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    सोना और चांदी की रफ्तार भी छूटी पीछे, कॉपर ने MCX पर बनाया नया ऑल टाइम हाई; अगला गोल्ड है कॉपर

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 02:11 PM (IST)

    सोना और चांदी के साथ तांबा भी कीमतों में तेज़ी से बढ़ रहा है। MCX पर कॉपर का वायदा 31 अक्टूबर के लिए 993.65 रुपये के स्तर को छू गया। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार आने वाले समय में तांबा नया सोना बनेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि चक्रीय सुधार और मांग में वृद्धि के कारण तांबा जस्ता एल्यूमीनियम और सीसा में में वृद्धि होगी।

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    सोना और चांदी की रफ्तार भी छूटी पीछे, कॉपर ने MCX पर बनाया नया ऑल टाइम हाई; अगला गोल्ड कॉपर

    नई दिल्ली। सोना और चांदी तो आए दिन कीमतों में एक नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। लेकिन एक धातु और है जो इनसे भी तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है। इस धातु का नाम है तांबा, जिसे अंग्रेजी में कॉपर कहा जाता है। कॉपर ने पहले 3 अक्टूबर को MCX पर ₹972.55 के आंकड़े को छूकर अपना ऑल टाइम हाई बनाया और अब 4 अक्टूबर को इसने अपना नया ऑल टाइम हाई बनाया है।

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    31 अक्टूबर के लिए कॉपर MCX पर कॉपर का वायदा (Future) 993.65 रुपये के स्तर को टच कर गया। यानी अगर एमसीएक्स पर आप आज एक किलो कॉपर के लिए बोली लगाते हैं तो 31 अक्टूबर को आपके इसी रेट पर एक किलो कॉपर मिलेगा। भले ही उस दिन इसकी कीमतें आसमान छू रही हों।

    अगला सोना है कॉपर

    कॉपर की रफ्तार को देखते हुए केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा,

    "आने वाले समय में अब तांबा नया सोना यानी गोल्ड बनेगा। शनिवार को कॉपर में जो ब्रेकआउट दिखा, वह तो बस एक शुरुआत है। अगले दो सालों में बेस मेटल्स में 20-25% तक की तेजी देखने को मिलेगी। इसमें कॉपर और जिंक सबसे आगें रहेंगे। एल्यूमिनियम और लेड धीरे-धीरे रैली में शामिल होंगे"

    क्यों भाग रहा है कॉपर?  

    कॉपर में जारी इस तेजी को एक व्यापक बाजार प्रवृत्ति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है जो पिछले कई वर्षों में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में क्रमिक रूप से सामने आई है। कमोडिटी विशेषज्ञ एक तीन-चरणीय पैटर्न की ओर इशारा करते हैं जो आमतौर पर बड़े आर्थिक झटकों के बाद चक्रों के पुनः सक्रिय होने को नियंत्रित करता है। पहला चरण ऊर्जा पर केंद्रित है। 

    कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, कच्चे तेल की कीमतें 113 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं, जबकि प्राकृतिक गैस की कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। यह उछाल वैश्विक बाजारों में बढ़ती मांग में सुधार, आपूर्ति में अव्यवस्था और मुद्रास्फीति के दबाव को दर्शाता है।

    दूसरा चरण कीमती धातुओं के क्षेत्र में सामने आया है। अगस्त 2022 से, सोने, चांदी और प्लैटिनम, सभी में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, और कई मामलों में कीमतें दोगुनी हो गई हैं। सुरक्षित आश्रय की मांग और लगातार मुद्रास्फीति की चिंताओं के कारण निवेशकों का रुझान इन धातुओं की ओर बढ़ा, जिससे आर्थिक अनिश्चितता के समय में रक्षात्मक परिसंपत्तियों के रूप में इनकी भूमिका मजबूत हुई।

    अब, कमोडिटी चक्र का तीसरा और सबसे धीमी प्रतिक्रिया वाला चरण शुरू होता दिख रहा है, जिसकी अगुवाई बेस मेटल्स कर रहे हैं। तांबे के नए सर्वकालिक उच्च स्तर को व्यापक रूप से इस चरण का प्रारंभिक अध्याय माना जा रहा है। विश्लेषकों का सुझाव है कि चक्रीय सुधार और संरचनात्मक माँग दोनों के बल पर, तांबा, जस्ता, एल्यूमीनियम और सीसा अगले दो वर्षों में निरंतर वृद्धि की ओर अग्रसर हैं।

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