Equity Mutual Fund में निवेश करने वालों को झटका, 7 साल में पहली बार दिया नेगेटिव रिटर्न; क्या ये है खतरे की घंटी?
Equity Mutual Fund: इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को पिछले 7 सालों में पहली बार नेगेटिव रिटर्न मिला है, जिससे चिंता बढ़ गई है। बाजार की अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक मंदी को इसका कारण माना जा रहा है। विशेषज्ञों ने निवेशकों को धैर्य रखने और पोर्टफोलियो की समीक्षा करने की सलाह दी है। कुछ विश्लेषक इसे खरीदारी का अवसर भी मान रहे हैं।
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Equity Mutual Fund में निवेश करने वालों को झटका, 7 साल में पहली बार दिया नेगेटिव रिटर्न; क्या ये है खतरे की घंटी?
नई दिल्ली। Equity Mutual Fund: अगर आपने म्यूचुअल फंड में निवेश कर रखा है तो यह खबर आपके काम की हो सकती है। दरअसल, बीते कुछ सालों में Mutual Fund में निवेश करने वालों की संख्या में बहुत तेजी आई है। म्यूचुअल फंड के भी कई प्रकार होते हैं। कुछ लोग इक्विटी तो कुछ लोग Debt Funds तो कुछ लोग Hybrid Funds में निवेश करते हैं। लेकिन यह खबर Equity Funds को लेकर है। दरअसल, पिछले 7 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि इस म्यूचुअल फंड ने नेगेटिव रिटर्न दिया है। लेकिन कितना आइए इसे जानते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड का कैसा रहा हाल?
इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं का एक साल का रोलिंग प्रदर्शन अगस्त 2025 तक शून्य से नीचे गिर गया। इससे पहले 2018 में ऐसा देखा गया था। इस खबर ने निवेशकों के मन में एक सवाल पैदा कर दिया है। सवाल इस बात कि क्या उनका किया हुआ निवेश खतरे में है? हम सब जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में किया हुआ निवेश बाजार जोखिमों के अधीन होता है।
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार इक्विटी म्यूचुअल फंड रिटर्न, लगभग 7 वर्षों तक चले लंबे तेजी के दौर के बाद नकारात्मक हो गया। यह गिरावट बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से कमजोर स्थिति और निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता में कमी, दोनों को दर्शाती है।
एक साल के रोलिंग आधार पर, इक्विटी म्यूचुअल फंडों ने फरवरी 2025 से डेट फंडों की तुलना में भी कम प्रदर्शन किया है। यह महामारी कोविड 19 के बाद के सामान्य रुझान का उलट है। इक्विटी और डेट रिटर्न के बीच का अंतर, जिसे अक्सर "इक्विटी प्रीमियम" कहा जाता है, घटकर केवल 10% रह गया है, जो अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कम अंतर है।
इक्विटी म्यूचुअल फंडों में शुद्ध निवेश लगातार तीन महीनों से धीमा है। जुलाई 2025 में ₹42,700 करोड़ के शिखर से, अगस्त में निवेश घटकर ₹33,430 करोड़ और सितंबर में ₹30,400 करोड़ रह गया। कभी खुदरा निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही स्मॉलकैप कैटेगरी में शुद्ध निवेश में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि थीमैटिक और सेक्टोरल फंड दबाव में बने हुए हैं।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
चुनौतियों के बावजूद, कुछ विश्लेषक भारतीय शेयर बाजारों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए हुए हैं। इनक्रेड इक्विटीज के प्रमोद अमथे ने कहा कि आर्थिक सुधार के शुरुआती संकेत और नीति-संचालित उपभोग समर्थन बाजार की धारणा को बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें निफ्टी 50 में 11% की तेजी की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य दिसंबर 2026 तक 28,433 तक पहुँचना है, और हमने अपने रुख को ओवरवेट कर दिया है।"
ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने कहा कि मौजूदा मूल्यांकन आकर्षक बने हुए हैं, निफ्टी एक साल की अग्रिम आय के 19 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो इसके 15 साल के औसत से थोड़ा कम है। फर्म ने 12 महीने के निफ्टी लक्ष्य को 28,781 पर रखा है, जो मध्यम वृद्धि की संभावना दर्शाता है।
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(डिस्क्लेमर: यहां म्यूचुअल फंड पर दी गयी जानकारी निवेश की सलाह नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। शेयर बाजार में जोखिम हो सकता है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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