Life Insurance Bonus: जीवन बीमा बोनस क्या होता है, कैसे बनता है और आपके लिए कितना फायदेमंद?
जीवन बीमा बोनस एक अतिरिक्त राशि है जो पॉलिसीधारकों को मिलती है। यह राशि बीमा कंपनी के मुनाफे से आती है और पॉलिसी के मैच्योर होने या क्लेम करने पर दी जाती है। पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियां ही बोनस देती हैं, जैसे रीवर्शनरी और कैश बोनस। बोनस की गणना विभिन्न तरीकों से की जाती है, जो पॉलिसी के प्रकार पर निर्भर करता है। यह पॉलिसीधारकों के लिए एक अतिरिक्त लाभ है।

जीवन बीमा बोनस एक अतिरिक्त राशि है जो पॉलिसीधारकों को मिलती है।
नई दिल्ली। अगर आपने कभी सोचा है कि बोनस सिर्फ नौकरी में मिलने वाला अतिरिक्त पैसा होता है, तो जरा रुकिए। जीवन बीमा में भी ऐसा ही एक कॉन्सेप्ट होता है, जिसे लाइफ इंश्योरेंस बोनस कहते हैं। यह वह अतिरिक्त रकम है जो बीमा कंपनी आपको आपके बेसिक सम एश्योर्ड के ऊपर देती है और इसे आप या तो पॉलिसी मैच्योर होने पर या फिर क्लेम होने पर मिलते हैं।
नीचे हम आपको आसान भाषा में समझा रहे हैं कि यह बोनस कैसे मिलता है, कौन-सी पॉलिसियां इसके लिए होती हैं और यह कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
बोनस कैसे जनरेट होता है?
जब आप प्रीमियम भरते हैं, तो वह रकम बीमा कंपनी की कुल संपत्ति का हिस्सा बन जाती है। कंपनी इस धन को मुख्य रूप से सरकारी सिक्योरिटीज और कुछ हिस्सा इक्विटी में निवेश करती है।
इन निवेशों से मिलने वाला रिटर्न और कंपनी का क्लेम एक्सपीरियंस मिलकर एक सरप्लस बनाते हैं। यही सरप्लस कंपनी अपने पॉलिसीहोल्डर्स के बीच बोनस के रूप में बांटती है। अगर किसी साल कंपनी की एसेट वैल्यू उसकी देनदारियों से ज्यादा होती है, तो यह अतिरिक्त रकम भी बोनस के तौर पर दी जाती है।
कौन-सी पॉलिसियां बोनस देती हैं?
केवल पार्टिसिपेटिंग (With-Profit) पॉलिसियां ही बोनस पाने की सुविधा देती हैं। इन पॉलिसियों में कंपनी के मुनाफे का हिस्सा आपको मिलता है। जैसे रीवर्शनरी बोनस,
कैश बोनस, इंटरिम बोनस, टर्मिनल बोनस शामिल है।
वहीं टर्म प्लान और ULIP (Unit-Linked Plans) में बोनस नहीं मिलता, क्योंकि इनमें प्रॉफिट-शेयरिंग का विकल्प नहीं होता।
बोनस के प्रकार
1. सिंपल रीवर्शनरी बोनस (Simple Reversionary Bonus)
यह बोनस आपकी सम एश्योर्ड पर हर साल तय प्रतिशत के हिसाब से जुड़ता रहता है। भुगतान केवल मेच्योरिटी या डेथ क्लेम पर होता है।
2. कंपाउंड रीवर्शनरी बोनस (Compound Reversionary Bonus)
इसमें हर साल का बोनस पिछले बोनस जोड़कर नए टोटल पर कैलकुलेट होता है। यानी कि यह कंपाउंड इंटरेस्ट की तरह बढ़ता है।
3. इंटरिम बोनस (Interim Bonus)
अगर पॉलिसी मैच्योर हो जाए या पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु बोनस घोषणा से पहले हो जाए, तो कंपनी बीच का बोनस इंटरिम बोनस के रूप में देती है।
4. कैश बोनस (Cash Bonus)
यह बोनस साल के अंत में कैश के रूप में मिलता है। इसे लेने के लिए पॉलिसी के मेच्योर होने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
5. टर्मिनल बोनस (Terminal Bonus)
यह एक बार मिलने वाला बोनस है, जो सिर्फ पॉलिसी को लंबे समय तक जारी रखने पर मिलता है। यह केवल मेच्योरिटी या मृत्यु पर दिया जाता है।
बोनस कैसे कैलकुलेट होता है?
सिंपल रीवर्शनरी बोनस
मान लीजिए आपका सम एश्योर्ड ₹5,00,000 है और बोनस रेट 2% है। तो साल का बोनस ₹10,000 तक मिल सकता है।
कंपाउंड रीवर्शनरी बोनस
पहले साल में ₹10,000, दूसरे साल में 2% का (₹5,00,000 + 10,000) = ₹10,200 रुपये होगा। इस तरह यह हर साल बढ़ता रहता है।
इंटरिम बोनस
यह बोनस आखिरी घोषित बोनस से लेकर पॉलिसी के मैच्योर होने या क्लेम होने के दिन तक के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है।
कैश बोनस
अगर आपने सालाना प्रीमियम ₹20,000 दिया और बोनस रेट 2% है, तो कैश बोनस ₹400 होगा।
टर्मिनल बोनस
यह लंबी अवधि तक पॉलिसी चलाने पर मिलती है, लेकिन सरेंडर या पेड-अप पॉलिसियों पर लागू नहीं होती।
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