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    New NPS Rules: अब रिटायरमेंट पर 80 फीसदी तक पैसा निकालने का मौका, कैसे निकलेगी रकम?

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 04:59 PM (IST)

    नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े गैर-सरकारी निवेशकों के लिए बड़ी खबर है। PFRDA ने NPS के एग्ज़िट और विदड्रॉल नियमों में बदलाव किया है, जिससे प्राइवेट ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े लाखों गैर-सरकारी निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने NPS के एग्ज़िट और विदड्रॉल नियमों में अहम बदलाव किया है, जिससे अब प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी, स्व-रोजगार वाले लोग और अन्य गैर-सरकारी सब्सक्राइबर रिटायरमेंट के समय अपने पैसे पर ज्यादा नियंत्रण पा सकेंगे।

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    16 दिसंबर 2025 को अधिसूचित PFRDA (NPS के तहत निकासी और एग्ज़िट) विनियम, 2025 के तहत यह बदलाव ऑल सिटिजन मॉडल और कॉरपोरेट NPS से जुड़े सब्सक्राइबर्स पर लागू होगा। सरल शब्दों में कहें तो अब रिटायरमेंट पर अनिवार्य एन्युटी में जाने वाली राशि कम कर दी गई है।

    क्या बदला है NPS के निकासी नियमों में?

    अब तक गैर-सरकारी NPS सब्सक्राइबर्स को रिटायरमेंट के समय अपने कुल पेंशन कॉर्पस का कम से कम 40% हिस्सा एन्युटी खरीदने में लगाना अनिवार्य था। एन्युटी से नियमित पेंशन तो मिलती है, लेकिन एकमुश्त रकम तक तुरंत पहुंच सीमित हो जाती थी।
    नए नियमों के तहत यह अनिवार्य एन्युटी हिस्सा घटाकर न्यूनतम 20% कर दिया गया है (कुछ शर्तों के साथ)। इसका मतलब यह है कि योग्य सब्सक्राइबर अब अपने रिटायरमेंट कॉर्पस का 80% तक हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं।

    ये नियम किन स्थितियों में लागू होंगे?

    • 60 वर्ष की आयु में सामान्य एग्जिट
    • न्यूनतम सब्सक्रिप्शन अवधि पूरी करने के बाद एग्जिट
    • 60 से 85 वर्ष की आयु के बीच एग्जिट

    अब एन्युटी और लंपसम निकासी कैसे होगी?

    एन्युटी NPS का अहम हिस्सा बनी रहेगी, क्योंकि यह रिटायरमेंट के बाद नियमित आय सुनिश्चित करती है। लेकिन अब कम अनिवार्य हिस्से के कारण रिटायर्ड व्यक्ति के पास ज्यादा लचीलापन होगा। एन्युटी की शर्त पूरी करने के बाद बची राशि को सब्सक्राइबर चाहे तो एकमुश्त निकाल सकता है या फिर तय अवधि में सिस्टमेटिक यूनिट विदड्रॉल के जरिये ले सकता है।

    कॉर्पस के आधार पर निकासी के नए नियम क्या हैं?

    1. ₹8 लाख तक का कॉर्पस
    2. पूरा कॉर्पस एकमुश्त निकाला जा सकता है। एन्युटी खरीदना वैकल्पिक है और अधिकतम 20% तक हो सकता है।
    3. ₹8 लाख से ₹12 लाख तक का कॉर्पस
    4. एकमुश्त निकासी की सीमा ₹6 लाख होगी।
    5. शेष राशि से एन्युटी खरीदी जा सकती है या फिर 6 साल तक सिस्टमेटिक यूनिट विदड्रॉल के जरिये निकाली जा सकती है।
    6. ₹12 लाख से अधिक का कॉर्पस
    7. कम से कम 20% राशि से एन्युटी खरीदना अनिवार्य होगा। बाकी 80% तक राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है।

    रिटायर्ड लोगों के लिए यह बदलाव क्यों अहम है?

    लंबे समय से गैर-सरकारी NPS सब्सक्राइबर्स यह मांग कर रहे थे कि एन्युटी में बहुत ज्यादा पैसा फंस जाता है, जबकि एन्युटी पर मिलने वाला रिटर्न अपेक्षाकृत कम होता है और लचीलापन भी नहीं होता। अनिवार्य एन्युटी हिस्से को 40% से घटाकर 20% करना इसी चिंता का समाधान माना जा रहा है।
    नए नियमों से तरलता और भविष्य की आय दोनों के बीच संतुलन बनता है। अब रिटायर्ड व्यक्ति अपनी जरूरतों के अनुसार मेडिकल खर्च, पारिवारिक जिम्मेदारियों या निवेश की योजना बेहतर तरीके से बना सकेंगे, साथ ही एन्युटी के जरिये न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन भी मिलती रहेगी। कुल मिलाकर, यह बदलाव नेशनल पेंशन सिस्टम को गैर-सरकारी निवेशकों के लिए ज्यादा व्यावहारिक और आकर्षक बनाता है।

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