Health Insurance Renew Rule: क्या आपको भी सताता है नई बीमारी पर प्रीमियम बढ़ने का डर? क्या हैं नियम
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू (Health Insurance Renewal) करते समय, अगर कोई नई बीमारी डिटेक्ट होती है, तो क्या प्रीमियम बढ़ सकता है? 'मटेरियल चेंज' क्लॉज के अनुसार, कुछ कंपनियां रिन्यूअल के दौरान नई बीमारी की जानकारी मांग सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ रिन्यू करने पर नई बीमारी बताने की जरूरत नहीं है। IRDAI के नियमों के अनुसार, हेल्थ पॉलिसी को आजीवन रिन्यू करना अनिवार्य है, और क्लेम हिस्ट्री के कारण रिन्यूअल से इनकार नहीं किया जा सकता।

अक्सर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी एक साल के लिए मिलती है या कभी-कभी उससे ज्यादा समय के लिए भी हो सकती है।
नई दिल्ली। अक्सर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी एक साल के लिए मिलती है या कभी-कभी उससे ज्यादा समय के लिए भी हो सकती है। इसलिए हर साल पॉलिसी एक्सपायर होने से पहले उसे रिन्यू करना बेहद जरूरी होता है। लेकिन कई लोग तब परेशान हो जाते हैं जब रिन्यूअल के वक्त इंश्योरेंस कंपनी आपसे पूछती है कि क्या पिछले साल के दौरान आपकी सेहत या लाइफस्टाइल में कोई बदलाव आया है या नहीं?
ऐसे में अब सवाल सुनकर कई लोग सोचने लगते हैं कि कहीं कंपनी इस जानकारी का इस्तेमाल प्रीमियम बढ़ाने तो नहीं कर रही। या फिर पॉलिसी रिन्यू करने से कहीं मना न कर दे। हाल ही में ‘मैटेरियल चेंज’ क्लॉज को लेकर यह चर्चा और बढ़ गई है, क्योंकि कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने इसे अपने पॉलिसी डॉक्यूमेंट में शामिल करना शुरू कर दिया है।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक ICICI Lombard, Acko, SBI जनरल, ManipalCigna, रिलायंस जनरल, रहेजा QBE और Zuno जनरल इंश्योरेंस जैसी कंपनियों की कुछ पॉलिसियों में यह क्लॉज पाया गया है। तो चलिए समझते हैं कि यह क्लॉज है क्या, इसका असर क्या होता है और IRDAI के हिसाब से आपके अधिकार क्या हैं?
‘मटेरियल’ क्लॉज क्या है?
मटेरियल क्लॉज के बारे में सीधे शब्दों में कहें तो अगर आपने पॉलिसी खरीदने के बाद कोई नई बीमारी या हेल्थ कंडीशन डिटेक्ट की है, तो कुछ कंपनियां रिन्यूअल के दौरान आपको इसकी जानकारी देने के लिए कह सकती हैं। लेकिन क्या यह जानकारी देने से आपका प्रीमियम बढ़ सकता है या पॉलिसी में बदलाव हो सकते हैं? चलिए आगे जानते हैं।
क्या नई बीमारी बताने पर आपका प्रीमियम बढ़ सकता है?
इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूजन है। लेकिन विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि नहीं, ऐसा नहीं होता। Acko के सीनियर वीपी नितिन गुप्ता के मुताबिक अगर आप सिर्फ पॉलिसी रिन्यू कर रहे हैं, तो नई बीमारी बताने की कोई जरूरत नहीं है। केवल तभी हेल्थ जानकारी पूछी जा सकती है जब आप कवरेज बढ़ा रहे हों। जैसे सम इंश्योर्ड बढ़ाना या नया राइडर जोड़ना है।
उन्होंने आगे कहा कि इंश्योरर आपकी नई बीमारी की वजह से प्रीमियम नहीं बढ़ा सकता। न कोई एक्सक्लूशन जोड़ सकता है, न कवरेज घटा सकता है।
अगर आप नई बीमारी न बताएं तो क्या क्लेम रिजेक्ट हो सकता है?
लोगों के मन में सबसे बड़ा डर यही होता है। लेकिन सिर्फ इसलिए क्लेम रिजेक्ट नहीं किया जा सकता कि आपने नई बीमारी नहीं बताई ।
कब हो सकती है नई अंडरराइटिंग (स्वास्थ्य जानकारी की नई जांच)?
IRDAI के नियम के मुताबिक जब तक आप सम इंश्योर्ड (sum insured) नहीं बढ़ाते, तब तक नई अंडराइटिंग नहीं हो सकता। विशेषज्ञों के अनुसार यह सम इश्योर्ड बढ़ाने, नया राइडर जोड़ने, नए परिवार के सदस्य जोड़ने, किसी दूसरी कंपनी में पोर्ट करने पर हो सकता है।
IRDAI के महत्वपूर्ण नियम 29 मई 2024 के मास्टर सर्कुलर के अनुसार हेल्थ पॉलिसी को लाइफ लॉन्ग करना अनिवार्य है (जब तक fraud या misrepresentation न हो)। क्लेम हिस्ट्री की वजह से रिन्यूअल मना नहीं किया जा सकता। सम इंश्योर्ड बढ़ाए बिना नई अंडरराइटिंग नहीं की जा सकती। यानि चाहे कंपनी मैटेरियल चेंज क्लॉज डाल भी दे, IRDAI के नियम उसके ऊपर हैं।
पॉलिसीधारकों को क्या करना चाहिए?
पॉलिसीधारकों को अगर आप सिर्फ रिन्यू कर रहे हैं, नई बीमारी बताने की जरूरत नहीं है। नई बीमारी बताने से न प्रीमियम बढ़ सकता है, न कवरेज बदला जा सकता है, न क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है। केवल उसी समय जानकारी दें, जब आप पॉलिसी में कोई अपग्रेड कर रहे हों।

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