'कॉपर बनेगा नया गोल्ड', MCX पर पहुंचा ऑल टाइम हाई; अजय केडिया बोले- सोना-चांदी नहीं, अब इसे खरीदो
MCX पर तांबा (Copper) ने नया इतिहास रच दिया। कॉपर फ्यूचर्स पहली बार 972.55 रुपए के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गए। इसे कमोडिटी साइकिल के सबसे दमदार फेज की शुरुआत माना जा रहा है। कोविड के बाद एनर्जी और फिर प्रेशियस मेटल्स ने तेजी पकड़ी अब बारी बेस मेटल्स की है। अजय केडिया का कहना है कि कॉपर नया सोना बनेगा। इसमें 25% तक की तेजी आ सकती है।

नई दिल्ली| तांबा ने गोल्ड-सिल्वर को पीछे छोड़ते हुए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स पर नया इतिहास रच दिया है। कॉपर फ्यूचर्स पहली बार 972.55 रुपए के ऑल टाइम हाई (MCX copper all-time high) पर पहुंच गए। इसे कमोडिटी साइकिल के तीसरे और सबसे दमदार फेज की शुरुआत माना जा रहा है। कोविड के बाद एनर्जी और फिर प्रेशियस मेटल्स ने तेजी पकड़ी, अब बारी बेस मेटल्स की है।
कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि आने वाले दो साल में कॉपर (तांबा) और जिंक 20-25% तक रिटर्न दे सकते हैं। खास बात यह है कि कॉपर की डिमांड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और रिन्यूएबल एनर्जी से और भी ज्यादा बढ़ने वाली है।
तीन फेज में चलती है कमोडिटी साइकिल
अजय केडिया का मानना है कि हर बड़े इकोनॉमिक शॉक के बाद कमोडिटी साइकिल तीन फेज में चलती है।
पहला फेज- एनर्जी
कोविड-19 के बाद सबसे पहले एनर्जी सेक्टर में उछाल देखा गया। कच्चा तेल (Crude) 113 डॉलर प्रति बैरल तक गया और नेचुरल गैस 10 डॉलर तक पहुंची। यह डिमांड रिकवरी, सप्लाई दिक्कतों और महंगाई के दबाव की वजह से हुआ।
दूसरा फेज- प्रेशियस मेटल्स
इसके बाद की बारी प्रेशियस मेटल्स की रही। अगस्त 2022 से अब तक सोना, चांदी और प्लेटिनम की कीमतें लगभग दोगुनी हो गईं। महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के बीच निवेशकों ने सेफ-हेवन एसेट्स में पैसा लगाया।
तीसरा फेज- बेस मेटल्स
अब साइकिल का तीसरा और सबसे धीमा फेज शुरू हो चुका है। इसमें बेस मेटल्स जैसे कॉपर, जिंक, एल्यूमिनियम और लेड तेजी पकड़ेंगे।
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अजय केडिया बोले- यह तो शुरुआत है
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि,
"अब कॉपर नया गोल्ड बनेगा। शुक्रवार को कॉपर में जो ब्रेकआउट दिखा, वह तो बस शुरुआत है। अगले दो सालों में बेस मेटल्स में 20-25% तक की तेजी देखने को मिलेगी। इसमें कॉपर और जिंक लीड करेंगे, जबकि एल्यूमिनियम और लेड धीरे-धीरे रैली में शामिल होंगे।"
कहां-कहां इस्तेमाल होता है कॉपर
कॉपर को अक्सर "डॉ. कॉपर" कहा जाता है, क्योंकि यह ग्लोबल इकोनॉमी की सेहत का आईना माना जाता है। कॉपर की डिमांड सिर्फ इंडस्ट्रियल इस्तेमाल से नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, पावर ग्रिड और रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स से भी तेजी से बढ़ रही है।
अजय केडिया बताते हैं कि अभी तक गाड़ियों में कॉपर का इस्तेमाल 12 फीसदी होता था, जो अब बढ़कर 60 फीसदी से ज्यादा हो गया है। उनका मानना है कि इसी वजह से कॉपर आने वाले सालों में गोल्ड-सिल्वर की तरह निवेशकों को बड़ा मुनाफा (Ajay Kedia investment advice) दे सकता है।
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