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    Insurance Broker कैसे बनें? कैसे मिलेगी IRDAI से लाइसेंस की मंजूरी और कितनी होगी कमाई!

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 05:27 PM (IST)

    बीमा ब्रोकर (insurance broker) बनकर बीमा क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है। इसके लिए IRDAI से लाइसेंस लेना होता है। डायरेक्ट ब्रोकर, री-इंश्योरेंस ब्रोकर और कंपोजिट ब्रोकर तीन प्रकार के ब्रोकर होते हैं। लाइसेंस के लिए कंपनी का पंजीकरण, न्यूनतम पूंजी, फिक्स्ड डिपॉजिट और योग्य कर्मचारी जरूरी हैं। ब्रोकर कमीशन और अन्य सेवाओं से कमाई कर सकते हैं।

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    अगर आप बीमा क्षेत्र में पैसा बनाना चाहते हैं और बीमा कंपनियों व ग्राहकों के बीच एक अहम कड़ी की भूमिका निभाना चाहते हैं, तो बीमा ब्रोकर (Insurance Broker) बनना एक शानदार विकल्प हो सकता है। लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी योग्यताएं और प्रक्रिया तय की गई हैं। वह क्या हैं चलिए जानते हैं।

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    बीमा ब्रोकर कौन होता है?

    बीमा ब्रोकर वह व्यक्ति या संस्था होती है जो बीमा कंपनियों और ग्राहकों के बीच बीमा खरीदने-बेचने, सलाह देने और दावा (क्लेम) निपटाने का काम करती है। यह काम वह एक तय फीस या कमीशन के बदले करती है।

    भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने ब्रोकरों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा है। इनमें

    1. डायरेक्ट ब्रोकर (Direct Broker) - जो ग्राहकों को भारत में बीमा पॉलिसी दिलाने में मदद करता है।


    2. री-इंश्योरेंस ब्रोकर (Reinsurance Broker) - जो बीमा कंपनियों को उनके बीमा (री-इंश्योरेंस) के लिए सलाह देता है, चाहे भारत में या विदेश में।

    3. कॉम्पोजिट ब्रोकर (Composite Broker) - जो दोनों काम करता है, यानी डायरेक्ट और री-इंश्योरेंस दोनों।

    कौन कर सकता है बीमा ब्रोकर का रजिस्ट्रेशन?

    बीमा ब्रोकर बनने के लिए कंपनी, एलएलपी (LLP) या सहकारी संस्था के रूप में पंजीकृत होना जरूरी है। व्यक्तिगत तौर पर कोई सीधे आवेदन नहीं कर सकता, यानी यह काम एक कानूनी इकाई के जरिए ही किया जा सकता है।

    कितनी पूंजी चाहिए?

    लाइसेंस के लिए न्यूनतम पूंजी (Capital Requirement) तय है। जैसे

    • डायरेक्ट ब्रोकर के लिए 75 लाख रुपये
    • री-इंश्योरेंस ब्रोकर के 4 करोड़ रुपये
    • कॉम्पोजिट ब्रोकर के लिए 5 करोड़ रुपये

    इनके साथ ही एक नेटवर्थ (Net Worth) बनाए रखना भी अनिवार्य है, ताकि कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहे।

    फिक्स्ड डिपॉजिट भी जरूरी

    बीमा ब्रोकर बनने से पहले बैंक में एक तय राशि फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में रखनी होती है। यह डायरेक्ट ब्रोकर के लिए 10 लाख रुपये है। री-इंश्योरेंस और कॉम्पोजिट ब्रोकर के लिए उनकी पूंजी का 10 फीसदी होता है।


    दफ्तर और स्टाफ की व्यवस्था

    IRDAI यह भी देखती है कि आवेदन करने वाले के पास पर्याप्त ऑफिस स्पेस, तकनीकी ढांचा (IT Infrastructure) और प्रशिक्षित कर्मचारी हों ताकि वे ग्राहकों की सेवा ठीक से कर सकें।

    योग्यता और प्रशिक्षण

    कम से कम दो योग्य व्यक्ति (Broker Qualified Person) होने चाहिए जिन्होंने IRDAI द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण और परीक्षा पास की हो। इसके अलावा Principal Officer यानी कंपनी का प्रमुख अधिकारी भी प्रशिक्षित और योग्य होना चाहिए।

    आवेदन प्रक्रिया

    लाइसेंस के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन मोड में IRDAI की वेबसाइट www.irdabap.org.in पर ही किया जाता है। आवेदन Form B (Schedule-I) में किया जाता है और इसके साथ जरूरी दस्तावेज व शुल्क जमा करना होता है।

