क्या है SIP के जरिए Mutual Fund में निवेश का सही तरीका? कैसे बनें स्मार्ट इन्वेस्टर
Mutual Fund में SIP या दूसरे तरीकों से निवेश का मतलब यही है कि बुरे वक्त में निवेश जारी रखा जा सके। स्मार्ट इन्वेस्टर इस बात का अनुमान नहीं लगाते कि मार्केट किस दिशा में जा रहे हैं। वो निवेश का सही जरिया तलाश लेते हैं।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कंपनी की बुनियादी बातों पर ध्यान देने वाले उनके लाभ, वृद्धि, मूल्यांकन जैसी बातों को अच्छी तरह से जानते हैं। यह सब जानना-समझना ही कई साल के निवेश में सही नतीजे देता है। यह बातें किसी एक दिन का नंबर तय नहीं करतीं। स्क्रीन पर नजर आने वाले नंबर मौजूदा दामों पर होने वाली सप्लाई और डिमांड के आधार पर तय होते हैं।
डिमांड ज्यादा होने पर दाम तब तक ऊपर जाते हैं जब तक दोनों एक ही स्तर पर नहीं आ जाते। यही माइक्रो-इकोनमिक्स की सबसे बुनियादी बात है। शेयर मार्केट एक शानदार प्रयोगशाला है जिसमें इसी का अध्ययन होता है।
शेयर मार्केट में बदलाव अचानक क्यों होते हैं
असल अर्थव्यवस्था में सप्लाई-डिमांड और धन की सप्लाई में मायने रखने वाला बदलाव कई महीनों या वर्षों में आता है। शेयर मार्केट में यह कुछ ही दिनों, घंटों या मिनटों और सेकेंडों में हो जाता है। बुनियादी कारकों के आधार पर चलने वाले निवेशक जिन बातों पर भरोसा करते हैं वो केंद्र में बनी रहती हैं, मगर शार्ट-टर्म के बदलावों का चक्र अलग होता है।
आखिर इन शार्ट-टर्म बदलावों को क्या ड्राइव करता है? कभी आप टीवी पर कोई बिजनेस चैनल खोलें या किसी न्यूज वेबसाइट को देखें तो पाएंगे कि हाल ही के किसी आकंड़े या घटना का कारण बताया जाएगा। इसमें, तेल के दाम, ब्याज दर, राजनीतिक घटनाएं या कुछ भी हो सकता है।
बाजार कैसे अपनी दिशा बदलता है
असल में ज्यादातर को इन बदलावों के कारण और तर्क पता नहीं होते। सच तो ये है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता। जो कारण आपको मीडिया और सोशल मीडिया से पता चलते हैं, वो घटना के बाद की ईजाद होते हैं। जो स्टाक में निवेश करते हैं उनके पास दूसरी कई तरह की जानकारियों पर आधारित विश्लेषण होते हैं, जो इससे भी विस्तृत होते हैं। आप कैसे अनुमान लगाएंगे कि मार्केट ऊंचाई पर हैं या नीचे।
अनुमान पर आधारित आंकड़े या मान्यताओं पर बने नियमों को यह कह कर प्रमोट किया जाता है कि मार्केट इतना ऊंचा है कि वो अब जल्द ही गिरने वाला है या फिर इतने नीचे है कि अब बढ़ना शुरू हो जाएगा। मिसाल के तौर पर- रिकार्ड हाई वैल्युएशन, इक्विटी में बड़ी संख्या में नए निवेशकों का आना, इक्विटी मार्केट में वाल्यूम का ज्यादा होना और इसी तरह की दूसरी स्थितियां मार्केट के शीर्ष पर होने के संकेत माने जाते हैं। मार्केट का नीचे होना इन सब बातों का उलटा होना होता है। आपको क्या लगता है कि ये संकेत काम आते हैं। काम आने से मतलब है कि इन संकेतों से आप जान सकें कि मार्केट अपनी दिशा बदलेगा।
एसआईपी से मार्केट क्रैश की चिंता नहीं
सच तो ये है कि आप ऐसा नहीं कर सकते। जैसे टीवी एंकर हर रोज के बदलावों के कारण बताते हैं, वैसे ही ये भी बाद में दिए गए स्पष्टीकरण हैं। हालांकि अपवाद हमेशा ही होते हैं। सही होगा, अगर आप मार्केट की चाल को लेकर अपने (या दूसरों के) विश्वास के आधार पर कभी निवेश न करें।
निवेशकों को अपना निवेश, भविष्य के अनुमान पर न करके इन्वेस्टमेंट की क्वालिटी पर, और उस दाम पर करना चाहिए, जो सही आंतरिक कारकों पर आधारित हो। म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के लिए समस्या से निबटना और भी आसान है। उन्हें दो या तीन इक्विटी फंड चुनने चाहिए, जिनका लंबे अर्से का अच्छा रिकार्ड हो। उन्हें अपना निवेश एसआइपी के जरिये किस्तों में करना चाहिए और मार्केट क्रैश की चिंता नहीं करनी चाहिए।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
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