NSE रोज झेलता 17 करोड़ साइबर हमले, 'योद्धाओं' की ये टीम न हो तो ट्रेडिंग हो जाएगी ठप्प; ऐसे सेफ रहते हैं आपके पैसे और शेयर
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को प्रतिदिन लगभग 17 करोड़ साइबर हमलों (CYber Attack on NSE) का सामना करना पड़ता है। इन हमलों से निपटने के लिए एनएसई ने मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय किए हैं, जिसमें 24 घंटे काम करने वाली साइबर योद्धाओं की टीम और एडवांस्ड सॉफ्टवेयर शामिल हैं। एनएसई ने वल्नरैबिलिटी एंड पेनेट्रेशन टेस्टिंग (वीएपीटी) को अनिवार्य कर दिया है और एक ड्यूरेबल बैकअप सिस्टम भी स्थापित किया है।

स्टॉक एक्सचेंज एनएसई पर रोजाना 17 करोड़ साइबर अटैक होते हैं
भाषा, नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को रोज लगभग 17 करोड़ साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बिना अड़चन के ट्रेडिंग सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंज को चौबीस घंटे काम करने के लिए ‘साइबर योद्धाओं’ की एक समर्पित टीम की आवश्यकता होती है।
एनएसई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान एक दिन में सबसे अधिक 40 करोड़ साइबर हमलों का सामना करना पड़ा था। इसे डीडीओएस सिमुलेशन के रूप में डिजाइन किए गया था। हालांकि, साइबर हमलावर कर्मियों, मशीनों और एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज के समन्वित प्रयासों के कारण कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए।
एडवांस्ड सॉफ्टवेयर से होता है बचाव
एनएसई के एक सीनियर अधिकारी के अनुसार एक्सचेंज पर हर दिन लाखों साइबर हमले होते हैं। लेकिन हमारी तकनीकी टीमें, उनका सिस्टम और तकनीक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके चौबीसों घंटे इन हमलों का मुकाबला करती हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर हमलों की संख्या प्रतिदिन 15 करोड़ से 17 करोड़ के बीच है, जिससे टीमों और सिस्टम्स के लिए यह कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। दोनों साइबर सुरक्षा केंद्रों की तकनीकी टीमें लगातार सक्रिय रहती हैं और फाइनेंशियल मार्केट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर होने वाले हमलों को बेअसर करने और उन्हें रोकने के लिए एडवांस्ड सॉफ्टवेयर से लैस हैं।
अधिकारी के अनुसार तकनीकी रूप से दक्ष कर्मियों, मशीनों और तकनीक से युक्त मजबूत साइबर सुरक्षा संरचना, एनएसई के संचालन को सुरक्षित बनाती है।
‘पॉप-अप’ और ‘अलर्ट’
एनएसई ने अपने ऑपरेशन के लिए मजबूत आंतरिक साइबर सुरक्षा उपाय लागू किए हैं और एनएसई एकेडमी के जरिए एक साइबर सुरक्षा बेसिक ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, ट्रेडिंग सदस्यों को नियमित रूप से साइबर सुरक्षा और साइबर-जुझारू क्षमता ऑडिट करवाना पड़ता है, जिसके परिणाम एक्सचेंज को प्रस्तुत किए जाते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था में ई-मेल, बाहरी डेटा, पेन ड्राइव और डिस्ट्रिब्यूटिड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों से सुरक्षा के लिए सख्त प्रोटोकॉल शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन माध्यमों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर ‘पॉप-अप’ और ‘अलर्ट’ तुरंत जारी किए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि डीडीओएस हमला सर्वर पर कई स्रोतों से आने वाले ट्रैफिक को बढ़ा देता है, जिससे वह क्रैश हो जाता है या वैध उपयोगकर्ताओं के लिए अनुपलब्ध हो जाता है।
वल्नरैबिलिटी एंड पेनेट्रेशन टेस्टिंग है अनिवार्य
यह शेयर बाजार जैसे सीमलेस ऑपरेशन पर निर्भर उद्योगों के लिए एक गंभीर खतरा है। सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एनएसई ने अपनी सिस्टम की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सभी ट्रेडिंग सदस्यों और कर्मचारियों के लिए वल्नरैबिलिटी एंड पेनेट्रेशन टेस्टिंग (वीएपीटी) को अनिवार्य कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर के पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को एनएसई का दौरा किया और इसकी प्रबंधन सुविधाओं, साइबर सुरक्षा केंद्रों और बैकअप सेटअप का निरीक्षण किया। शीर्ष अधिकारियों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुई एक घटना के बारे में जानकारी साझा की। अधिकारियों ने बताया कि उस अवधि के दौरान अत्यधिक सुरक्षा खतरे के जवाब में एनएसई ने एहतियाती उपाय के रूप में विदेशी उपयोगकर्ताओं के लिए अपनी वेबसाइट तक पहुंच को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने का एक सचेत निर्णय लिया।
एनएसई के पास ड्यूरेबल, सेल्फ-एक्टिवैटिंग बैकअप सिस्टम
एनएसई नेतृत्व ने कहा कि किसी भी उल्लंघन की स्थिति में न केवल एक्सचेंज के सिस्टम, बल्कि हमसे जुड़ी हर चीज प्रभावित होगी। अधिकारियों ने आगे कहा कि बढ़ते वैश्विक अंतर्संबंध और सिस्टम की जटिलता ने बड़े पैमाने पर साइबर हमलों के जोखिम को और भी प्रासंगिक बना दिया है, जिससे वित्तीय बाजारों की स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय बाजार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत कम लागत पर बड़े पैमाने पर साइबर हमलों की संभावना एक प्रमुख वैश्विक जोखिम बनी हुई है। एनएसई के पास एक टिकाऊ, स्व-सक्रिय बैकअप प्रणाली है जिसे औपचारिक डिजिटल प्रोसेस और अनिवार्य अनुमोदन के जरिए चेन्नई स्थित अपने मुख्यालय से दूरस्थ रूप से संचालित किया जा सकता है।
काफी मजबूत है सिस्टम
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ट्रेडिंग सिस्टम से लेकर बैकअप सेटअप तक, यह प्रणाली काफी हद तक अपना काम खुद करती है। यह न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ स्वचालित रूप से दोषों या त्रुटियों को ठीक कर सकती है। यदि यहां कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद चेन्नई में एक समानांतर बैकअप सेटअप चालू हो जाता है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा स्थिति अभी तक नहीं बनी है।
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