Tata Motors Demerger: दो कंपनियां एक सवाल, लग्जरी JLR जीतेगी या देसी ट्रक-बस; कौन बनेगा कमाई का बादशाह
टाटा मोटर्स ने अपने 80 साल पुराने ढांचे को दो भागों में बांटा है: TMPV और CV। TMPV लग्जरी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें JLR शामिल है, जिसने FY25 में अच्छी कमाई की। CV भारत में ट्रकों और बसों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसकी आय भी स्थिर रही। विभाजन का कारण दोनों व्यवसायों की अलग-अलग प्रकृति और बाजार जोखिम हैं। अब निवेशकों के पास ग्लोबल लग्जरी या भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ पर दांव लगाने का विकल्प है।

नई दिल्ली। कभी एक ही छत के नीचे लग्जरी कारें, इलेक्ट्रिक SUVs और भारी ट्रक बनते थे। अब वो कहानी दो हिस्सों में बंट गई है। टाटा मोटर्स ने अपने 80 साल पुराने ढांचे को नया रूप दिया है। एक ओर जहां Tata Motors Passenger Vehicles Ltd (TMPV) है, जो जगुआर-लैंड रोवर जैसी ग्लोबल लग्जरी और इलेक्ट्रिक महत्वाकांक्षाओं की कहानी कहती है तो दूसरी ओर है Tata Motors Ltd (CV) है, जो भारत की सड़कों, फैक्ट्रियों और खदानों की धड़कन है।
यह सिर्फ कंपनी का पुनर्गठन नहीं, बल्कि टाटा साम्राज्य की दिशा बदलने वाला पल है। जहां एक पक्ष दुनिया की ऑटोमोबाइल रेस में तेज़ी से दौड़ना चाहता है और दूसरा देश की ग्रोथ इंजन को नई ताकत देना चाहता है।
टाटा मोटर्स का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा पुनर्गठन अब आधिकारिक रूप से लागू हो गया है। अब कंपनी दो अलग-अलग हिस्सों में बंट चुकी है।

TMPV: लग्जरी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस
TMPV में अब कंपनी का पैसेंजर व्हीकल (PV) बिजनेस, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) डिवीजन और ब्रिटेन की जगुआर लैंड रोवर (JLR) यूनिट शामिल हैं। मिंट के मुताबिक ब्रोकरेज रिपोर्ट में कहा गया है कि FY25 में TMPV की लगभग 87% कमाई JLR से आई, जबकि भारत के PV और EV बिजनेस से बाकी हिस्सा आया। JLR ने FY25 में करीब £29 अरब (लगभग ₹3.1 लाख करोड़) की कमाई की और £2.5 अरब (लगभग ₹27,000 करोड़) का कर-पूर्व मुनाफा दर्ज किया, जो पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है। JLR अब नेट कैश पॉजिटिव भी हो गया है। FY25 में कंपनी की रिटेल बिक्री 4.28 लाख यूनिट रही, जिसमें उत्तरी अमेरिका में मजबूत मांग रही लेकिन चीन में कमजोरी दिखी।
टाटा मोटर्स लिमिटेड (CV): देसी ट्रक, बस और इंडस्ट्रियल व्हीकल्स पर दांव
नई बनी टाटा मोटर्स लिमिटेड अब पूरी तरह से कमर्शियल व्हीकल्स (CV) पर केंद्रित कंपनी है। यह भारत में ट्रक, बस, निर्माण उपकरण और माल ढुलाई से जुड़ी गाड़ियों का निर्माण करती है।
अक्टूबर 2025 में कंपनी ने कुल 37,530 यूनिट्स बेचे, जिनमें से 35,108 यूनिट्स भारत में और सिर्फ 2,422 यूनिट्स अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिकीं। यानी फोकस अब भी भारत पर ही है। FY25 में CV डिवीजन की कुल आय ₹75,053 करोड़ रही और EBITDA मार्जिन करीब 11.8% था, यानी मुनाफे में मजबूती बनी रही।

क्यों किया गया यह विभाजन?
दरअसल, दोनों व्यवसायों की प्रकृति और बाजार जोखिम एक-दूसरे से काफी अलग हैं। TMPV की कमाई अब ज्यादा वैश्विक बाजारों (यूके, यूरोप, अमेरिका, चीन) पर निर्भर है, जबकि CV कंपनी की ग्रोथ भारत की अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और फेस्टिव डिमांड पर टिकी है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, यह विभाजन 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हुआ। पुराने टाटा मोटर्स के शेयरधारकों को प्रत्येक शेयर के बदले एक-एक शेयर नई CV कंपनी के मिले। 13 अक्टूबर को पुरानी कंपनी का नाम TMPV रखा गया, जबकि 29 अक्टूबर को नई CV कंपनी ने टाटा मोटर्स लिमिटेड का ऐतिहासिक नाम अपना लिया।

ग्लोबल बनाम घरेलू चुनौतियां
FY26 की शुरुआत TMPV के लिए थोड़ी कठिन रही। अमेरिका ने विदेशी बनी कारों पर नए टैरिफ लगाए, जिससे JLR की अमेरिकी शिपमेंट अस्थायी रूप से रुकी।
साथ ही अगस्त 2025 में एक साइबर अटैक ने उत्पादन और बिक्री को प्रभावित किया। हालांकि, कंपनी अब धीरे-धीरे रिकवरी की दिशा में बढ़ रही है और ब्रिटेन-अमेरिका व्यापार में कुछ राहत भी मिली है।
दूसरी तरफ, CV व्यवसाय को भारत में त्योहारी मांग, कम ब्याज दरों और इंफ्रा खर्च में बढ़ोतरी से फायदा मिला है। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, H1 FY26 में घरेलू CV बिक्री 4% बढ़ी है।
आगे की रणनीति
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक TMPV ने अगले 5 साल में ₹35,000 करोड़ EV और क्लीन पावरट्रेन निवेश योजना की घोषणा की है वहीं, टाटा मोटर्स लिमिटेड (CV) ने इटली की Iveco कंपनी के ट्रक और बस व्यवसाय (defence को छोड़कर) को $4.5 अरब में खरीदने का समझौता किया है। यह डील अप्रैल 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है और इससे कंपनी का विदेशी विस्तार और EV क्षमता दोनों बढ़ेंगे।

दो अलग रास्ते, अलग मौके
TMPV अब एक ग्लोबल लग्जरी और इलेक्ट्रिक व्हीकल प्ले है। JLR की ताकत, लेकिन विदेशी बाजारों पर निर्भरता भी बड़ी है। टाटा मोटर्स लिमिटेड (CV) एक भारत-केंद्रित इंडस्ट्रियल और कमर्शियल व्हीकल कंपनी बन गई है, जो देश की आर्थिक रफ्तार के साथ आगे बढ़ेगी।
जैसा कि एक विश्लेषक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि 'अब निवेशकों के पास साफ विकल्प हैं या तो ग्लोबल लग्जरी और EV ग्रोथ पर दांव लगाइए या भारत की ट्रक और इंफ्रा ग्रोथ स्टोरी पर।'
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