Jagran Expert Column: ग्लोबल ट्रेड के मुकाबले मजबूत भारतीय बाजार, लेकिन अपने बेसिक्स पर टिके रहने जरूरत
Jagran Expert Column भारतीय शेयर बाजार ने 2022 में ग्लोबल ट्रेड को मात देते हुए सकारात्मक रिटर्न दिया है। मार्केट एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार अपने इस लेख में निवशकों को बाजार में टिके रहने के साथ कई महत्वपूर्ण सलाह दे रहे हैं।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। छलांग लगाने से पहले देखना जरूरी ये सलाह, वक्त की कसौटी पर आजमाई हुई है। यह सलाह आपको फोन पर किसी भी टेक-सपोर्ट टीम से मिल जाएगी। आप उन्हें बताते हैं कि आपका कंप्यूटर बंद पड़ा है और चल नहीं रहा। वो इसलिए ऐसा नहीं कहते कि इससे आपकी मुश्किल हल हो जाती है, पर इसलिए क्योंकि अक्सर मुश्किल होती ही इतनी सी है कि पावर का स्विच आफ होता है। अगर वो यूजर को चेक करने के लिए कहें कि देखिए आपका पावर का स्विच आन है या नहीं, तो हो सकता है कि इतना आसान सा सुझाव सुनने भर से वो लाल-पीले हो जाएं। और बिना स्विच-आन किए ही कह दें कि उन्होंने स्विच आन कर दिया है।
अगर आप सोचेंगे कि पूछे जाने पर एक अच्छे वित्तीय सलाहकार को क्या कहना चाहिए, तो कुल मिला कर तरह-तरह से दी जाने वाली, उनकी सलाह भी ऐसी ही किसी आसान या जाहिर सी बात में समा जाएगी। घिसीपिटी बात, नए तरीके से कहने की जरूरत बेकार सही, पर एक जरूरत है। इंसानी दिमाग हमेशा कुछ नया चाहता है। एक अच्छी समझदारी भरी पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइज शायद ही कभी बदलती है।
बेसिक्स पर डटे रहो
साल 2020 के मध्य में जब कोरोना का कहर चरम पर था, तब मैंने 'द इकोनॉमिक टाइम्स' के अपने कालम में ये बात लिखी थी- मेरे कुछ पाठक कहते हैं कि जब से कोविड संकट शुरू हुआ है, मैं अपने 'बेसिक्स पर डटे रहो' का मंत्र कुछ ज्यादा दोहरा रहा हूं। ये लोग पूरी तरह से गलत है। मैं ये मंत्र पिछले पच्चीस वर्ष से दोहरा रहा हूं। कोविड का इससे कोई लेना-देना ही नहीं है। जरूरी है कि हम सभी अपने निवेश में इस पर अमल करना जारी रखेंगे।
म्यूचुअल फंड इनसाइट की इस महीने की कवर स्टोरी इसी मुश्किल का सामना कर रही है। नए फंड होते हैं और नई तरह के फंड होते हैं और नई एएमसी जैसा और भी बहुत कुछ नया होता है। आपको उनके बारे में जानने, पढ़ने और उसका विश्लेषण करने की जरूरत है, और इस सबके बारे में आपको बताना ही इस मैगजीन का काम है। मार्केट अपने आल-टाइम हाई पर है।
हेडलाइन्स चिल्ला-चिल्ला कर कह रही हैं कि कितना पैसा बनाया जा रहा है। इंटरनेट मीडिया के एक हिस्से में जहां ट्रेडर और मार्केट प्रोफेशनल जाया करते हैं, वहां एक तरह का 'अभी करो' वाला माहौल है। हालांकि, ये आइडिया काफी भ्रामक है। खासतौर पर एक म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर के लिए। ज्यादातर लोगों के लिए मार्केट का स्तर ऊंचा होने पर बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती। इस विषय पर, 'क्यों' और 'कैसे' जैसे सवालों के जवाब इस कवर स्टोरी में विस्तार से दिए गए हैं। जब आप पढ़ेंगे, तो पाएंगे कि कुछ चीजें जिनकी जरूरत है (हो सकती है) वो मौजूद होनी जरूरी हैं और उन्हें सावधानी से और सिलसिवार ढंग से किया जाना चाहिए।
भारतीय बाजार मजूबत
भारतीय मार्केट में मौजूदा 'तेजी' एक जाहिर किस्म का विरोधाभास खड़ा करती है। ऐतिहासिक तौर पर पश्चिमी इक्विटी मार्केट के ट्रेंड्स भारतीय मार्केट में कुछ ही महीनों में दोहराए जाते रहे हैं। हालांकि, 2022 में कुछ अलग हुआ। अमेरिका के मार्केट जुलाई के आखिर से अक्टूबर के अंत तक बुरे हाल में थे। ये एक तेज गिरावट का दौर था। इससे भी बड़ी बात है कि अमेरिकी टेक शेयरों और छोटे शेयरों में तेज और बड़ी गिरावट रही थी। किसी तरह भारत कई दशकों के बाद इस सबसे बिना कोई खरोंच खाए बचा रह गया।
दोनों मार्केट्स में इस तरह का अलग-अलग प्रदर्शन कई कारणों से हो सकता है, पर इस बारे में हम फिर कभी बात करेंगे। देखिए, ये खबर अच्छी है, पर यही बात भारतीय निवेशक और विश्लेषक दोनों पर ज्यादा जिम्मेदारी डालती है। अगर हमारा मार्केट, ग्लोबल ट्रेंड्स को लेकर आत्मनिर्भर हो चला है या कभी-कभी ऐसा होता है तो भी हमें और ज्यादा कोशिश करनी होगी ये जानने की कि असल में क्या हो रहा है और हमें अपने मार्केट को लेकर अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए।
(लेखक- धीरेंद्र कुमार, सीईओ, वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम)
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