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    EPF VS EPS: प्राइवेट नौकरी करने वालों को मिलता है दोनों का लाभ, रिटायरमेंट के बाद एक देता है पेंशन और दूसरा फंड

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:06 PM (IST)

    EPF VS EPS:  पीएफ निजी क्षेत्र में काम करने वालों के लिए महत्वपूर्ण है, जो दो हिस्सों में कटता है: पेंशन और फंड। कर्मचारी की सैलरी का 12% पीएफ के रूप में कटता है, और कंपनी भी योगदान करती है। ईपीएफ दीर्घकालिक बचत का सुरक्षित तरीका है, जबकि ईपीएस सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय देता है। ईपीएफओ-पंजीकृत कंपनियों के कर्मचारी इसके लिए पात्र हैं। ईपीएफ रिटायरमेंट के लिए फंड तैयार करता है, जबकि ईपीएस पेंशन देता है।

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    EPF VS EPS: प्राइवेट नौकरी करने वालों को मिलता है दोनों का लाभ, रिटायरमेंट के बाद एक देता है पेंशन और दूसरा फंड

    नई दिल्ली। EPF VS EPS: अगर प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं तो आपका पीएफ जरूर कटता होगा। PF दो हिस्सों में कटता है। एक तो पेंशन के रूप में एक फंड के रूप में। ये दोनों हिस्सा कर्मचारी और नियोक्ता के हिस्सों से जमा होता है। नियम के अनुसार कर्मचारी के बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ के रूप में कटता है। और इतना ही पैसा कंपनी अपनी तरफ से कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा करती है। लेकिन कंपनी अपना पैसा दो हिस्सों में जमा करती है। पहला हिस्सा ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। यह करीब 3.67% होता है। वहीं, कंपनी का दूसरा हिस्सा ईपीएस यानी Employee Pension Scheme में जमा होता है। इन दोनों का लाभ कर्मचारी को मिलता है। आइए जानते हैं कि इन दोनों के क्या फायदा हैं।

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    क्या है EPF और EPS?

    कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 द्वारा शासित, ये दो योजनाएं, EPF और EPS, भारत में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति योजना को आसान बनाती हैं।EPF दीर्घकालिक बचत के लिए एक सुरक्षित और अनुशासित मार्ग प्रदान करता है, जबकि इसका दूसरा विकल्प, EPS, एक वार्षिकी योजना है जो आपको सेवानिवृत्ति के दौरान नियमित आय प्रदान करती है।

    EPF केवल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के साथ पंजीकृत कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए खुला है। 20 से अधिक कर्मचारियों वाली किसी भी कंपनी को यह योजना प्रदान करनी होगी। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) का 12% योगदान करते हैं। नियोक्ता का हिस्सा बांट जाता है, जिसमें 3.67% फंड में और बाकी EPS में जाता है। 2024-25 के लिए EPF की ब्याज 8.25% ब्याज दर है।

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    वहीं, अगर EPS की बात करें तो कम से कम दस साल पीएफ कटने के बाद इसका लाभ मिलता है। 58 साल की उम्र से यह कर्मचारी को नियमित पेंशन प्रदान करता है। इस योजना में केवल नियोक्ता ही वेतन का 8.33% योगदान देता है। कर्मचारी की मृत्यु होने पर, पेंशन नामांकित व्यक्ति को मिलती रहती है। ईपीएफ और ईपीएस मिलकर वेतनभोगी भारतीयों को बचत का एक सुरक्षित तरीका और सेवानिवृत्ति के बाद एक विश्वसनीय आय प्रदान करते हैं।

    EPF VS EPS में क्या है अंतर और क्या हैं दोनों के फायदे?

    विशेषता Employees’ Provident Fund (EPF) Employees’ Pension Scheme (EPS)
    उद्देश्य रिटायरमेंट के लिए फंड तैयार करना रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन
    पात्रता ईपीएफओ में पंजीकृत कंपनियों (20 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियां) के वेतनभोगी कर्मचारी केवल EPF सदस्यों के लिए
    योगदान कर्मचारी के वेतन का 12% + महंगाई भत्ता केवल नियोक्ता का योगदान: वेतन का 8.33%
    ब्याज/वापसी वार्षिक आधार पर समीक्षा की जाती है कोई ब्याज नहीं
    निकासी पात्र निधि का 100% तक। निधि का 25% करियर के अंत तक बना रहना चाहिए। पेंशन 10 साल की सेवा के बाद 58 वर्ष की आयु में शुरू होती है; कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी नामांकित व्यक्ति के पास जारी रहती है

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