    फीस सेगमेंट के अनुसार अलग-अलग है

    डायरेक्ट ब्रोकर - 25,000 रुपये

    री-इंश्योरेंस ब्रोकर - 50,000 रुपये

    कॉम्पोजिट ब्रोकर - 75,000 रुपये

    अनुमोदन मिलने के बाद अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन फीस भी जमा करनी होती है। जरूरी दस्तावेज कंपनी का MOA और AOA होता है। इसके अलावा प्रमुख अधिकारियों और निदेशकों का विवरण, योग्य कर्मचारियों की सूची (Form F), बैंक और ऑडिटर की जानकारी, फिट एंड प्रॉपर सर्टिफिकेट (Form G), इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रमाण भी जरूरी होता है।


    लाइसेंस की वैधता और नवीनीकरण

    IRDAI द्वारा दिया गया बीमा ब्रोकर लाइसेंस तीन साल के लिए वैध होता है। समय समाप्त होने से पहले लाइसेंस का नवीनीकरण (Renewal) कराना आवश्यक है। इसके लिए आवेदन लाइसेंस खत्म होने से 30 दिन पहले करना होता है।

    अन्य जरूरी शर्तें

    ब्रोकर को हमेशा IRDAI के नियमों का पालन करना होगा। ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा 14 दिनों के भीतर करना जरूरी है। मल्टी-लेवल मार्केटिंग या गलत प्रचार की अनुमति नहीं है। हर ब्रोकर को प्रोफेशनल इंडीमनिटी इंश्योरेंस (PII) लेना अनिवार्य है ताकि किसी गलती या नुकसान की स्थिति में सुरक्षा मिल सके।

    डायरेक्ट इंश्योरेंस ब्रोकर की कमाई

    डायरेक्ट ब्रोकर ग्राहकों को बीमा पॉलिसी लेने में मदद करता है (जैसे Life Insurance, Health Insurance, Motor Insurance आदि)। इसके बदले उसे बीमा कंपनी से कमीशन (Brokerage Commission) मिलता है।

    कमीशन दरें (औसतन)

    लाइफ इंश्योरेंस पहले साल के प्रीमियम पर लगभग 2% से 7.5% तक होता है। वही जनरल इंश्योरेंस (मोटर, हेल्थ, प्रॉपर्टी) पर लगभग 10% से 15% तक होता है। कॉर्पोरेट पॉलिसी या बड़ी कंपनियों के लिए डील के हिसाब से कमिशन तय होता है, लेकिन वॉल्यूम बहुत बड़ा होता है।


    यानी अगर आप सालभर में ₹10 करोड़ का बीमा प्रीमियम दिलवाते हैं, तो औसतन 10% के हिसाब से ₹1 करोड़ तक की कमीशन आय हो सकती है। हालांकि यह राशि आपके खर्च और कर्मचारियों की सैलरी घटाने के बाद घट सकती है।

    यह भी पढ़ें: कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर कैसे होता है बीमा, ऐसे काम आएगा क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस

     

    री-इंश्योरेंस ब्रोकर की कमाई

    री-इंश्योरेंस ब्रोकर बीमा कंपनियों के लिए बीमा (reinsurance) की व्यवस्था करता है। यह काम बहुत तकनीकी और बड़े पैमाने पर होता है। कमीशन आमतौर पर 1% से 5% के बीच होता है, लेकिन सौदों का आकार बहुत बड़ा होता है। कई बार यह सैकड़ों करोड़ के प्रीमियम पर होता है। इसलिए एक अच्छा री-इंश्योरेंस ब्रोकर सालाना ₹2 करोड़ से ₹10 करोड़ या उससे अधिक भी कमा सकता है।

    कॉम्पोजिट ब्रोकर की कमाई

    कॉम्पोजिट ब्रोकर डायरेक्ट और री-इंश्योरेंस दोनों काम करता है। इसलिए इसकी कमाई भी दोनों तरफ से होती है।

    कमाई का दायरा

    छोटे स्तर पर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ प्रतिवर्ष होता है। मध्यम स्तर पर ₹1 करोड़ से ₹5 करोड़ होता है। बड़े स्तर के कॉम्पोजिट ब्रोकर ₹10 करोड़ से ₹100 करोड़ से ज्यादा तक का टर्नओवर करते हैं।

    अन्य सोर्स ऑफ इनकम

    बीमा ब्रोकर सिर्फ कमीशन से ही नहीं, बल्कि अन्य सेवाओं से भी कमाता है। इसमें रिस्क मैनेजमेंट कंसल्टिंग, क्लेम सेटलमेंट सर्विस, क्लाइंट एडवाइजरी फीस और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग/ पॉलिसी ऑडिट शामिल हैं।