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    कांग्रेस की 'भारत जोड़ो पदयात्रा' में नंगे पैर चली छत्‍तीसगढ़ की आशिका, किसानों का किया समर्थन

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 20 Sep 2022 07:52 AM (IST)

    कांग्रेस (Congress) की भारत जोड़ो पदयात्रा (Bharat Jodo padyatra) में किसानों के समर्थन छत्तीसगढ़ की बेटी आशिका कुजूर (Ashika Kujur) नंगे पैर शामिल हुई। आशिका जशपुर जनपद पंचायत सभापति भी हैं। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर इसका वीडियो भी शेयर किया है।

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    छत्तीसगढ़ की बेटी आशिका कुजूर कांग्रेस की भारत जोड़ो पदयात्रा किसानों के समर्थन में नंगे पैर चलीं।

    रायपुर, मृगेंद्र पाण्डेय। छत्तीसगढ़ की बेटी आशिका कुजूर (Ashika Kujur) कांग्रेस (Congress) की भारत जोड़ो पदयात्रा (Bharat Jodo padyatra) में किसानों के समर्थन में नंगे पैर चलीं। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर इसका वीडियो भी शेयर किया है।

    जशपुर जनपद पंचायत सभापति आशिका ने बताया कि किसानों के हित को समर्पित करते हुए उसने नंगे पैर चलने का फैसला किया था। आशिका कुजूर के अलावा क्रांति बंजारे, रत्न पैकरा, चौलेश्वर चंद्राकर, आदित्य भगत और रामेश्वर चक्रधारी भारत यात्री के रूप में शामिल हैं।

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    यात्रा में इन मुद्दों पर हो रही है चर्चा

    आशिका ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब उन्‍हें देश के आखिरी छोर कन्याकुमारी से पदयात्रा करने का मौका मिला है। जब लोगों का स्‍नेह मिलने लगा तो अच्‍छा लगा। ऊर्जा दोगुनी हो गई है। इस यात्रा में किसानों के मुद्दों पर चर्चा हो रही है।

    युवाओं के रोजगार और महंगाई को भी चर्चा का प्रमुख विषय बनाया गया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पैदल चलने वालों ने अब तक 200 किलोमीटर का सफर पूरा किया है।

    आदिवासी अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं

    आशिका एक किसान परिवार से ताल्‍लुक रखती हैं और इस पर उन्‍हें गर्व हैं। वह किसान के संघर्ष और दर्द को महसूस करना चाहती है। आशिका ने बिना चप्‍पल पदयात्रा पूरी की ये पूरा दिन किसानों को समर्पित रहा। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर से पत्रकारिता कर चुकी आशिका यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई में कई पदों पर रह चुकी है।

    आशिका का कहना है कि छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के आने से आदिवासी अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जशपुर की बागीचा तहसील जहां से आती है वह घने जंगलों से घिरी हुई है। यहां के लोगों की आमदनी का जरिया खेती ही है।

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