एक गिरफ्तारी से बुरी तरह ढह गए अनिल अंबानी की कंपनी के शेयर, रिलायंस पावर और इन्फ्रा में 10% तक की गिरावट
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने कथित फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग मामले में रिलायंस पावर के वरिष्ठ कार्यकारी अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है। इसके बाद रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है।
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रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रा के शेयरों में गिरावट आई।
नई दिल्ली। अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनी के शेयरों (Anil Ambani Companies) में आए दिन किसी खबर के चलते बड़ी गिरावट देखने को मिलती है। 13 अक्तूबर को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस पावर के शेयर (Reliance Power Share) 10 फीसदी तक टूट गए, जबकि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infra Shares) के शेयर 4.5 फीसदी तक गिर गए। कंपनी के शेयरों में यह गिरावट उस रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें दावा किया गया है कि सरकारी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने कथित फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग मामले में रिलायंस पावर के वरिष्ठ कार्यकारी अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है। टीओई की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
रिलायंस पावर के शेयर 10% फीसदी की गिरावट के साथ 43.55 रुपये पर खुले, जबकि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर 4.5% गिरकर 231 रुपये प्रति शेयर पर आ गए। हालांकि, गिरावट के बाद दोनों शेयरों में खरीदारी देखने को मिली है।
अधिकारी को 2 दिन की हिरासत में भेजा
गिरफ्तारी के बाद अशोक कुमार पाल को 2 दिन की हिरासत में भेज दिया गया है। शुक्रवार रात अरेस्ट किए जाने के बाद पाल से कई घंटों तक पूछताछ की गई। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कथित वित्तीय अनियमितताओं और संभावित उल्लंघनों की जांच कर रहा है।
कंपनी के अधिकारी को गिरफ्तार करने की यह फैसला 24 जुलाई को ईडी द्वारा बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई के बाद आया है। इस दौरान रिलायंस अनिल अंबानी समूह (RAAGA) की कंपनियों से जुड़े 35 परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से ज़्यादा व्यक्तियों की तलाशी ली गई थी।
अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ यह जांच सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को लेकर शुरू की गई है। इस केस में यस बैंक के तत्कालीन प्रवर्तक, राणा कपूर भी शामिल हैं, जिनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है। ईडी को संदेह है कि यस बैंक द्वारा 2017 और 2019 के बीच वितरित किए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋणों का अवैध रूप से दुरुपयोग किया गया है।
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