तीन साल में स्वदेशी सौर सेल बनाने लगेगा भारत; ऊर्जा मंत्री बोले- ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में बनेगी देश की पहचान
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत 2028 तक सौर ऊर्जा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर हो जाएगा। देश स्वदेशी सौर सेल निर्माण में तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आयात कम होगा और रोजगार बढ़ेगा। भारत ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनेगा। राज्यों के सहयोग से 2030 तक पांच लाख मेगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य आधा पूरा हो चुका है।

नई दिल्ली| अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत वर्ष 2028 से सौर ऊर्जा के लिए जरूरी सभी तरह के उपकरणों के निर्माण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा। यह बात केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी (pralhad joshi) ने यहां अपने मंत्रालय द्वारा आयोजित राज्यों की समीक्षा बैठक में कही।
जोशी ने बताया कि भारत अब सौर माड्यूल से आगे बढ़कर वेफर्स और इंगट्स के लिए भी घरेलू उत्पादन क्षमता विकसित कर रहा है। खासतौर पर स्वदेशी सौर सेल निर्माण (indigenous solar cells) की दिशा में भारत वैश्विक सप्लाई चेन में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की तरफ अग्रसर है। इससे न केवल आयात निर्भरता कम होगी, बल्कि रोजगार सृजन व निवेश में भी काफी वृद्धि होगी।
ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में बनेगी देश की पहचान
भारत ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के तौर पर पहचान बनाएगा। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में राज्यों की प्रगति पर जोशी ने संतोष जताते हुए कहा कि राज्यों के सहयोग की वजह से ही भारत का 2030 तक पांच लाख मेगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य अभी आधे से अधिक पूरा हो चुका है।
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2.51 लाख मेगावाट की क्षमता स्थापित
देश ने सौर, पवन जैसे दूसरे गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्त्रोतों से 2.51 लाख मेगावाट से ज्यादा बिजली बनाने की क्षमता स्थापित हो चुकी है। बैठक में सौर ऊर्जा के साथ-साथ पवन, हाइड्रो, और अन्य नवीकरणीय स्त्रोतों पर भी चर्चा हुई।
ऊर्जा मंत्री का राज्यों से आह्वान
उन्होंने राज्यों से इस दिशा में सहयोग बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर नवीन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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