GST 2.0 को लेकर मचा हंगामा! आखिर सस्ता क्यों नहीं मिल रहा साबून, तेल-शैम्पू; कंपनी या डिस्ट्रीब्यूटर कौन कर रहा गड़बड़ी
देश में GST 2.0 लागू होने के बाद भी FMCG सेक्टर में रोजमर्रा की चीजों की कीमतें कम नहीं हो रही हैं। कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है। सरकार ने गड़बड़ी करने वाली कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। कई कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं और उनसे 20 अक्टूबर तक गड़बड़ियां सुधारने को कहा गया है।

नई दिल्ली। देश में GST 2.0 लागू होने के बाद सरकार की मंशा थी कि आम उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स में राहत मिले और कीमतें घटें। लेकिन अब FMCG सेक्टर में ये राहत जमीन पर दिख नहीं रही है। इसके उलट, कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच ‘तू-तू, मैं-मैं’ शुरू हो गई है।
कुछ कंपनियां कह रही हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर्स ने नई दरों को ठीक से लागू नहीं किया, वहीं डिस्ट्रीब्यूटर्स का आरोप है कि कंपनियों ने ही चुपचाप कुछ प्रोडक्ट्स की बेस प्राइस (मूल्य) बढ़ा दी, जिससे GST कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंच पाया।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी छोटे पैक में
इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, ₹20 से कम के पैक में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आई हैं। ये वही प्रोडक्ट्स हैं जो गांवों और छोटे कस्बों में ज्यादा बिकते हैं।
एक बड़े डिस्ट्रीब्यूटर ग्रुप के मुखिया ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम सिर्फ वही रेट पास कर सकते हैं, जो कंपनी के सिस्टम में दिखते हैं। कई कंपनियों ने कुछ चुनिंदा पैक्स की बेस प्राइस बढ़ा दी है, जिससे GST कम होने के बावजूद MRP कम नहीं हो रही।”
सरकार अब सख्त
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) और कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। CBIC ने बताया कि कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है जहां GST कटौती के बाद भी कीमतें नहीं घटीं।
सरकार की ओर से 800 से ज्यादा ब्रांड्स को नोटिस भेजे जा चुके हैं, जिनसे कहा गया है कि वे 20 अक्टूबर तक अपनी गड़बड़ियां सुधारें।
CCPA ने अब तक करीब 2,000 शिकायतें CBIC को भेजी हैं।
क्या कह रही हैं बड़ी कंपनियां?
बड़ी FMCG कंपनियों का कहना है कि वे पूरी तरह से GST कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं, और जो भी अंतर दिख रहा है वो सिर्फ एक अस्थायी स्थिति है।
हिन्दुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने कहा कि पुरानी और नई MRP वाले प्रोडक्ट्स कुछ समय तक एक साथ बाजार में रह सकते हैं, इसलिए ग्राहकों से अनुरोध है कि वे खरीदते वक्त रिवाइज्ड MRP देखें।
कंपनी ने बताया कि GST लाभ को या तो कीमत घटाकर या वजन/वॉल्यूम बढ़ाकर पास किया गया है, ताकि छोटे रिटेल में सिक्कों की समस्या न हो और प्राइसिंग सिंपल रहे।
Colgate-Palmolive की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रभा नरसिम्हन ने कहा कि उन्होंने 22 सितंबर से ही अपने चैनल पार्टनर्स को नई रेट्स के हिसाब से प्रोडक्ट्स देना शुरू कर दिया था। ग्राहक नवंबर के पहले हफ्ते से नई MRP वाले पैक देख पाएंगे।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी रडार पर
ग्राहकों की कई शिकायतें ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से जुड़ी हैं। CBIC की एक अलग टीम अब इन प्लेटफॉर्म्स पर ट्रांजैक्शन्स की जांच कर रही है, जहां कुछ प्रोडक्ट्स की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि, “कई ई-कॉमर्स साइट्स ने नई टैक्स दरों के हिसाब से रेट लिस्ट अपडेट की है, लेकिन कुछ प्रोडक्ट्स में अभी भी दिक्कतें हैं।”
दिल्ली हाईकोर्ट का रुख सख्त
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में कहा कि अगर किसी कंपनी ने GST कटौती के बाद MRP कम नहीं की और सिर्फ क्वांटिटी बढ़ा दी, तो ये “भ्रम पैदा करना” है।
कोर्ट का कहना है कि टैक्स कटौती का उद्देश्य ग्राहक को राहत देना है, और वो तभी पूरा होता है जब कीमतें कम हों।
छोटे पैक्स में दिक्कत क्यों?
कंपनियों का कहना है कि छोटे पैक (₹1, ₹2, ₹5) में MRP बदलना प्रैक्टिकली मुश्किल है क्योंकि सिक्कों की समस्या, पैकेजिंग की लागत और मार्केटिंग लॉजिक अलग होता है।
माचिंगम और कैंडी बनाने वाली कंपनी Perfetti Van Melle ने कहा कि उनके ज्यादातर प्रोडक्ट्स Re 1 में बिकते हैं। इसलिए कुछ प्रोडक्ट्स में तो उन्होंने कीमत घटाई है, वहीं बाकी में ग्राम बढ़ाकर GST का लाभ दिया है।
हिमालया वेलनेस के मुताबिक उन्होंने नई GST दरों के लागू होते ही अपने सभी रिटेल चैनल्स पर नई कीमतें लागू कर दी हैं, और सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स को एडवांस में जानकारी दी गई थी।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
JSA Advocates & Solicitors के टैक्स विशेषज्ञ मनीष मिश्रा के मुताबिक, “FMCG सेक्टर में जहां प्रोडक्ट्स की कीमत कम और वॉल्यूम ज्यादा होता है, वहां तुरंत MRP घटाना संभव नहीं होता। प्रैक्टिकल चीजों को भी समझना जरूरी है।”
ग्राहकों में नाराजगी, बोले कीमत तो वहीं है
शहर के गोलघर में खरीदारी करने आई अंजली गुप्ता ने कहा कि टीवी और समाचार पत्रों में हम रोज सुनते हैं कि जीएसटी घटा दिया गया, लेकिन दुकानों पर जाकर देखें तो पहले जैसी ही कीमत ली जा रही है। घटी दरों का जो फायदा मिलना चाहिए नहीं मिल पा रहा है।
मोहद्दीपुर के रहने वाले राजेश मिश्र का कहना है कि सरकार ने राहत दी, लेकिन दुकानदार अपनी जेब भर रहे हैं। उपभोक्ता का पैसा नहीं बच रहा है।
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