने में मदद की और उसी के बाद मुझे भारतीय टीम के लिए चुना गया। बाद में गुरशरण भी भारत के लिए खेले।"

    दिल को छू गई थी बात

    तेंदुलकर ने बताया कि गुरशरण की यह भावना उन्हें बहुत छू गई। उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें मैदान पर और ड्रेसिंग रूम में दिल से धन्यवाद दिया। टूटा हाथ लेकर मैदान में उतरना बहुत बड़ा कदम था। मैं शतक बनाऊं या नहीं यह बाद की बात थी। उनकी नीयत और साहस मेरे लिए सबसे अहम थे।"

    गुरुशरण ने भारत के लिए एक टेस्ट और एक वनडे खेला जबकि सचिन ने भारत के लिए 200 टेस्ट और 400 से ज्यादा वनडे खेले।

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