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    2025 में 60% की तेजी, सोने की कीमतें लगातार क्यों बढ़ रही हैं, क्या आप जानते हैं ये 4 बड़े कारण

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 12:03 PM (IST)

    4 Factors Behind Gold Price Rally सोने की कीमतों ने 2025 में लगातार रिकॉर्ड हाई लगाकर दुनियाभर के निवेशकों को हैरान किया है। हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर सोने के भाव में लगातार यह उछाल क्यों आ रहा है और इसके पीछे क्या वजह हो सकती है। दुनियाभर के एक्सपर्ट्स के अनुसार सोने की कीमतों में तेजी के 4 बड़े कारण बताए हैं।

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    साल 2025 में सोने की कीमतों में 60% से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

    नई दिल्ली। सोने की कीमतों (Gold Prices Soars) में तेजी पिछले 5 साल से लगातार जारी है, लेकिन 2025 में गोल्ड प्राइसेज ने लगातार रिकॉर्ड हाई लगाकर दुनियाभर के निवेशकों को हैरान कर दिया है। भारत में तो सोना आम आदमी की पहुंच से मानो बाहर होता जा रहा है। हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर सोने की कीमतें (Why Gold Prices Up) लगातार क्यों बढ़ रही है, इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि, दुनियाभर के एक्सपर्ट्स के अनुसार, सोने की कीमतों में तेजी की 4 बड़ी वजह हैं।

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    साल 2025 में सोने की कीमतों में 60% से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यही ट्रेंड जनवरी 2008 से अगस्त 2011 के बीच देखने को मिला था तब सोने की कीमतों में 100% की वृद्धि हुई थी। इसी तरह, जनवरी से अगस्त 2020 के बीच सोने की कीमतों में लगभग 53% की बढ़ोतरी हुई।

    गोल्ड में तेजी के 4 बड़े कारण

    पिछले 15 सालों में सोने की कीमतों ने अलग-अलग मौकों पर बड़ी तेजी दिखाई है, खासकर वैश्विक संकट के दौरान, 2008 की आर्थिक मंदी से लेकर 2020 की महामारी तक, अनिश्चितता के दौर में सोने की कीमतों में ऐतिहासिक रूप से उछाल आया है। कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट अजय केडिया ने सोने में तेजी की 4 बड़ी वजह बताई हैं, इनमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन, केंद्रीय बैंक की खरीदारी, ब्याज दरों में बदलाव और चीन व भारत की ओर से लगातार डिमांड का मजबूत बने रहना है। उन्होंने यह भी कहा कि गोल्ड ईटीएफ में लगातार खरीदारी भी सोने की कीमतों में तेजी की वजह है।

    1. केंद्रीय बैंकों की गोल्ड बाइंग

    वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने पिछले एक दशक में अपने सोने के भंडार को लगभग दोगुना कर दिया है, जो सोने में तेजी और बेहतर रिटर्न के विश्वास का संकेत है। आरबीआई ने भी अस्थिर ग्लोबल हालात के बीच अपने गोल्ड रिजर्व में लगातार वृद्धि की है।

    2. ब्याज दरों में कटौती

    इस साल सोने में तेजी का एक और बड़ा ट्रिगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सितंबर 2025 में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती थी, और अगर अमेरिका में लेबर मार्केट के आंकड़े और कमजोर होते हैं तो जल्द ही एक और रेट कट आ सकता है। कम अमेरिकी ब्याज दरें आमतौर पर डॉलर के कमजोर होने का कारण बनती हैं, जिससे सोने की कीमतों में बढ़ोतरी होती है क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की ओर रुख करते हैं।

    3. जियो-पॉलिटिकल टेंशन

    दुनियाभर में मची उथल-पुथल हमेशा से सोने में तेजी की वजह बनती है और पिछले 5 सालों में तो वैश्विक हालात काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी ने ग्लोबल इकोनॉमी को बुरी तरह हानि पहुंचाई। इसके बाद 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध और 2023 में इजरायल व हमास के बीच जंग और इस साल इजराइल व ईरान के बीच सैन्य संघर्ष के चलते भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा।

    ये भी पढ़ें- 80,000 तक आ सकता है सोने का भाव, 40 साल में दो बार आए ऐसे मौके, जब रिकॉर्ड हाई से 40% तक गिरी गोल्ड की कीमतें

    इसके अलावा, फिलहाल अमेरिकी सरकारी शटडाउन और फ्रांस में राजनीतिक संकट के कारण वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ने के कारण सोने ने 4,000 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंचकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

    4. भारत-चीन में गोल्ड डिमांड

    किसी भी धातु या वस्तु की कीमत उसकी डिमांड पर भी निर्भर करती है, खासकर सोने का भाव मांग से बहुत प्रभावित होता है। भारत और चीन, दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड उपभोक्ता हैं और इन दोनों देशों में मांग जबरदस्त बनी हुई है। हेरेअस के मेटल एक्सपर्ट के अनुसार, सोने की कीमतों में तेजी के बावजूद चीन और भारत में इस धातु का आयात मजबूत हो रहा है।

    खास बात है कि इस साल की पहली छमाही में भारत की स्वर्ण आभूषण मांग चीन से ज्यादा रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, जून में समाप्त छह महीनों में भारत में आभूषणों की मांग छह प्रतिशत बढ़कर 563 टन रही, जबकि चीन (हांगकांग और ताइवान सहित) में यह 511 टन थी।