भारत में चांदी का स्टॉक खत्म होने से लंदन तक टेंशन, नहीं पूरे हो रहे ऑर्डर; आखिर क्यों इस कीमती धातु पर टूट पर पड़े लोग
भारत के चांदी बाजार में स्टॉक (Silver Stock) खत्म होने से हड़कंप मच गया है। दिवाली की मांग और वैश्विक निवेश के दबाव ने कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। जेपी मॉर्गन चेस ने अक्टूबर के लिए आवंटन खत्म होने की सूचना दी है। सोशल मीडिया के प्रचार ने भी मांग को बढ़ाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक चांदी की कीमतों में भारी उछाल आया है।

चांदी की हो रही शॉर्टेज, डिमांड अब भी हाई
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते भारत के सिल्वर मार्केट में इतिहास में पहली बार स्टॉक खत्म हो गया, जबकि फेस्टिवल डिमांड और ग्लोबल इन्वेस्टमेंट प्रेशर की वजह से चांदी की कीमतें आसमान छू गईं। स्टॉक खत्म होने से लंदन तक में टेंशन हो गयी, जहां दुनिया के सबसे बड़े बुलियन बैंक ऑर्डर पूरे नहीं कर पा रहे।
अब कब मिलेगी चांदी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग दो हफ्ते पहले, जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी (दुनिया के सबसे बड़े प्रेशियस मेटल ट्रेडर्स में से एक है और इंडियन मार्केट की एक मुख्य सप्लायर) ने कम से कम एक क्लाइंट को बताया कि अक्टूबर में इंडिया में शिपमेंट के लिए उसका सिल्वर एलोकेशन खत्म हो गया है, और अगली अवेलेबिलिटी नवंबर में ही होगी।
रिकॉर्ड तोड़ हो रही खरीदारी
एमएमटीसी-पीएएमपी इंडिया में ट्रेडिंग हेड विपिन रैना के अनुसार वे इस उछाल के लिए तैयार नहीं थे। ब्लूमबर्ग के मुताबिक उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग जो सिल्वर और सिल्वर कॉइन्स का काम करते हैं, उनके पास सचमुच स्टॉक खत्म हो गया है क्योंकि सिल्वर है ही नहीं।
रैना के अनुसार इस तरह का क्रेजी मार्केट उन्होंने अपने 27 साल के करियर में नहीं देखा, जहाँ लोग इन ऊंचे भाव पर भी खरीद रहे हैं।
सोशल मीडिया हाइप ने और बढ़ाई डिमांड
चांदी की तगड़ी खरीदारी तब शुरू हुई जब लाखों भारतीयों ने दिवाली के मौसम में चांदी खरीदी, जिसे सोशल मीडिया हाइप ने और बढ़ा दिया। एक इन्वेस्टमेंट बैंकर ने बताया कि सोने के मुकाबले चांदी का 100-से-1 रेश्यो इसे एक स्मार्ट खरीदारी बनाता है।
ये फैक्टर्स भी रहे अहम
जानकारों का मानना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इस बार चांदी की डिमांड बहुत ज्यादा रही है। ग्लोबल चांदी की कीमतों से ज्यादा प्रीमियम $0.50 से बढ़कर $5 प्रति औंस से ज्यादा हो गया, जिससे खरीदारों के बीच बोली लगाने की होड़ मच गई।
भारत में खरीदारी का यह सिलसिला चीन में छुट्टी के साथ देखने को मिला, जिससे सप्लाई कम हो गई, और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड से इन्वेस्टमेंट डिमांड में तेजी आई, क्योंकि इन्वेस्टर कमजोर US डॉलर पर दांव लगा रहे थे। अक्टूबर की शुरुआत तक, लंदन के वॉल्ट ज्यादातर बिक चुके थे, और चांदी के लिए उधार लेने की लागत सालाना 200% तक बढ़ गई थी।
दूसरी तरफ लंदन में लीज के मामले में बहुत कम या बिल्कुल भी लिक्विडिटी उपलब्ध नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।