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    ऑस्ट्रेलिया को नारियल का दूध, ईसबगोल की भूसी और चावल बेचकर मालामाल बन रहे भारतीय किसान, 1 साल की कमाई कर देगी हैरान

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 12:14 PM (IST)

    भारत का ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात (Indian Organic Export To Australia) बढ़ा है जो वित्त वर्ष 2024-25 में 8.96 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इसमें ईसबगोल की भूसी नारियल का दूध और चावल जैसे उत्पाद शामिल हैं। दोनों देशों के बीच म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट (MRA) हुआ है। इस समझौते से किसानों और निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

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    ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात कर कमा रहे भारतीय किसान

    नई दिल्ली। भारत का ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात (Organic Exports) बढ़ा है। वित्त वर्ष 2024-25 में ये बढ़कर 8.96 मिलियन डॉलर (करीब 79.5 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। FY25 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को कुल 2,781.58 मीट्रिक टन जैविक कृषि उत्पादों का निर्यात किया। सरकार की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार इन उत्पादों में ईसबगोल की भूसी, नारियल का दूध और चावल शामिल हैं।

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    दरअसल दोनों देशों के बीच जैविक उत्पादों के लिए म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट (MRA) हुआ है, जो भारत-ऑस्ट्रेलिया इकोनॉमिक कॉरपोरेशन एंड ट्रेड अरेंजमेंट की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होगी।

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    किसानों-निर्यातकों के लिए नए अवसर

    इस म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट में किसानों द्वारा उगाए और प्रोसेस किए जाने वाले जैविक उत्पाद शामिल हैं। इनमें समुद्री शैवाल, जलीय पौधे और ग्रीनहाउस फसलों को छोड़कर, बिना-प्रोसेस वाले प्लांट प्रोडक्ट्स, प्लांट ऑरिजिन, एक या ज्यादा इंग्रेडिएंट्स से बने प्रोसेस्ड फूड आइटम्स और वाइन शामिल हैं।

    वाणिज्य मंत्रालय ने दोनों देशों के बीच हुए नए एग्रीमेंट पर कहा है कि यह व्यवस्था दोनों देशों के एक-दूसरे के जैविक मानकों और सर्टिफिकेशन सिस्टम्स में विश्वास और भरोसे को दर्शाती है। एमआरए कम्प्लायंस आवश्यकताओं को आसान बनाएगा और किसानों-निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा करेगा।

    किसानों की इनकम में ग्रोथ

    वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के मुताबिक भारत के जैविक ईकोसिस्टम के लिए कठोर स्टैंडर्ड निर्धारित करने और भारत के जैविक क्षेत्र को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाए रखने में राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) की भी भूमिका अहम है।

    उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों को सिर्फ सर्टिफिकेशन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे एक बड़े सिस्टम के तौर पर देखा जाना चाहिए जो इंटीग्रिटी को बनाए रखता है, सख्त स्टैंडर्ड को बनाए रखता है और किसानों की इनकम सुनिश्चित करता है। जैविक उत्पादों की कीमतें 30-40 प्रतिशत अधिक होने से किसानों को बेहतर आजीविका का लाभ मिलता है।

    लेबलिंग, पेनल्टी और रेगुलेटरी उपाय

    बर्थवाल ने जैविक और अजैविक उत्पादों के बीच सख्त अंतर सुनिश्चित करने के लिए लेबलिंग, पेनल्टी और रेगुलेटरी उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही किसानों के लिए अधिक क्षमता तैयार करने, प्रशिक्षण और सलाहकार सहायता का भी आह्वान किया।

    प्रवासी भारतीयों की भूमिका

    ऑस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी विभाग के प्रथम सहायक सचिव (First Assistant Secretary of the Department of Agriculture, Fisheries and Forestry) टॉम ब्लैक ने भारत के तेजी से बढ़ते जैविक क्षेत्र और भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जैविक व्यापार को बढ़ाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका की सराहना की।

    उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया 53 मिलियन हेक्टेयर जैविक कृषि भूमि के साथ प्रमुख देश है और उन्होंने अनाज, चाय, मसालों, पेय पदार्थों और वाइन में व्यापार के अवसरों का भी जिक्र किया।