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    SIP Calculation: 10 साल तक हर महीने 8000 रुपये की एसआईपी से कितना बनेगा फंड, देखें कैलकुलेशन

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 05:00 PM (IST)

    म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए ज्यादातर एसआईपी को ही चुना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एसआईपी निवेशकों को सुविधाजनक लगती है। इसमें आप पैसा किस्तों में निवेश कर सकते हैं। आज हम SIP Calculation की मदद से समझेंगे कि 10 साल तक हर महीने 8000 रुपये की एसआईपी करने पर कितना फंड बनकर तैयार होगा।

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    SIP Calculation 10 साल में 8000 रुपये की SIP से मिलेगा इतना रिटर्न

      नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए अक्सर एसआईपी का चयन किया जाता है। आज आप एसआईपी के जरिए 100 रुपये से निवेश कर सकते हैं। आज हम SIP Calculation की मदद से समझेंगे कि 10 साल तक हर महीने 8000 रुपये की एसआईपी करने पर कितना फंड बनकर तैयार होगा।

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    सबसे पहले कैलकुलेशन देख लेते हैं।

    कैलकुलेशन

    • निवेश रकम- 8000 रुपये प्रतिमाह
    • रिटर्न- 12 फीसदी

    अगर निवेशक एसआईपी के जरिए 10 साल तक हर महीने 8000 रुपये निवेश करता है, तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से उसे मैच्योरिटी पर 25,23,000 रुपये मिलेंगे। इन 10 सालों में मूलधन 9 लाख रुपये बनेगा।

    यह भी पढ़ें- SIP Calculation: 10 साल तक हर महीने 6000 रुपये निवेश करने पर कितना बनेगा रिटर्न? देखें कैलकुलेशन

    चलिए अब जानते हैं कि आप कैसे पता लगा सकते हैं कि कौन-से फंड में कितना रिस्क है? इसके लिए हमने यूटीआई एएमसी के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एंड हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, फरहाद गादीवाला से बातचीत की।

    कैसे जांचे रिस्क?

    म्यूचुअल फंड निवेश के लिए एक सुविधाजनक माध्यम तो हैं, लेकिन निवेशकों को इसमें शामिल जोखिमों को भी समझना चाहिए। सबसे आम जोखिम शेयर मार्केट का होता है। इक्विटी फंड शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के अधीन होते हैं, और डेट फंड ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और क्रेडिट गुणवत्ता से प्रभावित होते हैं।

    इसके अलावा डेट और स्मॉल और माइक्रो कैप फंड में लिक्विडिटी रिस्क भी ज्यादा होता है। इन्हें शेयर बाजार में गिरावट के समय निकालना मुश्किल हो जाता है। वहीं रिस्क तब भी ज्यादा बढ़ जाता है, जब फंड कुछ ही सेक्टर्स में निवेश करते हैं। ऐसे फंड में विविधीकरण कम होती है।

    ऐसे ही अगर आपके फंड से मिलने वाला रिटर्न, हर साल बढ़ने वाली महंगाई दर से आगे नहीं बढ़ पाता, तो ये नुकसानदायक बन जाता है। वहीं निवेशकों का फंड के प्रति कैसा बर्ताव है, उस पर भी रिटर्न निर्भर करता है। जैसे नेगेटिव पोर्टफोलियो देख फंड बदलते रहना, रिटर्न के पीछे भागना इत्यादि।

    फरहाद गादीवाला कहते हैं कि निवेशकों को ये समझना होगा कि म्यूचुअल फंड पर मिलने वाला रिटर्न स्टॉक मार्केट पर निर्भर है। इसके तहत आपको फिक्स्ड रिटर्न नहीं मिलता, ये बदलता रहता है। इसलिए फंड में लंबे समय तक बने रहें।

    (डिस्क्लेमर: यहां म्यूचुअल फंड पर दी गयी जानकारी निवेश की सलाह नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। शेयर बाजार में जोखिम हो सकता है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)